नई दिल्ली: कांग्रेस में सबको मैनेज करने वाला 'अहमद भाई' और 'एपी' के नाम से मशहूर थे अहमद पटेल
अहमद पटेल कांग्रेस के टॉप ली़डरशीप के विश्ववसनीय व करीबी के साथ-साथ कांग्रेस में सबको मैनेज करने वाले लीडर थे। वह पार्टी में 'अहमद भाई' और 'एपी' के नाम से मशहूर थे। अहमद पटेल के निधन के बाद कांग्रेस में एक बड़ी जगह खाली हो गई है। यह जगह गांधी फैमिली की सबसे भरोसेमंद सलाहकार की है। अब पार्टी के कई लीडरों की नजर पटेल की कुर्सी पर है।
- अब कौन होगा गांधी फैमिली का अगला राइट हैंड?
नई दिल्ली। अहमद पटेल कांग्रेस के टॉप ली़डरशीप के विश्ववसनीय व करीबी के साथ-साथ कांग्रेस में सबको मैनेज करने वाले लीडर थे। वह पार्टी में 'अहमद भाई' और 'एपी' के नाम से मशहूर थे। अहमद पटेल के निधन के बाद कांग्रेस में एक बड़ी जगह खाली हो गई है। यह जगह गांधी फैमिली की सबसे भरोसेमंद सलाहकार की है। अब पार्टी के कई लीडरों की नजर पटेल की कुर्सी पर है।
अब सवाल उठ रहा है कि कौन होगा गांधी परिवार का अगला राइट हैंड?
अहमद पटेल का असमामयिक निधन न सिर्फ पार्टी के लिए झटका है, बल्कि उसे कंट्रोल करने वाले गांधी फैमिली का तो जैसे दाहिना हाथ ही चला गया। पहले से ही मझधार में फंसी कांग्रेस से एक बड़ी पतवार छिन गई है। कांग्रेस में पिछले चार दशक में जब भी संकट आया, गांधी परिवार ने पटेल का रुख किया। पटेल लाइमलाइट से दूर रहकर अपना काम करते रहते थे। गांधी फैमिली का अहमद पटेल के जरिए ही पार्टी लीडरों राब्तान होता था। पटेल लंबे समय से पार्टी और गांधी परिवार के बीच की कड़ी बने रहे। पटेल के निधन के बाद उनकी जगह कौन लेगा? वह कौन होगा जिसपर गांधी परिवार आंख मूंदकर विश्वाेस कर पाएगा जैसा पटेल पर करते थे।
अहमद पटेल न सही, विश्वासपात्र तो मिल सकता है कांग्रेस को
कांग्रेस में इंदिरा गांधी, राजीव से लेकर सोनिया और राहुल तक को साध लेने वाले अहमद पटेल की जगह भर पाना काफी मुश्किल है। पटेल के निधन के बाद कई सीनीयर पार्टी लीडर अपनी दावेदारी पेश करने में लगे हैं। राजानीतित विशलेषकों के अनुसार हाल के दिनों की बयानबाजी भी गांधी परिवार की नजर में चढ़ने की कोशिश है। पार्टी में कई नेता ऐसे हैं जो खुद को गांधी फैमिली का सबसे करीबी देखना चाहते हैं।
गांधी फैमिली को चाहिए एक भरोसेमंद लीडर
कांग्रेस पिछले कुछ सालों से बुरे दौर से गुजररही है। पार्टी लगातार दो लोकसभा चुनाव हारी। अधिकांश राज्योंप में भी कांग्रेस के हाथ से सत्ताै चली गई। कैडर का उत्साधह फीका पड़ा हुआ है। हालिया बिहार चुनाव के नतीजों ने रही सही कसर पूरी कर दी। कई सीनीयर लीडरों नेपार्टी लीडरशीप पर सवाल उठाये हैं। पार्टी के पास सालभर से स्थालयी अध्यबक्ष तक नहीं है। पार्टी में अंदरूनी कलह बढ़ती ही जा रही है। खेमेबाजी केकारण पार्टी टूटने तक की आशंका व्यरक्त की जा रही है। कई सीनीयर लीडर पार्टी में अहमद पटेल जैसे एक प्रभावी मैनेजर की कमी बताकर अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। कांग्रेस में कई नेता ऐसे हैं जो गांधी फैमिली के बाद पार्टी में नंबर टू बनना चाहते हैं।
संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल हैं नंबर 2 के प्रबल दावेदार
कांग्रेस के खास रणनीतिकारों में अभी केसी वेणुगोपाल का नाम शुमार होता है। यूपी गवर्नमेंट में मिनिस् वेणुगोपाल अभी संगठन में महासचिव की जिम्मेेदारी संभालते हैं। हुल गांधी से वेणुगोपाल की नजदीकियां उन्हेंम अहमद पटेल की जगह लेने में मदद कर सकती हैं। हालांकि केरल से ताल्लुमक रखने वाले वेणुगोपाल अपने ही राज्य में गुटबाजी का शिकार हो सकते हैं। वह 2009 और 2014 में अलापुझा सीट से लोकसभा चुनाव जीते थे। वह 2019 में चुनाव नहीं लड़े। राहुल गांधी ने उन्हेंट राजस्थाेन से राज्य0सभा भिजवा दिया। राहुल के साथ वेणुगोपाल के समीकरण पार्टी में उनका कद अब और बढ़ा सकते हैं।
