Dhanbad : चासनाला माइंस हादसे की 49 वीं बरसी , 375 शहीद मजदूरों दी गयी श्रद्धांजलि
कोयला राजधानी धनबाद के चासनाला माइंस में कोल प्रोडक्शन के दौरान माइंस में पानी भर जाने से फस्ट शिफ्ट में 27 दिसंबर 1975 को 375 मजदूरों ने जल समाधि ले ली थी। सेल चासनाला की ओर से 49वी बरसी परशाहिद मजदूरों की याद में शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। सेल के अफसर स्टाफ, शहीदों के आश्रितों व मजदूर नेताओं ने श्र्ध्दांजिल अर्पित की।
धनबाद। कोयला राजधानी धनबाद के चासनाला माइंस में कोल प्रोडक्शन के दौरान माइंस में पानी भर जाने से फस्ट शिफ्ट में 27 दिसंबर 1975 को 375 मजदूरों ने जल समाधि ले ली थी। सेल चासनाला की ओर से 49 वी बरसी पर शहीद मजदूरों की याद में शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। सेल के अफसर स्टाफ, शहीदों के आश्रितों व मजदूर नेताओं ने श्र्ध्दांजिल अर्पित की।
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शहीदों को दी गई श्रद्धांजलि
श्रद्धांजलि समारोह में धनबाद एमएलए राज सिन्हा में झरिया एमएलए पूर्णिमा नीरज सिंह, सिंदरी एमएलए की वाइफ तारा देवी, सेल के जीएम सहित कई गणमान्य लोगों ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी। सर्वप्रथम सेल के ईडी अनूप कुमार, सीजीएम शिवराम बनर्जी, उप महाप्रबंधक संजय तिवारी, मो अदनान ने श्रंद्धाजलि दी। इसके बाद शहीदों के परिजन, एमएलए पूर्णिमा सिंह, राज सिन्हा, तारा देवी, बीजेपी लीडर गणेश मिश्रा व केडी पांडेय समेत विभिन्न संगठनों के नेताओं ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
शहीद स्मारक पर लगे आपात कालीन शायरन के दोपहर 1.35 बजे बजते ही उपस्थित सभी लोगों ने दो मिनट का मौन रखकर प्रर्थाना की।चासनाला सेल कोलियरी डिवीजीन की ओर से माइंस हादसे की याद में घटना से जुड़ी दृश्य को दर्शाने गया। मौके पर सेल कोलयरी ईडी अनूप कुमार ने कहा कि 1975 की चासनाला खान दुर्घटना दिल दहला देने वाली थी।उन पीड़ित परिवार के साथ मेरी सहानुभूति है। मौके पर बीसीकेयू के ध्यक्ष सुन्दर लाल महतो, योगेन्द्र महतो, बीजेपी लीडर योगेंद्र यादव, श्रवण राय, जनता श्रमित संघ के साजन सिंह समेत अन्य उपस्थित थे। शहीद स्मारक स्थल शहीद मजदूरों को याद करते हुए शहीद के परिजन,सेल के अफसर,यूनियन नेता, और विभिन्न पार्टियों के लोग नम आंखों से श्रद्धांजलि अर्पित किया।
28 साल पहले हुई चासनाला माइंस की घटना एशिया महादेश का बड़ा हादसा था। चासनाला माइंस दुर्घटना पर काला पत्थर फिल्म बनी। वर्ष 1975 की 27 दिसंबर को दोपहर 1:35 बजे चासनाला माइंस में 375 मजदूरों की जल समाधि हो गयी थी। उस घटना के खतरों की घंटी को बजाकर सभी लोग दो मिनट का मोन धारण दे कर भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित किया गया। खान दुर्घटना में कई मां की गोद सूनी हो गई,कई सुहागिनों की मांग का सिंदूर उजड़ा गया, कइयों के सिर से पिता का साया उठ गया। कई बहनों ने अपना भाईयो को खोया। सेल द्वारा उन शहीद मजदूरों के याद में एक शहीद स्मारक स्थल बनाया गया है।
चासनाला की खान दुर्घटना एशिया की सबसे बड़ी खदान दुर्घटना के रूप में इतिहास के पन्नों में काला अध्याय के रूप में लिखा गया है। 27 दिसंबर 1975 के दोपहर 1:35 बजे चासनाला खान में जल समाधि की घटना हुई थी। जांच में सामने आया कि दुर्घटना खदान के अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा था। माइंस में रिसनेवाले पानी को जमा करने को यहां एक बांध बनाया गया था। हिदायत भी दी गई थी की बांध की 60 मीटर की परिधि में ब्लास्टिंग ना की जाए। परंतु अधिकारियों ने कोयला उत्पादन के चक्कर में इन निशानों को नजरअंदाज कर दिया। हैवी ब्लास्टिंग कर दी। इस कारण 375 खनिकों की जल समाधि हो गई। दुर्घटना के बाद महीनों तक माइंस से पानी निकालने का कार्य हुआ। इसमें पोलैंड, रूस के वैज्ञानिकों से भारत सरकार ने मदद ली थी। लैंप बत्ती आदि से मजदूरों की बॉडी का पहचान हुई थी।