गिरिडीह: पांच लाख का इनामी नक्सली नुनूचंद महतो ने पुलिस के सामने किया सरेंडर
प्रतिबंधति नक्सली संगठन भाकपा माओवादी का एक्स जोनल कमांडर नुनूचंद महतो उर्फ गांधी उर्फ टाइगर ने पुलिस के समक्ष संरेडर कर दिया है। संगठन से निष्कासित पांच लाख के इस इनामी सब जोनल कमांडर ने शुक्रवार की दोपहर पीरटांड पुलिस स्टेशन में नाटकीय तरीके से सरेंडर किया है।
- भाकपा माओवादी ने लेवी के पैसे एवं आर्म्स लेकर भागने व महिला साथी से छेड़छाड़ के कारण निकाला दिया था संगठन से
- पुलिस व माओवादी का वांटेंड था गांधी नुनुचंद
गिरिडीह। प्रतिबंधति नक्सली संगठन भाकपा माओवादी का एक्स जोनल कमांडर नुनूचंद महतो उर्फ गांधी उर्फ टाइगर ने पुलिस के समक्ष संरेडर कर दिया है। संगठन से निष्कासित पांच लाख के इस इनामी सब जोनल कमांडर ने शुक्रवार की दोपहर पीरटांड पुलिस स्टेशन में नाटकीय तरीके से सरेंडर किया है।
खाली हाथ आया और सीधे थाना प्रभारी के चैंबर घुस गया
बताया जाता है पीरटांड़ ब्लॉक के बदगंवा पंचायत के भेलवाडीह गांव का निवासी 45 साल का नुनूचंद महतो शुक्रवार की दोपहर पीरटांड पुलिस स्टेशन पहुंचकर सीधे थाना प्रभारी के चैंबर घुस गया। नुनूचंद को सरेंडर कराने में इसके कुछ साथियों ने अहम रोल निभाया है। साथियों ने ही सीनीयर पुलिस अफसरों से संपर्क कर नुनूचंद को संरेडर कराया है। नुनुचंद के खिलाफ गिरिडीह और धनबाद जिले के पुलिस स्टेशन में नक्कली हिंसा से संबंधित 55 एफआइआर दर्ज है।
धनबाद और गिरिडीह का आतंक
धनबाद व गिरिडीह जिलों के प्रमुख नक्सली घटनाओं में साल 2017 में मधुबन के पारसनाथ पहाड़ में ढोलकट्टा में पुलिस और माओवादियों के बीच हुए एनकाउंट में भी नुनुचंद शामिल था। इस एनकाउंटर में पुलिस की गोली से डॉली मजदूर मोती लाल बॉस्के की मौत हो गयी थी।
वर्ष 2016 में पीरटांड के जीतकुंडी में सर्च ऑपरेशन के दौरान लैंड मांइस विस्फोट से सुरक्षा बल के कुछ जवान जख्मी हुए थे। पिछले एक दशक में पीरटांड व इसके आसपास के इलाके में जितनी नक्सली घटनाएं हुईं उन सभी में नुनूचंद महतो का ही नाम आया था।
वर्ष 2009 में नक्सली संगठन जुड़ा था नुनुचंद
नुनूचंद वर्ष 2009 में नक्सली संगठन भाकपा माओवादी से जुड़ा था। जानकारी के अनुसार एक महिला माओवादी से छेड़छाड़,लेवी के पैसे एवं आर्म्स गबन के कारण वर्ष 2018 में नक्सली संगठन से निकाल दिया गया था। माओवादी संगठन से निकाले जाने के बाद से धनबाद व गिरिडीह में आता-जाता रहा। माओवादियों के वांटेंड होने से उसे अपनी मर्डर का डर था जिस कारण उसे तीन साल बाद पुलिस के समक्ष सरेंडर किया है।
सरेंडर का कारण कोरोना संक्रमण की वजह भी
पिछले एक दशक से पुलिस का वाटेंड नुनुचंद का कोरोना संक्रमण के भय से सरेंडर किये जाने की बात कही जा रही है। अब पुलिस पहले नक्सली का पहले कोरोना जांच करायेगी।
नुनुचंद ने संगठन से किया था बगावत
पांच लाख का इनामी भाकपा माओवादी के पारसनाथ एरिया के पूर्वी छोर का एरिया कमांडर नक्सली नुनूचंद महतो संगठन से बाहर कर दिये जाने के बाद समानांतर क्रिमिनल गैंग बनाकर एरिया लगातार पैसे उगाही कर रहा था। इससे नाराज नक्सली संगठन का मारक दस्ता नुनूचंद महतो की तलाश में था। कहा जा रहा है कि एक बार नक्सलियों ने नुनुचंद का किडनैप कर लिया था। बाद में सशर्त मुक्त कर दिया। लेवी के पैसे और संगठन की एक महिला से रिश्ते के कारण नुनुचंद महतो ने संगठन से बगावत कर ली थी। इसके बाद उसे संगठन से निकाल दिया गया था।
एनकाउंटर में पुलिस को धक्का देकर भागने निकला था नुनुचंद
नक्सली नुनुचंद महतो वर्ष 2020 की 27 फरवरी को धनबाद जिले के तोपचांची पुलिस स्टेशन की पुलिस को धक्का देकर भागने में सफल रहा था। पुलिस और नुनुचंद महतो दस्ता के बीच एनकाउउंटर के दौरान दोनों ओर से जमकर फायरिंग हुई थी। नुनुचंद और उसके दर्जन भर नक्सली भागने में सफल रहे थे। पुलिस को ननुचंद व उसके दस्ते के को नैरो गांव में उसके होने की सूचना मिली थी। जिला पुलिस और सीआरपीएफ की टीम नैरो गांव को घेरकर सर्च ऑपरेशन शुरु किया था। नुनूचंद पूर्व में कई बार पुलिस से एनकाउंटर के दौरान भागने में सफल रहा था। पीरटांड़ एवं टुंडी के बोर्डर पर वह एक बार पुलिस के हाथ आते-आते बच गया था। फायरिंग कर वह भागने में सफल रहा था। पुलिस उसका घर कुर्क कर चुकी है।