गुजरात: विजय रूपाणी का इस्तीफा, नये सीएम की रेस में मनसुख मांडविया सहित चार नामों पर अटकलें
गुजरात के सीएम विजय रूपाणी ने पद से इस्तीफा दे दिया है। नये सीएम के रेस में सेंट्रल हेल्थ मिनिस्टर मनसुख मंडाविया, डिप्टी सीएम नितिन पटेल, सेंट्रल मिनिस्टर परसोत्तम रुपाला, गोरधन जडफिया व गुजरात बीजेपी प्रसिडेंट सीआर पाटिल नाम सबसे अधिक चर्चा में है।
अहमदाबाद। गुजरात के सीएम विजय रूपाणी ने पद से इस्तीफा दे दिया है। नये सीएम के रेस में सेंट्रल हेल्थ मिनिस्टर मनसुख मंडाविया, डिप्टी सीएम नितिन पटेल, सेंट्रल मिनिस्टर परसोत्तम रुपाला, गोरधन जडफिया व गुजरात बीजेपी प्रसिडेंट सीआर पाटिल नाम सबसे अधिक चर्चा में है।
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बीजेपी ओबीसी समुदाय को साधने के लिए डिप्टी सीएम की कुर्सी पर किसी ओबीसी लीडर को बैठा सकती है। गुजरात की कमान किसी पाटीदार नेता के ही हाथ में होगी यह लगभग तय माना जा रहा है। सीएम के रेस में मनसुख मांडविया आगे चल रहे हैं। गांधीनगर में रविवार को पार्टी विधायक दल की बैठक में नये सीएम के नाम पर मुहर लगेगी। बीजेपी के सीनीयर लीडर्स रुपाणी के उत्तराधिकारी के नाम के मामले में चुप्पी साध रखी है। लेकिन सीएम पद पर किसी पाटीदार नेता को लाए जाने की अधिक सम्भावना है। बीजेपी पीएम मोदी के गृह राज्य गुजरात में अगले साल होने वाले चुनाव को हर हाल में जीतना चाहती है। राज्य में राजनीतिक रूप से दबंग पाटीदार समाज को पारंपरिक रूप से भाजपा का बड़ा वोट बैंक माना जाता रहा है।
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राजनीतिक जानकार यह भी कह रहे हैं कि पीएम मोदी किसी नए चेहरे को भी आगे करके एक बार फिर चौंका सकते हैं।रूपाणी (65) ने अगस्त 2016 में हार्दिक पटेल की अगुवाई वाले पाटीदार आंदोलन के चलते तत्कालीन सीएम आनंदीबेन पटेल के इस्तीफे के बाद यह पद पहली बार संभाला था। 2017 के चुनाव में भाजपा के अपेक्षाकृत लचर प्रदर्शन के बावजूद उन्हें दूसरी बार भी सीएम बनाया गया था। उनके आज पीएम मोदी के शिरकत वाले पाटीदार समाज के ही एक बड़े कार्यक्रम के अचानक बाद गवर्नर आचार्य देवव्रत को इस्तीफा सौंपने को लेकर रजनीतिक हलकों में अटकलों का बाज़ार गर्म है। उस कार्यक्रम में राज्य के कई दिग्गज पाटीदार नेता मौजूद थे।वैसे रूपाणी को पद से हटाए जाने की अटकलें पिछले कुछ समय से गुजरात में सुनी जा रही थीं। रूपाणी ने जब इस्तीफ़ा दिया तो उनके साथ गुजरात के तीन बड़े पाटीदार नेता सेंट्रल मिनिस्टर मनसुख मांडविया और परशोत्तम रूपाला और डिप्टी सीएम नितिन पटेल भी उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड व कर्नाटक के बाद भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात का मुख्यमंत्री भी बदलने का अंततः फैसला कर लिया। रूपाणी को हटाए जाने के पीछे सबसे बड़ा कारण आगामी विधानसभा चुनाव को माना जा रहा है। पार्टी गुजरात में चेहरे के बगैर चुनाव जीतने को लेकर सशंकित थी। गुजरात में पाटीदार समाज भाजपा का कोर बोर्ड बैंक है।अपने कोर बोर्ड बैंक को साधने के लिहाज से भाजपा किसी पाटीदार को ही गुजरात की कमान सौंपेगी।
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रूपाणी के इस्तीफे की इनसाइड स्टोरी
गुजरात के सीएम विजय रूपाणी सुबह जब पीएम मोदी के साथ वर्चुअल कार्यक्रम में शामिल हो रहे थे तो किसी को अंदाजा नहीं था कि शाम होते-होते उन्हें पद छोड़ना पड़ेगा। हालांकि विजय रूपाणी हटाये जाने की चर्चा काफी समय से चल रही थी। बताया जा रहा है कि विजय रूपाणी भाजपा के गुजरात विजय के प्लान में फिट नहीं बैठ रहे थे।
बेहतर परफॉर्मेंस का दबाव
बीजेपी पिछले चुनाव में गुजरात में बहुत मुश्किल से जीत हासिल की थी। इसके बाद किसी तरह चार साल तक मामला चला, लेकिन जबकि चुनाव को एक साल बचा है, पार्टी यहां कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी। सीआर पाटिल के अध्यक्ष बनने के बाद रूपाणी के लिए मुश्किलें और बढ़ गई थीं। विशेषज्ञों का कहना है कि अमित शाह के करीबी होने के नाते रूपाणी की कुर्सी अभी तक बची हुई थी। लेकिन सीआर पाटिल ने अब पार्टी से स्पष्ट कर दिया था कि अगर अगले साल चुनाव में बड़ी जीत हासिल करनी है तो फिर नेतृत्व परिवर्तन करना होगा।
जातीय समीकरण में अनफिट
विजय रूपाणी को फेस बनाकर पार्टी अगले चुनाव में नहीं उतरना चाहती थी। इसके पीछे एक बड़ी वजह थी गुजरात का जातीय समीकरण। रूपाणी कास्ट न्यूट्रल थे। उनके रहते पार्टी के लिए जातीय समीकरण साध पाना मुश्किल हो रहा था। गुजरात के सेंट्रल कैबिनेट के विस्टार में मनसुख मंडाविया को जगह दी गई थी।
स्टेट प्रसिडेंट सीआर पाटिल से मनमुटाव
विजय रूपाणी के गुजरात के सीएम पद से हटने की सबसे बड़ा कारण प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल से मनमुटाव रही। पाटिल के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से ही दोनों के बीच बन नहीं रही थी। असल में पाटिल ने पार्टी नेतृत्व के सामने इरादा जाहिर किया है कि वह प्रदेश में बड़ी जीत हासिल करना चाहते हैं। उनके इस प्लान में विजय रूपाणी फिट नहीं बैठ रहे थे। ऐसे में उन्हें रास्ता खाली करना पड़ा।
पीएम की नाराजगी
कोरोना के सेकेंड वेव में गुजरात में मिसमैनेजमेंट की कई खबरें बाहर आईं। सूत्रों का दावा है कि इसके चलते पीएम नरेंद्र मोदी भी खुश नहीं थी। अपने गृह प्रदेश में इस तरह की लापरवाही होती देख, पीएम मोदी काफी ज्यादा परेशान थे। यही वजह रही कि उन्होंने भी गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन पर कोई सवाल नहीं उठाया।