जज की मौत हादसा नहीं, सुनियोजित मर्डर, गुजरात फोरेंसिक लैब की असिस्टेंट डॉयरेक्टर का कोर्ट में बयान

धनबाद के जिला एवं सत्र न्यायधीश (जज) उत्तम आनंद की मौत दुर्घटना से नहीं बल्कि सुनियोजित और जानबूझकर की गई मर्डर है। गुजरात गांधीनगर डीएफएस डिवीजन के असिस्टेंट डायरेक्टर व फोरेंसिक साइकोलॉजी के डॉ हेमा विनोद चंद्र आचार्या ने गुरुवार को धनबाद सीबीआई के स्पेशल जज रजनीकांत पाठक की कोर्ट  में अपनी गवाही में उक्त बातें कहीं। 

जज की मौत हादसा नहीं, सुनियोजित मर्डर, गुजरात फोरेंसिक लैब की असिस्टेंट डॉयरेक्टर का कोर्ट में बयान

धनबाद के जज उत्तम आनंद की मौत हादसा नहीं थी। वह एक सुनियोजित हत्या थी। यह बयान गुजरात फोरेंसिक लैब की असिस्टेंट डॉयरेक्टर डॉक्टर आचार्य ने कोर्ट में दिया है। उन्होंने ही आरोपियों का टेस्ट लिया था।
धनबाद: जज उत्तम आनंद की मौत हादसा नहीं, सुनियोजित मर्डर, गुजरात फोरेंसिक लैब की असिस्टेंट डॉयरेक्टर का कोर्ट में बयान
धनबाद। धनबाद के जिला एवं सत्र न्यायधीश (जज) उत्तम आनंद की मौत दुर्घटना से नहीं बल्कि सुनियोजित और जानबूझकर की गई मर्डर है। गुजरात गांधीनगर डीएफएस डिवीजन के असिस्टेंट डायरेक्टर व फोरेंसिक साइकोलॉजी के डॉ हेमा विनोद चंद्र आचार्या ने गुरुवार को धनबाद सीबीआई के स्पेशल जज रजनीकांत पाठक की कोर्ट  में अपनी गवाही में उक्त बातें कहीं। 

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सीबीआई की ओर से डॉ आचार्या को इस मामले के 28वें गवाह के रूप में कोर्ट के समक्ष पेश किया गया था। गवाही के दौरान उन्होंने बताया कि 31 जुलाई 2021 को उन्हें वीडियो क्लिप, फोटो, FIR, सीन रीक्रिएशन तथा पोस्टमार्टम रिपोर्ट तथा क्राइम सीन की आठ फोटोग्राफ ई-मेल के माध्यम से भेजी गई थी। दो अगस्त 2021 को उन्हें इस मामले की विवेचना की जिम्मेवारी सौंपी गई। प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर वह इस निष्कर्ष पर पहुंचीं कि जज उत्तम आनंद का कोई ऑटो से पीछा कर रहा था। उन्हें पूरे होशो-हवास में धक्का मारा गया। यह दुर्घटना नहीं हो सकती। डॉ आचार्या ने यह भी बताया कि ऑटो में दो लोग थे।

उन्होंने ही आरोपियों का नार्को एनालिसिस, ब्रेन मैपिंग और पोलीग्राफी टेस्ट कराने की अनुशंसा की थी।सीबीआई की ओर से गुरुवार को इस मामले में कुल तीन गवाहों की गवाही कराई गई। गवाह महेंद्र कुमार तिवारी ने अपनी गवाही देते हुए बताया कि वह एसएसपी ऑफिस में टेक्निकल इंजीनियर के रूप में काम करते हैं।29 जुलाई 2021 को वह गोविंदपुर थाना प्रभारी को सीसीआर कंट्रोल रूम में मौजूद कांड से संबंधित 28 जुलाई 2021 के सिटी सेंटर के दो कैमरे, श्रमिक चौक, रांगाटाड़, सर्किट हाउस, एसएसपी आवास, एसएसएलएनटी कॉलेज तथा रणधीर वर्मा चौक के कुल सात कैमरों का सीसीटीवी फुटेज 32 जीबी वाले पेन ड्राइव में दिया था।
ऑटो ड्राइवर विजय यादव ने अपनी गवाही के दौरान बताया कि वह गोविंदपुर से स्टेशन रूट में ऑटो चलाता है। 28 जुलाई 2021 को वह गोविंदपुर से स्टेशन के लिए सुबह 4.30 बजे चला रहा था। उसने वीसी से पेश राहुल की पहचान करते हुए बताया कि घटना के दिन राहुल हटिया मोड़ पर उनके ऑटो में बैठा था। वहीं दूसरी ओर कोर्ट ने गुरुवार को ऑटो चालक लखन वर्मा की जमानत अर्जी खारिज कर दी।

