बिहार: दर्जनों IAS-IPS के फ्रैंड को EOU ने किया अरेस्ट, हाईकोर्ट का जज बनकर DGP को किया था कॉल
बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) राजधानी पटना से अभिषेक अग्रवाल नामक एक फर्जी जज को अरेस्ट किया है। वह पटना हाईकोर्ट का सीनियर जज बनकर बिहार के डीजीपी को फोन करता था। वह तत्कालीन एसएसपी को बचाने के लिए जज के नाम पर डीजीपी पर दबाव बना रहा था। शक होने पर EOU जांच का आदेश दिया गया। इसके बाद ईओयू ने 24 घंटे भर में ही पूरे मामले से खुलासा कर दिया।
पटना। बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) राजधानी पटना से अभिषेक अग्रवाल नामक एक फर्जी जज को अरेस्ट किया है। वह पटना हाईकोर्ट का सीनियर जज बनकर बिहार के डीजीपी को फोन करता था। वह तत्कालीन एसएसपी को बचाने के लिए जज के नाम पर डीजीपी पर दबाव बना रहा था। शक होने पर EOU जांच का आदेश दिया गया। इसके बाद ईओयू ने 24 घंटे भर में ही पूरे मामले से खुलासा कर दिया।
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जालसाज अभिषेक हाई कोर्ट का फर्जी जस्टिस बन डीजीपी एसके सिंघल को काल आइपीएस अफसर आदित्य कुमार की पैरवी के लिए किया था। ईओयू ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 24 घंटे के अंदर मुख्य अभियुक्त नागेश्वर कालोनी के निलयम अपार्टमेंट में रहने वाले अभिषेक अग्रवाल के साथ साजिश में शामिल गौरव राज, राहुल रंजन जायसवाल और शुभम कुमार को पटना से अरेस्ट कर लिया। आरोपितों के पास से नौ मोबाइल फोन और कई फर्जी सिम कार्ड बरामद किये गये हैं।इस मामले में गया के तत्कालीन एसएसपी और वर्तमान में एआइजी (आइ) आदित्य कुमार को भी नेम्ड किया गया है। सभी पर जालसाजी, धोखाधड़ी और साइबर एक्ट की सेक्शन में एफआइआर दर्ज की हैं। फिलहाल आइपीएस आदित्य कुमार फरार बताये जा रहे हैं। उनका मोबाइल फोन भी बंद आ रहा है।
केस रफा-दफा करने व अच्छी पोस्टिंग के लिए की थी पैरवी
ईओयू की पूछताछ में अभिषेक अग्रवाल ने पूछताछ में डीजीपी को काल करने की बात स्वीकार की है। उसने आइपीएस आदित्य कुमार को अपना फ्रैंड बताया है। इस मामले में अन्य आरोपितों से भी पूछताछ की जा रही है।गया में बतौर एसएसपी रहते हुए आइपीएस आदित्य कुमार आदित्य कुमार पर शराब तस्करों से सांठ-गांठ का आरोप लगा था। मामले की जांच हुई तो थानेदार के साथ तत्कालीन आइजी अमित लोढ़ा की भी भूमिका संदिग्ध पाई गई। जांच रिपोर्ट के आधार पर गया के फतेहपुर पुलिस स्टेशनमें तत्कालीन एसएसपी आदित्य कुमार पर एफआइआर दर्ज की गई थी। आरोप है कि जालसाज अभिषेक अग्रवाल इसी मामले के लिए डीजीपी एसके सिंघल को फोन कर पैरवी कर रहा था। वह केस को रफा-दफा करने, डिपार्टमेंटल प्रोसिडिंग समाप्त करने के साथ अच्छी पोस्टिंग के लिए भी दबाव बना रहा था।
डीजीपी को करता था वाट्सऐप कॉल
जालसाज अभिषेक अग्रवाल ने डीजीपी को फोन करने के लिए फर्जी सिम कार्ड और नया मोबाइल लिया था। सिम कार्ड राहुल कुमार के नाम से लिया गया था। अभिषेक डीजीपी को हर बार वाट्सऐप काल पर खुद को हाईकोर्ट का जस्टिस बताता था और आइपीएस अफसर की पैरवी करता। उसने कई बार वाट्सऐप पर मैसेज भी किए थे। बार-बार काल करने पर डीजीपी को इस मामले में शक हुआ तो उन्होंने ईओयू को जांच सौंपी। ईओयू ने 24 घंटे में पूरी साजिश का खुलासा कर दिया।