रांची। झारखंड गवर्नमेंट से 1990 बैच के आइपीएस अफसर व एडीजी ट्रेनिंग अनुराग गुप्ता को बड़ी राहत मिली है। गवर्नमेंट ने एडीजी अनुराग गुप्ता के खिलाफ चल रहे डिपार्टमेंटल प्रोसिडिंग को खत्म कर दिया है। इस संबंध में होम डिपार्टमेंट द्वारा आदेश जारी कर दिया गया है।
आदेश में कहा गया है कि झारखंड में 2016 राज्यसभा चुनाव के दौरान पद का दुरुपयोग कर वोटरों के मताधिकार का प्रयोग करने में हस्तक्षेप करते हुए चुनाव को प्रभावित करने का आरोप प्रथम दृष्टया से सत्य पाया गया। जो अखिल भारतीय सेवाएं यह प्रतिकूल है। इस आरोप की जांच के संबंध में डिपार्टमेंटल प्रोसिडिंग के संचालन के लिए अफसर की नियुक्ति की गई थी। जांच प्रतिवेदन में अनुराग गुप्ता के खिलाफ अधिरोपित आरोप प्रमाणित नहीं हो पाया। इसलिए सरकार अनुराग गुप्ता को आरोप मुक्त करते हुए डिपार्टमेंटल प्रोसिडिंग का निस्तार किया जाता है।
26 माह तक सस्पेंड रहे थे अनुराग गुप्ता
एडीजी अनुराग गुप्ता 26 माह तक सस्पेंड रहे। हेमंत गवर्नमेंट ने14 फरवरी 2020 को एडीजी अनुराग गुप्ता को सस्पेंड कर दिया था। वह उस समय सीआइडी के एडीजी थे। उनके खिलाफ राज्यसभा चुनाव 2016 में बीजेपी कैंडिडेट के पक्ष में वोट देने के लिए बड़कागांव की तत्कालीन एमएलए निर्मला देवी को प्रलोभन देने और उनके हसबैंड एक्स मिनिस्टर योगेंद्र साव को धमकाने का आरोप है।कैट के आदेश पर गवर्नमेंट ने पिछले माह उन्हें सस्पेंशन मुक्त किया था।
यह है मामला
2016 में राज्यसभा चुनाव के बाद एक्स सीएम व तत्कालीन जेवीएम सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने एक ऑडियो टेप जारी किया था। इस कथित टेप में एडीजी अनुराग गुप्ता, तत्कालीन एमएलए निर्मला देवी, उनके पति योगेंद्र साव के बीच बातचीत की बात सामने आई थी। मामला सामने आने के बाद पूरे मामले की कंपलेन चुनाव आयोग से की गई थी। प्रथम दृष्टया जांच के बाद आयोग ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। होम डिपार्टमेंट के अवर सचिव अवधेश ठाकुर के बयान पर सरकार ने तब FIR दर्ज करवाया था। इस मामले में फरवरी 2020 में अनुराग गुप्ता के सस्पेंशन के बाद स्टेट गवर्नमेंट ने डिपार्टमेंटल प्रोसिडिंग शुरू की थी। डिपार्टमेंटल प्रोसिडिंग के संचालन का जिम्मा तत्कालीन डीजीपी एमवी राव को दिया गया था।एमवी राव ने उन्हें क्लीन चिट दे दिया था।