फ्लैश बैक
जज उत्तम आनंद वर्ष 2021 की 28 जुलाई  से सुबह लगभग पांच बजे मॉर्निंग वॉक के लिए निकले थे। रणधीर वर्मा चौक के समीप ऑटो ने जज को धक्का मार दिया। वह बेहोश होकर गिर गये। घायल जज को SNMMCH ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। जज के घर वापस नहीं आने पर पत्नी कीर्ति सिन्हा ने रजिस्ट्रार को फोन कर इसकी सूचना दी। रजिस्ट्रार ने मामले की सूचना एसएसपी धनबाद को दी, इसके बाद पुलिस महकमा जज को ढूंढने में लग गया था। इसके बाद उनके एक्सीडेंट होने का पता। पहले इसे सामान्य सड़क हादसा माना गया लेकिन सीसीटीवी फुटेज में एक ऑटो को जानबूझकर धक्का मारते दिखने पर सनसनी फैल गई। मामले में जज की पत्नी कृति सिन्हा की कंपलेन पर धनबाद पुलिस स्टेशन में केस नंबर 300/21 दर्ज की गयी थी। मामले में जज की वाइफ के कंपेलन पर धनबाद पुलिस स्टेशन ऑटो ड्राइवर के खिलाफ मर्डर की एफआईआर दर्ज की गई थी। पुलिस ने गिरिडीह से ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा और उसके साथ बैठे राहुल वर्मा को अरेस्ट कर लिया। 
सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट ने भी संज्ञान लिया
मामले में सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट ने भी संज्ञान लिया। मामले में झारखंड गवर्नमेंट ने एडीजी (ऑपरेशन) संजय आनंद लाठकर के नेतृत्व में एसआईटी गठित की। एसआईटी को अब तक की जांच में सुनियोजित मर्डर से जुड़ा कोई एवीडेंस नहीं मिला था। पुलिस मामले में ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा व उसके सहयोगी राहुल वर्मा को अरेस्ट कर जेल भेजा गया। जज को धक्का मारने वाला ऑ़टो भी बरामद कर लिया गया है। झारखंड सरकार ने 30 जुलाई को मामले की जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा की थी। इसी आधार पर सीबीआई बीते चार अगस्त ने मामले में एफआइआर दर्ज कर जिला पुलिस की केस को टेकओवर कर लिया था। अब सीबीआई दिल्ली स्पेशल क्राइम ब्रांच-1 इस मामले की जांच कर रही है। मामले में सीबीआई ने 20 अक्टूबर को चार्जशीट दाखिल की थी। सीबीआई ने आईपीसी की धारा 302, 201 और 34 के तहत चार्जशीट दाखिल की थी।
आरोपियों की हो चुकी है नार्कों टेस्ट व ब्रेन मैपिंग
सीबीआई ने ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा और उसके साथी राहुल वर्मा को रिमांड पर लेकर पूछताछ की है। छह अगस्त के कोर्ट के आदेश के बाद सात अगस्त को सीबीआई दोनो आरोपितों को रिमांड पर ले गई थी। दोनों की साइ डिटेक्टर समेत अन्य जांच करायी जा चुकी है। 11 अगस्त को दोनों को वापस जेल भेज दिया गया था। सीबीआई की स्पेशल सेल ने नौ अगस्त को कोर्ट से दोनों आरोपीयों से सच्चाई पता करने के लिए नार्को टेस्ट,ब्रेन मैपिंग टेस्ट सहित चार अन्य टेस्ट कराने की अनुमति ली थी। नौ एवं 10 अगस्त को सिंफर के गेस्ट हाऊस सत्कार में राहुल और लखन का लाई डिटेक्टर टेस्ट ,ब्रेन इलेक्ट्रिकल आक्सीलेशन व अन्य टेस्ट किया गया था। टेस्ट में मिली जानकारी के बाद सीबीआई की टीम फॉरेंसिक एक्सपर्ट के साथ घटनास्थल पर आई थी।सीबीआई धनबाद रेलवे स्टेशन से घटनास्थल तक पहुंचने के तमाम रास्तों में लगे सीसीटीवी फुटेज को भी खंगाला था। परंतु अब तक सीबीआई मामले की गुत्थी नहीं सुलझा सकी है। सीबीआइ घटनास्थाल पर तीन बार क्राइम सीन रिक्रियेट की है। सीबीआई दोनों आरोपियों की अहमदाबाद में नार्कों टेस्ट व ब्रेन मैपिंग करायी है।दोनों की फिस से ब्रैन मैपिंग व अन्य जांच करायी जा रही है। 
जज को जानबूझकर धक्का मारा लेकिन साजिश का नहीं चला पता
सीबीआइ अभी तक सीबीआई टक्कर मारने के पीछे की मंशा नहीं भांप पाई है। लखन और राहुल सीबीआई से भी बार-बार यही कह रहे हैं कि नशे में धुत्त रहने के कारण ऑटो रोड किनारे दौड़ रहे व्यक्ति की तरफ मुड़ गया, जिससे उन्हें टक्कर लग गई। हालांकि सीबीआई दोनों के बयान को अंतिम सत्य नहीं मान रहे हैं। सीबीआइ परिस्थितिजन्य और वैज्ञानिक साक्ष्यों से टीम घटना के तह तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। दोनों के मोबाइल सीडीआर, घटनास्थल से मिले कॉल डंप, फोरेंसिक जांच के परिणाम के अलावा चिह्नित लोगों से लगातार हो रही पूछताछ के जरिए मामले में नये एंगल की तलाश हो रही है। दोनों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की कर चुकी है। हाईकोर्ट सीबीआई जांच की मोनेटरिंग कर रही है। प्रत्येक सप्ताह सीबीआइ जांच की प्रगति रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश करती है। सीबीआइ की अब तक की जांच से हाई कोर्ट असंतुष्ट है। सीबीआई की ओर से हाई कोर्ट में बतायी गयी है कि जज को जानबूझकर धक्का मारा गया था। हालांकि इसके पीछे साजिश का अभी तक पता नहीं चल सका है। सीबीआइ अभी तक की जांच में स्पष्ट नहीं कर पायी है कि जज की मर्डर क्यों की गयी और इस षड्यंत्र के पीछे कौन लोग हैं।