Bihar: NDA ने उपेंद्र कुशवाहा को बनाया राज्यसभा कैंडिडेट, बीजेपी कोटे की सीट से जायेंगे उपरी सदन
बिहार में लोकसभा चुनाव के बाद और आगामी विधानसभा इलेक्शन से पहले कुशवाहा पॉलिटिक्स चरम पर है।बीजेपी ने कोइरी यानी कुशवाहा जाति के एनडीए में बड़े नेता उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा में भेजने कै फसला किया है।
- बिहार में कुशवाहा के दोनों हाथ में लड्डू
पटना। बिहार में लोकसभा चुनाव के बाद और आगामी विधानसभा इलेक्शन से पहले कुशवाहा पॉलिटिक्स चरम पर है।बीजेपी ने कोइरी यानी कुशवाहा जाति के एनडीए में बड़े नेता उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा में भेजने कै फसला किया है।
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राज्यसभा की सदस्यता के लिए एनडीए की ओर से मेरी उम्मीदवारी की घोषणा के लिए बिहार की आम जनता एवं राष्ट्रीय लोक मोर्चा सहित एनडीए के सभी घटक दलों के कर्मठ कार्यकर्ताओं, जिन्होंने विपरित परिस्थिति में भी मेरे प्रति अपना स्नेह बनाए रखा, भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेन्द्र…
— Upendra Kushwaha (@UpendraKushRLM) July 2, 2024
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने मंगलवार को कहा कि पार्टी अपने कोटे से एक सीट पर उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा भेजेगी। वहीं, एक अन्य सीट पर सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) अपना कैंडिडेट उतारेगी। नवादा लोकसभा सीट से जीतकर संसद पहुंचे बीजेपी के विवेक ठाकुर और पाटलीपुत्रा से जीतने वाली आरजेडी की मीसा भारती की राज्यसभा से इस्तीफा देने से उपरी सदन की दो सीटें खाली हुई हैं। इन दोनों सीटों पर उपचुनाव होनेवाले हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में उपेंद्र कुशवाहा को बीजेपी के बागी पवन सिंह के निर्दलीय उतरने से काराकाट में हार का सामना करना पड़ा था।
उपेंद्र कुशवाहा ने ट्वीट कर जताया आभार
सम्राट चौधरी के इस ऐलान के बाद खुद रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने ट्वीट कर अपनी राज्यसभा की सदस्यता को लेकर जानकारी दी है। उन्होने ट्वीट में लिखा है कि राज्यसभा की सदस्यता के लिए एनडीए की ओर से मेरी उम्मीदवारी की घोषणा के लिए बिहार की आम जनता एवं राष्ट्रीय लोक मोर्चा सहित एनडीए के सभी घटक दलों के कर्मठ कार्यकर्ताओं, जिन्होंने विपरित परिस्थिति में भी मेरेप्रति अपना स्नेह बनाये रखा, भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, अमित शाह, जेपी नड्डा, चिराग पासवान, जितन राम मांझी, सम्राट चौधरी सहित एनडीए के अन्य नेताओं व कार्यकर्ताओं का ह्रदय से आभार।
काराकाट लोकसभा सीट से हार गये थे उपेंद्र कुशवाहा
लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए में सीट बंटवारेके दौरान राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के चीफ उपेंद्र कुशवाहा को बीजेपी ने एक लोकसभा सीट के साथ एक एमएलसी सीट देने का वादा किया था। बिहार के बीजेपी प्रभारी विनोद तावड़े ने इस बारे में अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट भी किया था। इस फॉर्मूले के अनुसार कुशवाहा को लोकसभा चुनाव में काराकाट सीट मिली, लेकिन वहां पवन सिंह फैक्टर के आने से उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा। सीपीआई माले के राजाराम सिंह काराकाट से चुनाव जीत गए। पवन सिंह दूसरे नंबर पर और उपेंद्र कुशवाहा तीसरे नंबर पर रहे।
कुशवाहा राजनीति हाई, विधानसभा इलेक्शन से पहले एनडीए और INDIA की कोइरी वोटों पर
लोकसभा चुनाव के बाद बिहार में कुशवाहा राजनीति हाई लेवल पर है। बिहार में विधानसभा इलेक्शन से पहले एनडीए और INDIA की कोइरी वोटों पर नजर है। आरजेडी के एमएलसी रहे रामबली चंद्रवंशी की सदस्यता रद्द होने से खाली हुई विधान परिषद की एक सीट पर उपचुनाव की घोषणा हुई , लेकिन नीतीश कुमार की जेडीयू ने इस पर अपना कैंडिडेट उतार दिया। जेडीयू ने कोइरी जाति के ही भगवान सिंह कुशवाहा को टिकट दिया, जो मंगलवार को अपना नामांकन किया है।
