पराग जैन बने RAW के नये चीफ, रवि सिन्हा की जगह लेंगे
सेंट्रल गवर्नमेंट ने 1989 बैंच के पंजाब कैडर के आईपीएस अफसर पराग जैन को रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) का नया चीफ बनाया। वह रवि सिन्हा की जगह लेंगे जिनका कार्यकाल 30 जून को समाप्त हो रहा है।

- 1989 बैच के आईपीएस हैं पराग जैन
नई दिल्ली। सेंट्रल गवर्नमेंट ने 1989 बैंच के पंजाब कैडर के आईपीएस अफसर पराग जैन को रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) का नया चीफ बनाया। वह रवि सिन्हा की जगह लेंगे जिनका कार्यकाल 30 जून को समाप्त हो रहा है।
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आईपीएस अफसर जैन का दो साल का कार्यकाल ऑफिसयल तौर पर एक जुलाई से शुरू होगा। वह दो साल तक रॉ चीफ के पद पर रहेंगे। पराग जैन 'ऑपरेशन सिंदूर' की योजना में शामिल थे। पराग जैन को आतंकवाद रोकने का विशेषज्ञ माना जाता है। उन्हें अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बारे में अच्छी जानकारी है। जैन को RAW में दो दशक से अधिक का अनुभव है।
रवि सिन्हा 30 जून, 2025 को रिटायर हो जायेंगे। पराग जैन एक जुलाई, 2025 को दो साल के लिए रॉ चीफ का पद संभालेंगे। वर्तमान में वह एविएशन रिसर्च सेंटर (ARC) के प्रमुख हैं। पहले वह सिन्हा के बाद दूसरे नंबर पर थे। अब उन्हें रिसर्च एंड एनालिसिस विंग का अगला कार्यकारी सचिव बनाया गया है।पराग जैन के पास खुफिया और राष्ट्रीय सुरक्षा का लंबा अनुभव है।
खुफिया और राष्ट्रीय सुरक्षा का लंबा अनुभव
पराग जैन लंबे समय से सेंट्रल डिपुटेशन पर हैं। कैबिनेट ब्रांच में कार्यरत हैं। उनके पास खुफिया और राष्ट्रीय सुरक्षा का लंबा अनुभव है। जम्मू और कश्मीर में अपने कार्यकाल में उन्होंने आतंकवाद विरोधी रणनीतियों को तैयार करने और उन्हें क्रियान्वित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
ऑपरेशन सिंदूर में निभाई थी जिम्मेदारी
वर्तमान में, जैन एविएशन रिसर्च सेंटर के प्रमुख हैं, जहां उन्होंने पाकिस्तानी सैन्य गतिविधि और आतंकी ठिकानों पर महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी जुटाने की देखरेख की, जिसने भारतीय सेना के सफल ऑपरेशन सिंदूर का मार्ग प्रशस्त किया। उनकी वाइफ सीमा जैन 1992 बैच की आईएएस अफसर हैं। वाउफ भी दिल्ली में ही डिपुटेशन पर हैं।पराग जैन को आतंकवाद को रोकने का माहिर माना जाता है। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के इलाकों को लेकर उनकी अच्छी जानकारी है। माना जा रहा है कि उनकी इस जानकारी से रॉ को आने वाले सालों में काफी फायदा होगा। खासकर सीमा पार से होने वाले आतंकी हमलों को रोकने में वह मददगार साबित होंगे।
कौन हैं पराग जैन?
पराग जैन चंडिगढ़ के एसएसपी के रूप में भा कार्य कर चुके हैं। साथ ही उन्होंने कनाडा और श्रीलंका में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया है। पराग जैन जम्मू-कश्मीर में भी तैनात रहे हैं, जहां उन्होंने संघर्षग्रस्त केंद्र शासित प्रदेश में केंद्र की आतंकवाद विरोधी रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर में भी अहम भूमिका निभायी थी। वे चंडीगढ़ के एसएसपी और लुधियाना के डीआईजी भी रह चुके हैं। उनके करियर में पंजाब में आतंकवाद के चरम के दौरान महत्वपूर्ण परिचालन योगदान शामिल है, जहां उन्होंने विभिन्न जिलों में एसएसपी और डीआईजी के रूप में कार्य किया।
धारा 370 हटाने में दिया योगदान
पराग जैन लंबे समय से रॉ के साथ जुड़े हुए हैं और उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एक अहम भूमिका भी निभायी थी।
पराग जैन ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने और बालाकोट एअरस्ट्राइक जैसे महत्वपूर्ण ऑपरेशन में भी योगदान दिया है। उनकी विशेषता विशेष रूप से पाकिस्तान डेस्क को संभालने में रही है।
पाकिस्तान डेस्क संभाला
अफसरों का कहना है कि रॉ के भीतर, जैन ने पाकिस्तान डेस्क को बड़े पैमाने पर संभाला है, जिसमें अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के दौरान जम्मू और कश्मीर में कार्यकाल शामिल है। जैन श्रीलंका और कनाडा में भारतीय मिशनों में भी काम कर चुके हैं। कनाडा में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने वहां से संचालित खालिस्तानी आतंकी मॉड्यूल पर नज़र रखी।
RAW प्रमुख का पद भारत सरकार में सबसे वरिष्ठ सचिव-स्तरीय अधिकारी के बराबर
RAW प्रमुख का पद भारत सरकार में सबसे वरिष्ठ सचिव-स्तरीय अधिकारी के बराबर होता है। राष्ट्रीय सुरक्षा और पद की संवेदनशीलता के कारण उनकी सटीक सैलरी सार्वजनिक रूप से घोषित नहीं की जाती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रॉ चीफ की सैलरी लगभग 2.5 लाख रुपये प्रति महीना होती है। उन्हें भारत सरकार के सचिव-स्तर के अधिकारियों के समान वेतनमान मिलता है, जो सातवें वेतन आयोग के तहत आता है। इसमें मूल वेतन, महंगाई भत्ता (DA), मकान किराया भत्ता (HRA) और अन्य विशेष भत्ते शामिल होते हैं। इसके अलावा उन्हें और भी तरह की कई सुविधाएं मिलती हैं। इनमें सरकारी आवास, सुरक्षा कवर, सरकारी वाहन, चिकित्सा सुविधाएं, यात्रा भत्ते और अन्य विशेष भत्ते शामिल हैं, जो उनके पद की प्रकृति के कारण दिए जाते हैं। इन सभी को मिलाकर उनका कुल वेतन 3.5 लाख से चाार लाख रुपये प्रति महीने तक हो सकता है।
रॉ ऐसे करती है काम
रॉ भारत की विदेशी खुफिया एजेंसी है। इसका काम विदेश से खुफिया जानकारी जुटाना है। 1968 से पहले इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) ही देश के अंदर और बाहर, दोनों जगह खुफिया जानकारी जुटाने का काम करता था। लेकिन, 1962 में चीन से युद्ध हुआ और 1965 में पाकिस्तान से। इसके बाद महसूस हुआ कि विदेशी खुफिया जानकारी जुटाने के लिए एक अलग एजेंसी होनी चाहिए। इसलिए रॉ का गठन किया गया।