उत्तर प्रदेश: कानपुर में बीमार दोस्त से मिले प्रसिडेंट रामनाथ कोविंद, कहा- प्रसिडेंट नहीं दोस्त की हैसियत से आया हूं घर
प्रसिडेंट रामनाथ कोविंद कानपुर में अपने बीमार दोस्त कृष्ण कुमार अग्रवाल से मिलने उनके घर पहुंचे। प्रसिडेंट ने कहा कि जबसे आपकी तबियत खराब होने की जानकारी मिली, मिलने के लिए बैचेन था। आज देखकर खुशी हुई और संतुष्टि भी मिली.... कोविंद के ये शब्द अपने बीमार मित्र कृष्ण कुमार अग्रवाल से मुलाकात के दौरान बरबस ही निकल पड़े। कोविंद ने कहा, राष्ट्रपति की हैसियत से नहीं, एक दोस्त की हैसियत से घर आया हूं।
- गांव में भाभी से मिलते ही बोले राष्ट्रपति, लाओ मेरे पेड़े का डिब्बा दो
कानपुर। प्रसिडेंट रामनाथ कोविंद कानपुर में अपने बीमार दोस्त कृष्ण कुमार अग्रवाल से मिलने उनके घर पहुंचे। प्रसिडेंट ने कहा कि जबसे आपकी तबियत खराब होने की जानकारी मिली, मिलने के लिए बैचेन था। आज देखकर खुशी हुई और संतुष्टि भी मिली....
कोविंद के ये शब्द अपने बीमार मित्र कृष्ण कुमार अग्रवाल से मुलाकात के दौरान बरबस ही निकल पड़े। कोविंद ने कहा, राष्ट्रपति की हैसियत से नहीं, एक दोस्त की हैसियत से घर आया हूं।
कानपुर सर्किट हाउस से प्रसिडेंट का काफिला कृष्ण कुमार अग्रवाल मुन्नाबाबू के घर के लिए निकला। कैंट स्थित उनके आवास में अपने दो दोस्तों को देख प्रसिडेंट मुस्करा उठे। मुन्नाबाबू के घर में कोविंद के एक और अभिन्न मित्र मधुसूदन गोयल भी मौजूद थे, जो पुखरायां से आये थे। तीनों ने एक दूसरे का हालचाल लिया। मुन्ना बाबू के बेटे विकास अग्रवाल ने बताया कि आते ही प्रसिडेंट ने पूरे परिवार का हालचाल लिया। पुरानी यादें ताजा कीं लेकिन राजनीति या व्यापार पर एक शब्द चर्चा नहीं हुई। उन्होंने पहले ही कह दिया था, आपके घर दोस्त आ रहा है, प्रसिडेंट नहीं। 15 साल पुरानी दोस्ती की जड़ें इतनी गहरी हैं कि गवर्नर बनने के बाद बिहार बुलाया। अपने शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया। तब मुन्ना बाबू की पत्नी बीना अग्रवाल शपथ ग्रहण में नहीं जा सकीं थीं। अगले दिन प्रसिडेंट ने खासतौर पर उन्हें आमंत्रित किया। उनके मित्र मधुसूदन गोयल ने बताया कि हम मित्रों के बीच निश्छल स्नेह है। प्रसिडेंट पद के शपथग्रहण के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पंक्ति के पीछे जगह दी थी। परिवार के सदस्यों के रूप में मोदी से मुलाकात कराई थी।
देश के प्रथम नागरिक की सौम्यता है कि मुलाकात के आखिरी दौर में अपने दोस्त के पास बैठकर उन्होंने कहा, मुन्ना बाबू मैनें आपसे बहुत कुछ सीखा है। उसे अपने जीवन में लागू भी किया है। ये शब्द सुनकर दोनों दोस्तों ने भावुक होकर हाथ जोड़ लिए और बोले, ये आपकी महानता है कि राष्ट्रपति के पद पर बैठने के बाद मुझे इतना सम्मान दे रहे हैं। मधुसूदन गोयल ने बताया कि जब कोविंद राज्यसभा सांसद भी नहीं थे, तब पु्खरायां में मुन्ना बाबू से परिचय कराया। पहली ही मुलाकात में दोनों एक दूसरे के कायल हो गये। कोविंद ने कानपुर आकर मुन्ना बाबू के प्रतिष्ठान आने की मंशा जताई। फिर जनरलगंज में उनके प्रतिष्ठान्न कई बार गये। अक्सर भोजन साथ-साथ करते थे। बिहार के गवर्नर बने तो कोविंद ने मुन्ना बाबू को फोन कर इस उपलब्धि की सूचना दी। बोले, दोस्तों के बीच केवल दोस्ती की बात, बस और कुछ नहीं।