इस वजह से उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी की नाराजगी सामने आई। पिछले दिनों आरएलएम के वरिष्ठ नेता माधव आनंद ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर विनोद तावड़े का पुराना ट्वीट शेयर किया और बीजेपी को अपना वादा याद दिला दिया। अब उपेंद्र कुशवाहा को मनाने के लिए उन्हें राज्यसभा की सीट ऑफर की गई है। सम्राट चौधरी ने कहा है कि आगामी राज्यसभा उपचुनाव में एक सीट पर उपेंद्र कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया जायेगा। बीजेपी सांसद विवेक ठाकुर के इस्तीफा देने से खाली हुई सीट कुशवाहा को दी जायेगी। वहीं, आरजेडी की मीसा भारती के इस्तीफे सेखाली हुई राज्यसभा सीट पर उपचुनाव में जेडीयू से कैंडिडेट उतारा जायेगा।
आरजेडी से भी एक कैंडिडेट उतारे जाने की चर्चा
दो सीटों पर होनेवाले उपचुनाव में लालू यादव की आरजेडी से भी एक कैंडिडेट उतारे जाने की चर्चा है। ऐसी स्थिति में राज्यसभा उपचुनाव के लिए वोटिंग होगा। बिहार विधानसभा में मौजूदा संख्या बल के हिसाब से दोनों सीटों पर एनडीए की जीत की संभावना ज्यादा है, क्योंकि दोनों ही सीटों पर अलग-अलग नोटिफिकेशन निर्वाचन आयोग की ओर से निकाला जायेगा। लेकिन, क्रॉस वोटिंग होनेपर खेल बिगड़ सकता है। इसी साल फरवरी में बिहार विधानसभा में नीतीश के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के बहुमत परीक्षण के दौरान आरजेडी के कुछ विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी।
लोकसभा चुनाव में कुशवाहा फैक्टर रहा हावी
पिछले साल हुई जातिगत गणना के आंकड़ों के अनुसार बिहार में कोइरी (कुशवाहा) जाति की आबादी लगभग चार परसेंट है। आरजेडी, जेडीयू, बीजेपी सभी दल इस जाति को खुश करने में लगेहुए हैं। बीचे लोकसभा चुनाव में कुशवाहा फैक्टर बहुत निर्णायक साबित हुआ था। खासकर लास्ट फेज की आठ सीटों पर इस कुशवाहा समुदाय के पोलराइज होने से महागठबंधन को फायदा मिला। दक्षिण बिहार की औरंगाबाद लोकसभा सीट पर आरजेडी ने कोइरी दांव खेला और पहली बार गैर राजपूत उम्मीदवार के रूप में अभय कुशवाहा ने जीत हासिल की। लालू यादव ने इस जाति को साधने के लिए एक कदम बढ़ाते हुए अभय कुशवाहा को लोकसभा में आरजेडी संसदीय दल का नेता भी बना दिया।
बिहार में कोइरी और कुर्मी जेडीयू के कोर वोटर माने जाते हैं। उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएम भी इसी वर्ग को ध्यान में रखकर राजनीति करती है। लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों पर बीजेपी की आंतरिक रिपोर्ट में सामने आया था कि काराकाट लोकसभा सीट पर पवन सिंह के आने से राजपूत उनके पक्ष में गोलंबद हो गये। इससे कुशवाहा समेत ओबीसी वोटर एनडीए से खफा होकर महागठबंधन के पक्ष में चले गये। इसका असर मगध और शाहाबाद की अन्य सीटों पर भी पड़ा। यही वजह रही कि काराकाट के साथ-साथ आरा, बक्सर, सासाराम, पटना साहिब पर एनडीए प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा। महागठबंधन के कैंडिडेट जीत गये।
कोइरी के दोनों हाथ में लड्डू
लोकसभा चुनाव के रिजल्ट आने के बाद सेकुशवाहा पॉलिटिक्स बिहार में हाई हो गई। बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए अब सभी दल इस वर्गको खुश करने में जुटे हुए हैं। इसकी शुरुआत सबसे पहले बीजेपी ने इस जाति से आनेवाले सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर की थी। बीजेपी ने उन्हें डिप्टी सीएम भी बनाया। वहीं नीतीश कुमार की पार्टी पहले से इस जाति को केंद्र में रखते हुए राजनीति करती आ रही है। उमेश सिंह कुशवाहा बिहार जेडीयू अध्यक्ष भी हैं। वहीं, अब यादवों को केंद्र में रखकर राजनीति करनेवाली लालू एवं तेजस्वी की पार्टी आरजेडी भी कोइरी को खुश करने में लगी है। ऐसे में कोइरी जाति के दोनों हाथ में लड्डू हैं। 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव तक इस जाति को साधनेके लिए राजनीतिक दल और भी कदम उठा सकते हैं।