तारिक अनवर
कटिहार से कई बार लोकसभा मेंबर रहे तारिक अनवर को कांग्रेस महासचिव बनाया गया है। वह राहुल गांधी के करीबी लीडरों में है। केरल के प्रभारी भी हैं, जहां से राहुल एमपी हैं। सोनिया के विदेश मूल के मुद्दे पर तारिक ने शरद पवार के साथ कांग्रेस छोड़ थी। वह कई सालों तक एनसीपी में पवार के साथ रहे। कांग्रेस में जमीन से राजनीति शुरु करने वाले बडे़ लीडरों में शुमार तारिक एनसीपी छोड़कर राहुल की पहल पर कांग्रेस में वापसी की। राहुल ने उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेवारी दी है। वर्तमान समीकरण में वह कांग्रेस लीडरशीप व गांधी फैमिली के खास लोगों में शुमार हैं।
पी चिदंबरम
पी चिदंबरम भी कांग्रेस संगठन की स्थिति पर सवाल उठा चुके हैं। हालांकि एक्स सेंट्रल मिनिस्टर के पास लंबा-चौड़ा अनुभव है। वे राजनीतिक दावपेंच को बखूबी समझते हैं। राज्यासभा में चिदंबरम कांग्रेस के सीनीयर लीडरों में से एक हैं। हालांकि उनके ऊपर कई तरह के भ्रष्टासचार के आरोप उनके खिलाफ जा सकते हैं।
कमलनाथ और गहलोत
राजस्थान सीएम अशोक गहलोत व मध्य प्रदेश के एक्स सीएम कमलनाथ और की गांधी परिवार से नजदीकियां किसी से छिपी नहीं। अभी जब सिब्बल का कांग्रेस लीडरशीप पर सवाल उठाता इंटरव्यू आया था, तब इन दोनों नेताओं ने खुलकर गांधी फैमिली की वकालत की थी। गहलोत बेहद तल्ख लहजा में जबाव दिया था। दोनों कई दशकों से गांधी परिवार के करीबी रहे हैं।र अहमद पटेल के बाद उनकी जगह लेने के मजबूत दावेदार हैं।
शशि थरूर में 'एक्स' फैक्टर
केरल के तिरुवनंतपुरम से लोकसभा एमपी शशि थरूर भी गांधी फैमिली का राइट हैंड बनने की कैपिसिटी रखते हैं। एक पूर्व डिप्लोोमेट के रूप में उन्हेंर नेशनल और इंटरनेशनल सबजेक्ट की गहरी समझ। बात को रखने का ढंग भी अलग है। थरूर युवाओं में लोकप्रिय हैं। थरूर के गांधी परिवार से रिश्तें भी अच्छें हैं। संगठन पर उनकी कमजोर पकड़ है।
दिग्विजय और मिलिंद देवड़ा
दिग्विजय सिंह को शासन और संगठन, दोनों का लंबा अनुभव है। वह एक वक्त में गांधी परिवार के सबसे भरोसेमंद सलाहकारों में शामिल हुआ करते थे। हलांकि टीम राहुल में उनकी पोजिशन थोड़ी कमजोर हो गई। एमपी से राज्यसभा मेंबर बने हैं। मिलिंद देवड़ा ने राहुल गांधी के लोकसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीाफा देते ही खुद भी मुंबई कांग्रेस चीफ की कुर्सी छोड़ दी थी। तब उन्होंकने राष्ट्री य स्तर पर पार्टी के लिए काम करने की बात कही थी। वह पार्टी में बदलाव की मांग करने वाले नेताओं में से रहे हैं। देवड़ा की गांधी परिवार से करीबी है। लेकिन उनके राय कई बार पार्टी से जुदा रही है।
कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आजाद की दावेदारी पिछड़ी
कपिल सिब्बल व गुलामनबी आजाद उन नेताओं में से हैं जिन्होंुने खुलकर कांग्रेस में बदलाव की बात की है। सिब्बल गांधी फैमिली और पार्टी के कई मुकदमों की पैरवी वही करते हैं। हालांकि सिब्बल ने हाल के दिनों में जिस तरह पार्टी में स्थागयी अध्य क्ष न होने को लेकर सवाल उठायें हैं, उससे उनकी दावेदारी काफी कमजोर पड़ती दिख रही है। गुलाम नबी आजाद भी पार्टी के उन सीनियर नेताओं में से हैं जो पटेल की जगह ले सकते हैं लेकिन वे उस 23 नेताओं के समूह का हिस्सां हैं जिनकी सोनिया गांधी को चिट्ठी से बड़ा बवाल खड़ा हो गया था। आजाद तो यहां तक कह चुके हैं कि पार्टी का ढांचा गिर गया है।