धनबाद:BCKU प्रसिडेंट एसके बक्शी का निधन, कोयलांचल के मजदूर शोकाकुल
कोयलांचल के प्रसिद्ध लेबर लीडर व बिहार कोलियरी कामगार यूनियन के प्रसिडेंट एसके बक्शी (85) का रविवार को निधन हो गया है। कामरेड बक्शी से निधन से कोयला मजदूरों में शोक की लहर है। वे मजदूरों की समस्याओं को लेकर हमेशा मुखर रहते थे।
धनबाद। कोयलांचल के प्रसिद्ध लेबर लीडर व बिहार कोलियरी कामगार यूनियन के प्रसिडेंट एसके बक्शी (85) का रविवार को निधन हो गया है। कामरेड बक्शी से निधन से कोयला मजदूरों में शोक की लहर है। वे मजदूरों की समस्याओं को लेकर हमेशा मुखर रहते थे।
सांस लेने में परेशानी होने के बाद एसके बक्शी को बीसीसीएल के जगजीवन नगर स्थित सेंट्रल हॉस्पीटल में एडमिट कराया गया था। यहां से शनिवार की रात बेहतर इलाज के लिए दुर्गापुर स्थित मिशन हॉस्पीटल ले जाया गया। मिशन हॉस्पीटल मैनेजमेंट ने गंभीर हालत को देखते हुए एडमिट लेने से इन्कार कर दिया। इसके बाद रविवार तड़के दुर्गापुर से धनबाद लाने के क्रम में रास्ते में उनकी मौत हो गई।
60 साल से कोयला मजदूरों के बीच थे एक्टिव
सीटू लीडर एसके बक्शी लगभग 60 साल से धनबाद की धरती पर कोयला मजदूरों के बीच सक्रिय थे। कोयलांचल की मजदूर राजनीति के एक स्तंभ थे। वे जेबीसीसीआई के सदस्य और वर्तमान में बीसीसीएल संयुक्त सलाहकार समिति के सदस्य थे। बिहार कोलियरी कामगार यूनियन के महामंत्री के पद को भी उन्होंने संभाला। उनके दो बेटे और एक बेटी हैं। उनका अंतिम संस्कार सोमवार को किया जायेगा।
कोयलांचल में लाल झंडे के तीन प्रमुख चेहरों में थे एक एसके बक्शी
सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे एसके बख्शी धनबाद में ट्रेड यूनियन आंदोलन के बड़ा चेहरा थे।कोयलांचल में बक्शी वह आखिरी नेता थे जो राजनीति से अलग विशुद्ध मजदूर आंदोलन में यकीन रखते थे। उनके निधन से धनबाद में ट्रेड यूनियन आंदोलन का आखरी चेहरा भी गुम हो गया। एसके बक्शी सिर्फ और सिर्फ मजदूरों के सवाल पर सभी यूनियनों को साथ लेकर चलने का माद्दा रखने वाले लीडर थे। लाल झंडा के धुर विरोधी बीएमएस के महामंत्री बिंदेश्वरी प्रसाद का कहना है कि अभी महीने भर पहले ही वह मिले तो बोले अरे कहां भटक रहे हो, हम लोग को सबको साथ आना होगा। मोदी सब बेच रहा है। हमने भी कह दिया दादा हम लोग कमजोर होंगे तो लोग बेचेंगे ही।
आंदोलनकारी रहे हैं बक्शी
बिंदेश्वरी प्रसाद ने कहा कि इस उम्र में भी ट्रेड यूनियनों के आंदोलन के प्रति इतना चिंतित रहना बताता है की बख्शी सिर्फ और सिर्फ मजदूर आंदोलन के लिए ही जिंदा रहे। वह सही मायनों में आंदोलनकारी थे। उनके निधन से धनबाद में ट्रेड यूनियन आंदोलन का एक बड़ा अध्याय समाप्त हो गया। जेबीसीसीआई सदस्य व सीटू नेता मानस चटर्जी ने बताया कि वह शुरू से ही आंदोलनकारी थे। आपातकाल के दौरान उन्होंने इंदिरा गांधी की तानाशाही के खिलाफ आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया। सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। बक्शी 19 महीने तक जेल में रहे। बख्शी ने कई बार विधानसभा चुनाव भी लड़ा। हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिली।
लाल झंडा के तीन चेहरों में एक
मार्क्सवादी समन्वय समिति के जिला अध्यक्ष हरिप्रसाद पप्पू के अनुसार धनबाद में एके राय, एसके बख्शी व आनंद महतो लाल झंडा के तीन प्रमुख आंदोलनकारी थे। उनमें से आज बख्शी भी हमारा साथ छोड़ गये। पप्पू ने बताया कि एसके बख्शी ने 1977 में मार्क्सवादी समन्वय समिति के टिकट पर सिंदरी से पहला चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके बाद 1980 में उन्होंने निरसा से भी चुनाव लड़ा। सीपाएम के टिकट से 2005 में झरिया से चुनाव लड़ा। इस लास्ट चुनाव में 9000 वोट मिले थे। इसके बाद उन्होंने चुनावी राजनीति छोड़ दी। वह जेबीसीसीआई मेंबर,अपैक्स कमेटी के मेंबर व सीटू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने पद छोड़ दिया। वर्ष 1960 से अब तक का उनका पूरा जीवन आंदोलन से भरा रहा। सिंदरी खाद कारखाना बंदी को लेकर के भी उन्होंने विशाल आंदोलन किया था।