भाभी से मिलते ही बोले राष्ट्रपति, लाओ मेरे पेड़े का डिब्बा दो
प्रसिडेंट रामनाथ कोविंद व उनकी पत्नी सविता कोविंद ने रविवार को कानपुर के परौंख में अपने घर पर परिवार के साथ 25 मिनट बिल्कुल सामान्य जीवन की तरह बिताए। भतीजियों के चाचा और नातिनों के नाना बनकर महामहिम ने परिजनों के साथ ऐतिहासिक पलों का लुत्फ उठाया। प्रसिडेंट ने अपनी भाभी से पेड़े का वह डिब्बा भी मांगा जो वह स्टेशन पर पहुंचकर नहीं दे सकी थीं। परिवार वालों ने जो पूजा रखी थी उसका प्रसाद भी राष्ट्रपति और उनकी पत्नी को दिया। राष्ट्रपति जब अपने घर पहुंचे तो सबसे पहले भाभी विद्यावती से मुखातिब हुए। भतीजी अंजली कोविंद ने बताया कि चाचा को घर के बने दूध और खोवा के पेड़े बहुत पसंद हैं। विद्यावती पेड़े के डिब्बे राष्ट्रपति को देने के लिए स्टेशन गई थीं मगर सुरक्षा कारणों से डिब्बा नहीं दे सकी थीं। राष्ट्रपति को वह याद था।
सविता कोविंद को दिया सुहाग का चढ़ावा
राष्ट्रपति और उनके परिवार की स्वास्थ्य खुशहाली के लिए परौंख में शनिवार रात जागरण करवाया गया। इसमें माता की चौकी पर सुहाग का सामान चढ़ाया गया। जब सविता कोविंद रविवार को घर पहुंचीं तो भाभी ने सुहाग का चढ़ावा दिया। वहीं, राष्ट्रपति के भाई प्यारेलाल कोविंद ने पूजा में चढ़ा कलावा दिया। भतीजी हेमलता ने फूलों का गुलदस्ता देकर स्वागत किया। प्रसिडेंट से मिलने के लिए उनकी छह भतीजियां अंजली, अनीता, कमलेश, हेमलता, कंचन और मंजूलता उपस्थित थीं। इसके अलावा नातिन सौम्या, दामाद शुभम और राजेश कुमार भी घर पर थे।
जब दोस्त से कहा-सल्हू कैसे हो
प्रसिडेंट सबसे मिलते हुए आगे बढ़ते जा रहे थे। लाइन में खड़े बचपन के मित्र विजयपाल सिंह को देखते ही बोले सल्हू कैसे हो। दोनों एक-दूसरे को देख कर मुस्कराए। सल्हू ने धीरे से गांव में बारातशाला बनवाने की बात कही तो मुस्कराकर सिर हिलाया और आगे बढ़ गये। समय कम होने के कारण मिलने वालों को लाइन अप करया गया था। जहां से राष्ट्रपति सबका परिचय पूछते हुए ही निकले।
भतीजे ने कहा ठीक हूं चाचा
प्रसिडेंट ने श्ते में भतीजे लगने वाले भोले सिंह भी हाल पूछा, उन्होंने जवाब दिया ठीक हूं चाचा। मंच पर संबोधन के दौरान भी उन्होंने भोले सिंह का नाम लिया। मंच पर बैठे एमपी की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह भोले सिंह नहीं हमारे गांव के भोले सिंह हैं। भोले बहुत खुश नजर आये। उनका कहना था कि चाचा ने पूरी तवज्जो दी।