बिहार: पटना में पुनपुन के समीप जनशताब्दी एक्सप्रेस व कार की भीषण टक्कर, इंजीनियर दंपती व बेटे की मौत
पुनपुन के पास जनशताब्दी एक्सप्रेस व कार की टक्कर में एक इंजीनियर दंपती व उनके पांच साल के बेटे की दर्दनाक मौत हो गई। कार में तीन लोग ही सवार थे।
- रेलवे ट्रैक पर फंसी बोलेरो से ट्रेन टकरायी
- दिल्लीे में कार्यरत सॉफ्टवेयर इंजीनियर दंपती व उनके मासूम बेटे की दर्दनाक मौत
पटना। पुनपुन के पास जनशताब्दी एक्सप्रेस व कार की टक्कर में एक इंजीनियर दंपती व उनके पांच साल के बेटे की दर्दनाक मौत हो गई। कार में पटना के पश्चिमी आनंदपुरी स्थित कपिलदेव अपार्टमेंट निवासी सुमित, उनकी पत्नी नीलिका व बेटे प्रणीत सवार थे।
ट्रैक पर कार से टकराई जनशताब्दीं
कार शनिवार की सुबह अवैध रेलवे क्रॉसिंग पार करते समये रेल पटरी पर ही फंस गई। इसी बीच पटना से रांची जाने वाली जनशताब्दी एक्सकप्रेस आ गई। ट्रेन के ड्राइवर ने इमरजेंसी ब्रेक लगाई, लेकिन एक्सीडेंट हो ही गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार टक्कर के बाद जोर धमाके की आवाज दूर गांव तक गई। गाड़ी का पिछला हिस्सा उड़कर पास की झाड़ियों में जा गिरा।ट्रेन के कार से टकराने पर तेज आवाज हुई। इस दौरान ट्रेन भी हिल गई। आवाज सुनकर आसपास गांव के लोग दौड़े। लोगों ने कार में देखा तो कार में सवार तीनों की मौके पर ही मौत हो चुकी थी।
दिल्लीं में सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे दंपती
एक्सीडेंट हुई दिल्ली नंबर की कार पर सवार सुमित सिंह (42 वर्ष) व निलिका बिहारी सिंह (35 वर्ष) के साथ उनके बेटे प्रणीत कुमार (पांच वर्ष) की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। यह फैमिली पटना के बोरिंग रोड का रहने वाला था। पुनपुन के धरहरा गांव में सुमित की ससुराल है। वह फैमिली के साथ बोरिंग रोड से ससुराल जा रहे थे इसी दौरान हादसा हो गया। फैमिली के लोगों का कहना है कि दोनों पति पत्नी नोएडा में सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे। कार सुमित चला रहे थे।
लोगों ने बनाया था अवैध रास्ता।
रेलवे के सीपीआरओ राजेश कुमार ने बताया कि नदवा स्टेशन के पास हादसा हुआ है। रेलवे ट्रैक पर अचानक आई कार से ट्रेन की टक्कर हुई है। जहां एक्सीडेंट हुई है, वहां कोई रेलवे फाटक नहीं है। वहां ग्रामीणों ने अपने लेवल से रास्ता बना दिया था, जिसे हादसे के बाद पहुंची रेलवे की टीम ने बंद कर दिया। जेसीबी से रास्ते की खुदाई कर रास्ता बाधित कर दिया गया है।
गये थे बेटी-दामाद और नाती रिसीव करने,तीनों के शव लेकर घर लौटे
धरहरा गांव निवासी सुरेंद बिहारी सिंह को बेटी-दामाद और नाती के आने की खुशी थी। वह सुबह पैदल ही तीनों को रिसीव करने रेलवे लाइन के पास पहुंच गए। मगर नियति को कुछ और ही मंजूर था। हृदयविदारक घटना ने उनकी खुशी छीन ली। वह तीनों के शव लेकर घर लौटे। फफक-फफक कर रो रहे सुरेन्द्र बिहारी सिंह ने बताया कि शनिवार की सुबह सोकर उठे तो फोन पर बेटी और दामाद से बात की। उनलोगों ने कहा कि पुनपुन से आगे आ गये हैं। वह हर बार की तरह इस बार भी वे घर से निकल कुछ दूर स्थित रेलवे ट्रैक के पास पहुंच गये। कुछ देर बाद दामाद की गाड़ी को रेलवे ट्रैक पार कराने लगे। दामाद सुमित कार चला रहे थे, जबकि बगल की सीट पर बेटी निलिका बिहारी व पिछले की सीट पर नाती प्रणीत बैठा था। कार अभी ट्रैक पार करती, तभी उनकी नजर पटना की ओर से आती शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन पर पड़ी। उन्होंने इशारे में दामाद को कार पीछे ले जाने को कहा, लेकिन कार का शीशा बंद रहने की वजह से वे इशारा नहीं समझ पाए। हालांकि निलिका ने इशारे की बात बताई तो सुमित हड़बड़ा गये. कार ट्रैक पर ही बंद हो गई। जब तक वे तीनों बाहर निकलते तब तक कार ट्रेन की चपेट में आ गई। उनकी आंख के सामने सबकुछ उड़ गया। वह चाहकर भी कुछ नहीं कर पाये। ए। बाद में वे घर लौटे पर बेटी-दामाद और नाती के शव लेकर वह भी पुलिस के साथ। शव देखकर गांव में कोहराम मच गया।
एक साथ उठी तीन अर्थी,मची चीत्कार
पटना के पश्चिमी आनंदपुरी स्थित कपिलदेव अपार्टमेंट में शनिवार एक साथ मासूम बच्चे और उसके मात--पिचा की अर्थी उठी तो वहां मौजूद हर किसी की आंखें नम हो गईं। घर की महिलाओं की चीत्कार से इलाके में मातमी सन्नाटा पसर गया। दीघा घाट पर गौरव ने अपने बड़े भाई सुमित और भाभी निलिका को मुखाग्नि दी। जबकि भतीजे प्रणीत के शव को वहीं दफना दिया गया।