झारखंड: निशिकांत दुबे बोले- बरहेट व दुमका में होगा उपचुनाव, इस्तीफे विकल्प है, दैइए दीजिए
चुनाव आयोग में माइनिंग लीज मामले में सीएम हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता को लेकर कभी भी फैसला आ सकता है। क्या सीएम की विधायकी खत्म हो जाएगी? सीएम पद से उन्हें इस्तीफा देना पड़ेगा? इन दोनों प्रश्नों का उत्तर चुनाव आयोग के फैसले के बाद ही पता चलेगा।
रांची। चुनाव आयोग में माइनिंग लीज मामले में सीएम हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता को लेकर कभी भी फैसला आ सकता है। क्या सीएम की विधायकी खत्म हो जाएगी? सीएम पद से उन्हें इस्तीफा देना पड़ेगा? इन दोनों प्रश्नों का उत्तर चुनाव आयोग के फैसले के बाद ही पता चलेगा।
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झारखंड मुक्ति मोर्चा औरो कॉंग्रेस दिल्ली- रॉंची क्यों दौड़ रहा है रे भाई । हम बोले बरहेट,दुमका विधानसभा में उपचुनाव होगा तो हमको कांके भेज रहे थे?अब तो विधानसभा अध्यक्ष को कनाडा जाने से रोक दिए? इस्तीफ़े विकल्प है,दैइए दीजिए
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) August 19, 2022
एमपी निशिकांत दुबे ने टवीट किया है- झारखंड मुक्ति मोर्चा औरो कांग्रेस दिल्ली- रांची क्यों दौड़ रहा है रे भाई। हम बोले बरहेट, दुमका विधानसभा में उपचुनाव होगा तो हमको कांके भेज रहे थे?निशिकांत ने ट्वीट में लिखा है अब तो विधानसभा अध्यक्ष को कनाडा जाने से रोक दिए? इस्तीफे विकल्प है, दैइए दीजिए। एक दूसरे टवीट में निशिकांत दुबे ने लिखा- सौ सुनार की एक लोहार की। मुख्यमंत्री जी अगस्त पार कर लें।
झारखंड की राजनीति का पारा गरम
झारखंड में राजनीतिक गतिविधियां काफी तेजी से बदल रही हैं। आने वाले दिनों में झारखंड की राजनीति में क्या बदलाव होने जा रहा है, इसके बारे में लोग तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं। यह कयास इसलिए लगाया जा रहा क्योंकि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता पर चुनाव आयोग का अहम फैसला आने वाला है। उनके खिलाफ विभागीय मंत्री होते हुए अपने नाम से स्टोन लीज लेने का लीज लेने का आरोप है। बीजेपी ने सीएम के खिलाफ शिकायत की थी। इस शिकायत के बाद मामला गवर्नर से होते हुए चुनाव आयोग तक पहुंचा। लगातार कई दिनों तक इस मामले में चुनाव आयोग ने सुनवाई की। हेमंत सोरेन के अलावा बीजेपी का पक्ष सुना गया। मामले में दोनों पक्षों ने चुनाव आयोग के समक्ष अपनी-अपनी बात कही। अपने तर्क दिए।
बीजेपी का कहना है कि सीएम हेमंत सोरेन को विधानसभा सदस्यता से त्यागपत्र दे देना चाहिए, क्योंकि उन्होंने जनप्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन किया है। हेमंत सोरेन के अधिवक्ताओं का कहना है कि जनप्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन नहीं हुआ हे। यह राजनीतिक साजिश है। दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद चुनाव आयोग अब फैसला सुनाने वाला है। तारीख की घोषणा अभी शेष है। यही मूल वजह है जिसके कारण झारखंड के राजनीति अचानक सातवें आसमान पर पहुंच गई है।