झारखंड विधानसभा नियुक्ति–प्रोन्नति मामले की नहीं होगी सीबीआई जांच, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड विधानसभा सचिवालय नियुक्ति–प्रोन्नति मामले में सीबीआई की प्राथमिक जांच याचिका खारिज करते हुए सवाल उठाया कि एजेंसी राजनीतिक लड़ाइयों में सरकारी मशीनरी की तरह क्यों उपयोग हो रही है। कोर्ट ने निष्पक्षता बनाए रखने की सख्त नसीहत दी।

झारखंड विधानसभा नियुक्ति–प्रोन्नति मामले की नहीं होगी सीबीआई जांच, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)।
  • सुप्रीम कोर्ट का सख्त सवाल—सीबीआई राजनीतिक लड़ाइयों में सरकारी मशीनरी क्यों बना?

नई दिल्ली। झारखंड विधानसभा सचिवालय में नियुक्ति और प्रोन्नति मामले की सीबीआई जांच नहीं होगी।  मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ की हस्तक्षेप याचिका को खारिज कर दिया है सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से पूछा कि वह राजनीतिक लड़ाई में अपनी मशीनरी का गलत इस्तेमाल क्यों करती है। 

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कोर्ट ने चिंता जताई कि सीबीआइ का प्रयोग राजनैतिक उद्देश्यों के लिए हो रहा है। कोर्ट ने सीबीआई को निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से कार्य करने की सलाह दी और राजनीतिक हस्तक्षेप से बचने को कहा ताकि एजेंसी की विश्वसनीयता बनी रहे। कोर्ट ने सभी मामलों की निष्पक्ष जांच करने का आदेश दिया है।

झारखंड विधानसभा सचिवालय में नियुक्ति और प्रोन्नति से जुड़े बहुचर्चित मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को महत्वपूर्ण टिप्पणी की। अदालत ने सीबीआई से कड़े सवाल करते हुए कहा कि एजेंसी बार-बार राजनीतिक लड़ाइयों में सरकारी मशीनरी की तरह इस्तेमाल क्यों होती दिख रही है। कोर्ट ने सीबीआई की अंतरिम हस्तक्षेप याचिका को खारिज कर दिया और निष्पक्ष जांच पर जोर दिया।

क्या है मामला?

झारखंड विधानसभा सचिवालय में 2003 से 2007 के बीच हुई नियुक्तियों और बाद में दी गई प्रोन्नतियों में अनियमितता के आरोप लगाए गये थे।प्रार्थी शिवशंकर शर्मा ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई जांच की मांग की थी। उन्होंने दावा किया था कि:

मामले की जांच जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद आयोग ने की थी

रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपी गयी थी

राज्यपाल ने कार्रवाई का निर्देश भी दिया था

लेकिन कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया

इसी आधार पर हाई कोर्ट ने 23 सितंबर 2024 को जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने क्यों लगाई थी रोक?

14 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा था कि इस मामले में पहले तथ्यों की स्पष्टता जरूरी है। इसके बाद विधानसभा सचिवालय और अन्य पक्षों ने भी हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान क्या कहा?

प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस वी. विनोद चंद्रन की पीठ ने सुनवाई के दौरान तल्ख रुख दिखाया। कोर्ट ने कहा: “हम पहले भी कई बार यह सवाल उठा चुके हैं कि राजनीतिक लड़ाइयों में केंद्रीय एजेंसी मशीनरी का इस्तेमाल क्यों किया जाता है?” “सीबीआई को निष्पक्षता के साथ काम करना चाहिए, न कि राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल होने वाली संस्था की तरह।” कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया कि सीबीआई राजनीतिक हस्तक्षेप से दूर रहकर ही अपनी विश्वसनीयता बचा सकती है।

सीबीआई की याचिका खारिज

सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने प्राथमिक जांच से जुड़ी सीबीआई की याचिका को सीधे खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि इस स्तर पर एजेंसी का हस्तक्षेप उचित नहीं है।

मामले से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

नियुक्ति–प्रोन्नति प्रक्रिया 2003–2007 के बीच

जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद आयोग की रिपोर्ट 2019 में

रिपोर्ट के आधार पर दो अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्त किया गया

हाई कोर्ट ने मामला सीबीआई को दिया था

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पर पूर्व में रोक लगा दी थी

अब सीबीआई की अंतरिम याचिका भी खारिज

यह है मामला

मामला 2003 से 2007 के बीच हुई विधानसभा में नियुक्ति और बाद में प्रोन्नति से जुड़ा हुआ है। 2019 में जांच रिपोर्ट के आधार पर दो अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति भी दे दी गयी है। झारखंड विधानसभा सचिवालय और अन्य पक्षों ने हाई कोर्ट के 23 सितंबर 2024 के आदेश को चुनौती दी थी। पूर्व में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सीबीआइ जांच पर रोक लगा दी थी। तब सीबीआइ ने इस रोक को हटाने के लिए आवेदन दिया था।