बिहार: विधानसभा में मिनिस्टर ने स्पीकर को दी झिड़की, घंटों ठप रही कार्यवाही, सम्राट चौधरी को मांगनी पड़ी माफी
बिहार विधानसभा के बजट सेशन के दौरान मंगलवार को सगन का मर्यादा विपक्षी दल नहीं सुशासन बाबू नीतीश कुमार के मिनिस्टर सम्राट चौधरी ने ही तोड़ी। बीजेपी कोटे से मिनिस्टर सम्राट चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के खिलाफ टिप्पणी कर दी। इस दौरान सदन में जमकर हंगामा हुआ।
- विधानसभा अध्यक्ष से बोले मंत्री सम्राट चौधरी- व्याकुल होने की जरूरत नहीं
- अध्यक्ष ने कहा कि शब्द वापस लीजिए मगर मंत्री ने कर दिया इंकार कर
- मिनिस्टर के व्यवहार से कुपित होकर आसान छोड़कर चले गये
- माफी मांगने पर ही दोबारा सदन में आने की बात कही
- विधानसभा के इतिहास में पहली बार किसी मंत्री ने स्पीकर को दी
पटना। बिहार विधानसभा के बजट सेशन के दौरान मंगलवार को सगन का मर्यादा विपक्षी दल नहीं सुशासन बाबू नीतीश कुमार के मिनिस्टर सम्राट चौधरी ने ही तोड़ी। बीजेपी कोटे से मिनिस्टर सम्राट चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के खिलाफ टिप्पणी कर दी। इस दौरान सदन में जमकर हंगामा हुआ।
मिनिस्टर ने विधानसभा अध्यक्ष को झिड़की देते हुए कहा दिया कि ज्यादा व्याकुल मत होइए। अध्यक्ष ने कहा कि शब्द वापस लीजिए मगर मिनिस्टर ने इंकार कर दिया। इसके बाद उन्होंने सदन 12 बजे तक स्थगित कर दिया। वे मंत्री के व्यवहार से कुपित होकर आसान छोड़कर चले गये।मिनिस्टर के माफी मांगने पर ही दोबारा सदन में आने की बात कही। अध्यक्ष मंत्री की माफी के लिए अड़ गए तो मंत्री ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। इस बीच सदन की कार्यवाही घंटों ठप रही। भोजनावकाश के बाद मंत्री के माफी मांगने पर सदन की कार्रवाही दोबारा शुरू हो सकी।
मिनिस्टर की आपत्तिजनक टिप्पणी
विधानासभा अध्यक्ष विजय सिन्हा ने प्रश्नोत्तर काल में मिनिस्टर सम्राट चौधरी से कहा कि उनके विभाग का ऑनलाइन जवाब नहीं आया है। इसपर मंत्री ने कहा 16 में से 14 प्रश्नों के जवाब दे दिये जाने की बात कही। इसपर अध्यक्ष ने कहा कि सुबह नौ बजे तक केवल 11 प्रश्नों के जवाब आये थे। इसी पर मिनिस्टर ने कहा कि वे व्याकुल न हों। अध्यक्ष ने मिनिस्टर से अपने शब्द वापस लेने को कहा, जिससे उन्होंने ने इनकार कर दिया। इसके बाद अध्यक्ष ने 12 बजे तक सदन को स्थगित कर दिया। फिर सदन को दो बजे तक स्थगित कर दिया गया।
मिनिस्टर के माफी मांगने पर शुरू हुआ सदन
भोजनावकाश के बाद विधानसभा में मिनिस्टर सम्राट चौधरी ने माफी मांगी। कहा कि उनके आचरण से विधानसभा अध्यक्ष की भावना आहत हुई है तो वे माफी मांगते हैं। वे आसन का सम्मान करते हैं। इसके बाद विधानसभा की कार्यवाही सात मिनट देर से शुरू हुई। विधानसभा में इससे पहले संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने भी खेद प्रकट किया। इसके बाद सदन की कार्रवाही शुरू हो सकी।
विधानसभा के इतिहास में यह पहली घटना
विधानसभा के ज्ञात इतिहास में यह पहली घटना है जब किसी मिनिस्टर की झिड़की से विधानसभा अध्यक्ष कुपित होकर आसन छोड़कर चले गए। वैसे सत्र के शुरू होने के समय से ही कुछ मंत्रियों के साथ विधानसभा अध्य्क्ष विजय कुमार सिन्हा के रिश्ते तल्ख चल रहे हैं। इससे पहले उनकी डिप्टी तारकिशोर प्रसाद से झड़प हुई थी। विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें भी विभाग का सवाल ऑनलाइन न भेजने के लिए झिड़की दी थी।विधानसभा में अध्यक्ष से हुई नोक-झोंक और हंगामे के बाद पंचायतीराज मंत्री सम्राट चौधरी ने अपने कथन पर खेद व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि आसन के सम्मान को ठेस पहुंचाने की उनकी कोई मंशा नहीं थी। संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि मंत्री परिषद के एक सदस्य के बयान से आसन के सम्मान को ठेस पहुंची है। ऐसा भविष्य में नहीं होना चाहिए। सरकार की ऐसी मंशा कभी नहीं है। कहा कि संबंधित मंत्री को भी इस घटना पर दुख है।
पंचायती राज मिनिस्टर के बोल
पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी बुधवार को जैसे ही एमएलए विनय बिहारी के सवाल का जवाब देने के लिए खड़े हुए तो विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें टोक दिया। विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा ने सम्राट चौधरी को कहा कि उनके विभाग से ऑनलाइन जवाब पूरे दाखिल नहीं हुए हैं। मिनिस्टर ने कहां कि उन्होंने 16 में से 14 सवालों के जवाब दे दिए हैं। अध्यक्ष विजय सिन्हा ने कहा कि उनके विभाग से सुबह नौ बजे तक 16 में से 11 जवाब ही आये थे जो कि 69 परसेंट हैं। विधानसभा अध्यक्ष का जबाव सुनकर सम्राट चौधरी ने कहा कि व्याकुल नहीं होना है, आप दिखवा लीजिए। फिर सभाध्यक्ष ने व्याकुल शब्द को वापस लेने की बात कही तो सम्राट बोले कि ऐसे सदन नहीं चलेगा, व्याकुल होने की जरूरत नहीं है। इस पर सभाध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित कर दी। 12 बजे भी जब सदन की कार्यवाही शुरू करने विधानसभा अध्यक्ष नहीं आए। सभापति नरेंद्र नारायण यादव ने कार्यवाही शुरू की।
मिनिस्टर की हjकत पर विपक्ष ने सत्तापक्ष को घेरा
बिहार विधानसभा में सम्राट चौधरी और विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा के बीच तीखी नोंक-झोंक पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा, 'मर्माहत हूं। बिहार में सत्ता पक्ष और मंत्री सदन की गरिमा और आसन की महत्ता को तार-तार कर रहे है। सरकार के एक भाजपाई मंत्री अध्यक्ष महोदय की तरफ़ उंगली उठाकर कह रहे है कि व्याकुल मत होईए। ऐसे सदन नहीं चलेगा। कैसे-कैसे लोग मंत्री बन गये है जिन्हें लोकतांत्रिक मर्यादाओं का ज्ञान नहीं?' आरजेडी एमएळए राहुल तिवारी ने कहा, 'सम्राट चौधरी को विधानसभा अध्यक्ष से माफी मांगनी चाहिए और उन्हें मंत्री पद से हटाना चाहिए। सम्राट चौधरी की सदस्यता भी समाप्त कर देनी चाहिए। एमएलए के बीच तू-तू मैं-मैं हो तो समझ आता है। लेकिन अध्यक्ष से तू-तू मैं-मैं सही नहीं है यह गलत है। पद की गरिमा का ख्याल रखना चाहिए।'
सीएम नीतीश के मनुहार पर भी नहीं मानें, मिनिस्टर को मांगनी पड़ी माफी मांगी
बिहार विधानसभा के इतिहास में यह पहली बार है जब स्पीकर ही रूठ गये। उन्होंने बीजेपी के मिनिस्टर सम्राट चौधरी के माफी मांगने पर ही हाउस चलाने की बात कही। उन्होंने यहां तक कहा कि यदि मिनिस्टर माफी नहीं मांगते हैं तो वे पद छोड़ देंगे। इस भारी संकट में सीएम नीतीश कुमार ने विधान सभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा से फोन पर बातचीत की। उनका मनुहार किया। उन्हें मनाने की कोशिश की। मगर अध्यक्ष ने साफ कह दिया कि ऐसे में हमसे हाउस नहीं चलेगा।मिनिस्टर जीवेश मिश्रा अध्यक्ष के कमरे में पहुंच गए । कहा कि हम भी मंत्री के व्यवहार से आहत हैं। आप सख्त रूख अपनाइए। हम साथ हैं। हालांकि सीएम ने स्पीकर को मनाने की कोशिश की। फोन कर बातचीत की।
पारदर्शी आसन से सभी लोग प्रसन्न नहीं हो सकते : सभाध्यक्ष
पक्ष-विपक्ष की ओर से पिछले कुछ दिनों से पक्षपात के भेदभाव के आरोपों से आहत विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने इस मुद्दे पर मंगलवार को विधानसभा में खुलकर अपनी बात रखी। प्रश्नोत्तरकाल के दौरान उन्होंने दोनों पक्षों की ओर से बेवजह किसी पक्ष की ओर से गाइड होने की बात को बेबुनियाद और गलत बताया। कहा कि पूरी पारदर्शिता के साथ काम करने वाले आसन से सभी लोग प्रसन्न नहीं हो सकते। आसन नियमों और परंपराओं से सर्वजनहिताय काम करता है और निर्णय लेता है। अध्यक्ष ने कहा कि आसन निष्पक्ष है और सदस्यों के आचरण को जनता देख रही है। उन्होंने कहा कि कोई भी आसन पर दबाव नहीं बना सकता है। अपने व्यवहार को ठीक रखिए। मर्यादित आचरण करें, ताकि किसी की भावना आपके व्यवहार से आहत नहीं हो। यह जीवन नश्वर है, जन्म हुआ है तो मौत भी अटल है। ऐसे में हमारा व्यवहार और कार्य ही हमें लोगों के दिलों में जिंदा रखेगा।
सभाध्यक्ष ने कहा कि आसन पर अकारण टीका-टिप्पणी कर सभी अपनी ही विश्वसनीयता खोते हैं। जनता बहुत संवेदनशील और सूक्षम समालोचक है, वह संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के मनोभावों को बड़ी आसानी से समझ लेती है। सलाह दी कि ऐसी मानसिकता को त्याग कर सभी अपनी जिम्मेदारी के प्रति सजग रहें। आश्वस्त किया कि आसन सभी माननीय सदस्यों के हितों का संरक्षक है।