नेपाल: कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को कम्युनिस्ट पार्टी से हटाया, मेंबरशीप भी कैंसिल
पाल के कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को कम्युनिस्ट पार्टी से हटा दिया गया है। न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक कम्युनिस्ट पार्टी के दूसरे गुट ने केपी शर्मा ओली की मेंबरशीप भी कैंसिल कर दी है।
काठमांडू। नेपाल के कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को कम्युनिस्ट पार्टी से हटा दिया गया है। न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक कम्युनिस्ट पार्टी के दूसरे गुट ने केपी शर्मा ओली की मेंबरशीप भी कैंसिल कर दी है। पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड की अगुआई वाले गुट की संट्रेल कमिटी की रविवार को हुई बैठक में ओली को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। विरोधी गुट के प्रवक्ता नारायण काजी श्रेष्ठ ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा, ''उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई है। पिछले साल 22 दिसंबर को ओली को कम्युनिस्ट पार्टी में सह अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था।
इससे पहले पीएम ओली ने पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' को पद से हटा दिया था। पिछले शुक्रवार को ही नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के प्रचंड धड़े ने काठमांडू में ओली सरकार के विरोध में एक बड़ी रैली निकाली थी।रैली को संबोधित करते हुए एक्स पीएम पुष्प कमल दहल प्रचंड ने कहा था कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने असंवैधानिक तरीके से संसद को भंग किया। इस कारण संघीय लोकतांत्रिक व्यवस्था को गंभीर खतरा पैदा हो गया है। ओली ने यह कदम उठाकर न केवल पार्टी के कानून और प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया है वरन नेपाल के संविधान को भी कमजोर किया है। उन्होंने यह भी कहा कि ओली ने महीनों तक चली उस शांति प्रक्रिया को भंग करने की कोशिश की जिसके चलते माओवादी मुख्यधारा की राजनीति में आये थे।
अध्यक्ष पद छीनने के बाद ओली को कम्युनिस्ट पार्टी से भी किया गया बाहर
नेपाल में राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है।कम्युनिस्ट पार्टी के दो टुकड़ों में बंटने को लेकर अटकलों के बीच विरोधी गुट ने कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को पार्टी से बाहर किए जाने का ऐलान किया है। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी का जन्म ओली के सीपीएन-यूएमएल और दहल की पार्टी सीपीएल (माओवादी) के विलय से हुआ था। चूंकि, दोनों पार्टियों की विचारधारा अलग थी, इसलिए शुरुआत से ही यह आशंका थी कि यह एका अधिक दिनों तक कायम नहीं रह सकेगा।
दो साल के भीतर ही एक बार फिर कम्युनिस्ट पार्टी का दो टुकड़ों में बंटना अब लगभग तय हो गया है।अपने अब तक के शासनकाल में केपी शर्मा ओली चीन के इशारे पर काम करते रहे और इस दौरान उन्होंने भारत विरोधी भावनाओं को भड़काया। इसके लिए उन्होंने भारतीय इलाकों को नेपाल के नक्शे में शामिल करते हुए संविधान संशोधन भी किया। इसके अलावा उन्होंने यह भी आरोप लगा दिया था कि उनकी सत्ता अस्थिर करने के पीछे भारत हाथ है। ओली भारत विरोधी बयानबाजी के लिए लगातार चर्चा में बने रहे। हालांकि, अब चीन ने भी उनके सिर से हाथ हटा लिया है।