Atique -Asraf murder case: अतीक अहमद-अशरफ मर्डर पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका, स्वतंत्र जांच की मांग
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में पुलिस कस्टडी के दैरान 15 अप्रैल की रात माफिया अतीक अहमद और छोटे भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ की गोली मारकर मर्डर का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इस डबल मर्डर मामले में एडवोकेट विशाल तिवारी व एक्स आइपीएस अमिताभ ठाकुर ने सु्प्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में पुलिस कस्टडी के दैरान 15 अप्रैल की रात माफिया अतीक अहमद और छोटे भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ की गोली मारकर मर्डर का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इस डबल मर्डर मामले में एडवोकेट विशाल तिवारी व एक्स आइपीएस अमिताभ ठाकुर ने सु्प्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। यह भी पढ़ें:Jharkhand: रांची में सब इंस्पेक्टर की सरकारी पिस्टल चोरी करने समेत आधा दर्जन से अधिक मामलों में फरार तीन क्रिमिनल अरेस्ट
एडवोकेट विशाल तिवारी ने की स्वतंत्र जांत की मां
एडवोकेट विशाल तिवारी रविवार को ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।मले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में स्वतंत्र एक्सपर्ट कमेटी बनाने का अनुरोध किया। विशाल तिवारी ने कहा है कि अतीक-अशरफ की पुलिस कस्टडी में मर्डर की जांच होनी चाहिए। एनकाउंटर कानून के राज के खिलाफ है। इससे शांति भंग होती है। साथ ही तिवारी की याचिका में 2017 के बाद से यूपी में हुए सभी 183 एनकाउंटर की जांच का भी अनुरोध किया गया है।
विशाल तिवारी एक दशक से भी ज्यादा समय से सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे हैं। वह कोर्ट में जनहित से जुड़े मुद्दे उठाते रहे हैं। वह हैदराबाद में थे , वहीं से उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। उन्होंने कहा कि पुलिस पर गंभीर आरोप लग रहे हैं इसलिए स्वतंत्र जांच होनी चाहिए। उन्होंने सवाल किया है कि गरीब तबके से आने वाले हमलावरों के पास आर्म्स कहां से आये, फंडिंग कैसे हुई। यह षड्यंत्र लगता है कि वे पत्रकार बनकर आए और गोलियां चलाने लगे।
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआइ जांच हो: अमिताभ ठाकुर
एक्स आइपीएस अमिताभ ठाकुर ने अतीक-अशरफ मर्डर के मामले में सुप्रीम कोर्ट में दूसरी याचिका दाखिल की है। लेटर पिटिशन में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले को सीबीआई को देने का आग्रह किया गया है। ठाकुर ने एक वीडियो संदेश में कहा है कि जिस प्रकार से यूपी पुलिस ने अब तक इस मामले में लीपापोती की है या हल्के ढंग से लिया है। उससे इस मर्डर केसके उच्चस्तरीय राज्य पोषित षड्यंत्र होने की स्थिति से इनकार नहीं किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में इस कांड की यूपी पुलिस द्वारा निष्पक्ष जांच संभव नहीं है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के स्पष्ट निगरानी में सीबीआई द्वारा जांच किया जाना आवश्यक है।'
षडयंत्र की उच्चस्तरीय संभावना
अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष और एक्स आइपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने अपनी याचिका में कहा है कि भले ही अतीक अहमद और उसके भाई अपराधी हों. लेकिन, जिस प्रकार से उनकी मर्डर हुई है, उससेइसके राज्य पोषित होनेकी पर्याप्त संभावना दिखती है। जिस प्रकार इस मर्डर की पृष्ठभूमि है, उससे भी इस घटना के राज्य पोषित होनेकी संभावना बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि इस मर्डर के बाद जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस मामलेको ढीला करनेका प्रयास किया हैऔर मामले में कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं की है, उससे भी इस मामले के उच्चस्तरीय षड्यंत्र की संभावना दिखती है।
यूपी पुलिस सेनहीं कराई जा सकती जांच
अमिताभ ठाकुर नेकहा कि भले ही कोई व्यक्ति अपराधी क्यों ना हो लेकिन, किसी भी व्यक्ति को पुलिस कस्टडी में स्टेट षड्यंत्र करके मर्डर कर दिया जाना किसी भी सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं है। इन स्थितियों में यदि इस बात की संभावना व्यक्त की जा रही है कि यह राज्य पोषित मर्डर हो सकती हैतो निश्चित रूप से इसकी जांच स्थानीय पुलिस से नहीं कराई जा सकती। उन्होंने कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के पर्यवेक्षण में सीबीआई के जरिए कराना बेहतर है। अमिताभ ठाकुर लखनऊ में रहते हैं। अधिकार सेना नाम से पार्टी चलाते हैं। इन्होंने ट्विटर बायो में लिखा है कि अन्याय, अत्याचार और भ्रष्टाचार के खिलाफ अधिकार सेना है।
इन बिंदुओं के आधार पर सीबीआई जांच की मांग
आरोपियों का सुगमता से पुलिस बल की मौजूदगी में मौके पर आना और मर्डर करना।
अभियुक्तों को जान का भारी खतरा होनेके बावजूद वारदात के दौरान बहुत कम पुलिस बल का होना।
मर्डर के समय दोनों अभियुक्तों को काफी असुरक्षित स्थिति में रखा जाना।
पुलिस कस्टडी में होनेके बाद भी पत्रकारों से बातचीत का अवसर देना।
मौके पर कथित पत्रकारों की कोई चेकिंग तक नहीं किया जाना।
फायरिंग के लाइव मौके पर यूपी पुलिस का पूरी तरह निष्क्रिय रहना।
पुलिस कस्टडी में मौजूद अभियुक्तों की जीवन रक्षा के लिए मौके पर कोई भी आवश्यक जवाबी फायरिंग नहीं करना।
फायरिंग प्रारंभ होते ही पुलिस का बहुत तेजी से मौके से पीछे हटना।
लोकल लोगों के बयानों के अनुसार पुलिस का घटना के पहले स्थल को जानबूझ कर खाली कराया जाना।
इस पूरी घटना की पृष्ठभूमि और पिछले दिनों लगातार घट रहे घटनाक्रम के तथ्य।
पुलिस कस्टडी में गोली मारकर कर दी गयी माफिया अतीक अहमद और अशरफ की मर्डर
उमेश पाल मर्डर केस में पुलिस कस्टडी रिमांड पर लिये गये माफिया अतीक अहमद और उसके छोटे भाई एक्स एमएलए खालिद अजीम उर्फ अशरफ की 15 अप्रैल को रात लगभग साढ़े 10 बजे पुलिस कस्टडी में गोली मार कर मर्डर कर दी गयी थी। दोनों मेडिकल टेस्ट के लिए कॉल्विन हॉस्पिटल लाया गया था। पुलिस कस्टडी में माफिया ब्रदर्स कॉल्विन हॉस्पिटल के बाहर पत्रकारों से बात कर रहे थे। एक पत्रकार ने पूछा- आज जनाजे में आप लोग नहीं गये। उस बारे में कुछ कहना है? इस पर अतीक बोला- नहीं ले गए तो नहीं गये। इसी समय अशरफ ने बोलना शुरू किया- 'मेन बात ये है कि गुड्डु मुस्लिम...' इसी बीच एक युवक पीछे से आता है और तुर्किये मेड जिगाना पिस्टल से अतीक की कनपटी पर फायर कर देता है। अगले एक सेकेंड से भी कम समय में दो और फायर होते हैं, जो अशरफ की पसलियों में धंस जाते हैं। मौके पर ही अतीक व अशरफ की मौत हो गयी। अफरा-तफरी के बीच सभी मीडियाकर्मी और पुलिसकर्मी पीछे हट जाते हैं। इसके बाद तीन हमलावर अगले 16 सेकेंड में 18 राउंड फायर करते हैं। फिर हाथ उठाकर धार्मिक नारे लगाते हुए तीनों हमलावरों लवलेश तिवारी (बांदा), मोहित उर्फ सनी (हमीरपुर) और अरुण मौर्य (कासगंज) सरेंडर कर दिये। पुलिस आरोपियों के पास से घटना में प्रयुक्त तुर्किये मेड जिगाना पिस्टल को बरामद ली।