धनबाद : 22 साल से जेल में बंद वासेपुर का कुख्यात गैंगस्टर फहीम खान को मिली राहत, हाईकोर्ट ने दी रिहाई की मंज़ूरी

धनबाद के वासेपुर का कुख्यात गैंगस्टर फहीम खान 22 साल बाद जेल से रिहा होगा। झारखंड हाईकोर्ट ने उसकी उम्र और बीमारी को देखते हुए रिहाई की मंजूरी दी।

धनबाद : 22 साल से जेल में बंद वासेपुर का कुख्यात गैंगस्टर फहीम खान को मिली राहत, हाईकोर्ट ने दी रिहाई की मंज़ूरी
फहीम खान (फाइल फोटो)।
  • झारखंड हाईकोर्ट ने 75 वर्षीय गैंगस्टर फहीम खान की रिहाई पर लगाई मुहर

धनबाद/रांची। कोयला राजधानी धनबाद के गैंग्स ऑफ वासेपुर के कुख्यात गैंगस्टर फहीम खान को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। 22 साल से जेल में बंद फहीम को कोर्ट ने जेल से रिहा करने का आदेश दिया है। जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की कोर्ट ने शुक्रवार को फहीम की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को छह सप्ताह के भीतर उसकी रिहाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।

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 22 साल बाद न्याय, 16 साल बाद मंज़ूर हुई रिहाई की अर्जी

फहीम खान इस समय जमशेदपुर की घाघीडीह जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। उस पर वासेपुर के सगीर हसन सिद्दीकी की हत्या का आरोप था। फहीम ने 29 नवंबर 2024 को झारखंड हाईकोर्ट में अपनी रिहाई की याचिका दायर की थी। उसकी ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अजीत कुमार सिन्हा ने पैरवी की। फहीम की ओर से एडवोकेट ने कोर्ट में में कहा कि— “फहीम की उम्र अब 75 वर्ष से अधिक है और वह पिछले दो दशकों से जेल में है।

फहीम खान  तबीयत भी लगातार बिगड़ रही है। दिल और गुर्दे की गंभीर बीमारियों से वह जूझ रहा है। ऐसे में उसे रिमिशन सेंटेंस (सजा में छूट) के तहत रिहा किया जाना चाहिए।” राज्य सरकार ने इसके जवाब में एक रिव्यू बोर्ड गठित किया था, जिसने फहीम को “समाज के लिए खतरा” बताते हुए उसकी रिहाई से इनकार कर दिया था। हालांकि, हाईकोर्ट ने फहीम की उम्र, सेहत और जेल में अच्छे आचरण को देखते हुए राज्य सरकार के निर्णय को पलट दिया और रिहाई का आदेश दे दिया।

वासेपुर हत्याकांड से शुरू हुआ था खौफ का सफर

फहीम खान का नाम पहली बार 1989 में वासेपुर हत्याकांड में सामने आया था। 10 मई 1989 की रात सगीर हसन सिद्दीकी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
गवाही के अनुसार, सगीर अपने दोस्त आलमगीर के घर के बाहर बैठा था, तभी फहीम खान, छोटना उर्फ करीम खान और अरशद वहां पहुंचे। फहीम ने सगीर के सिर में गोली मार दी, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गयी।

पुलिस ने तीनों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की और मामला अदालत में चला। 15 जून 1991 को सेशन कोर्ट ने तीनों आरोपियों को बरी कर दिया, लेकिन इसके बाद बिहार सरकार ने इस फैसले को पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को रद्द करते हुए फहीम खान को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। फहीम ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन 21 अप्रैल 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा।

 कानूनी प्रक्रिया का लंबा सफर

1989: सगीर हसन सिद्दीकी की हत्या

1991: निचली अदालत से बरी

1993: बिहार सरकार की अपील पर हाईकोर्ट में मामला

2007: हाईकोर्ट ने सुनाई उम्रकैद की सजा

2011: सुप्रीम कोर्ट ने भी सजा बरकरार रखी

2024: झारखंड हाईकोर्ट में रिहाई की याचिका

2025: हाईकोर्ट ने रिहाई की मंजूरी दी

जेल में बीमारियों से जूझ रहा था फहीम

जेल प्रशासन के अनुसार, फहीम खान लंबे समय से दिल और किडनी की बीमारी से पीड़ित है। उसे कई बार रांची RIMS और टाटा मेन हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। फहीम की उम्र को देखते हुए जेल में उसकी सुरक्षा और स्वास्थ्य पर विशेष निगरानी रखी जा रही थी।

कौन है फहीम खान?

वासेपुर गैंग का सबसे बड़ा नाम, जिस पर हत्या, रंगदारी, अपहरण जैसे कई मामले दर्ज रहे। 90 के दशक में फहीम खान और साबिर खान के गैंगों के बीच वासेपुर में खूनी संघर्ष हुआ। उसके खिलाफ 20 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हुए थे। जेल में रहते हुए भी उसका नेटवर्क धनबाद के कोल कारोबार और जमीन विवादों में सक्रिय बताया जाता रहा है।