Giridih: सफल नहीं हो पाया सेंगल अभियान का रेल चक्का जाम आंदोलन,पुलिस ने रेलवे ट्रैक पर जाने से रोका
पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत आदिवासी सेंगल अभियान का पारसनाथ स्टेशन में रेल चक्का जाम आंदोलन पुलिस की सक्रियता के कारण सफल नहीं हो पाया। पुलिस की पुख्ता व्यवस्था के कारण आंदोलनकारी पारसनाथ में रेलवे ट्रैक पर नहीं उतर सके। इस दौरान आंदोलनकारियों ने पारसनाथ स्टेशन के मैनेजर को ज्ञापन भी सौंपा।
गिरिडीह। पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत आदिवासी सेंगल अभियान का पारसनाथ स्टेशन में रेल चक्का जाम आंदोलन पुलिस की सक्रियता के कारण सफल नहीं हो पाया। पुलिस की पुख्ता व्यवस्था के कारण आंदोलनकारी पारसनाथ में रेलवे ट्रैक पर नहीं उतर सके। इस दौरान आंदोलनकारियों ने पारसनाथ स्टेशन के मैनेजर को ज्ञापन भी सौंपा।
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जैन धर्मावलंबी के कब्जे से मरांग बुरू को मुक्त करने और 2023 तक सरना धर्म कोड को लागू करने की मांग को लेकर. आदिवासी सेंगल अभियान का रेल चक्का जाम आंदोलन आयोजित किया गया था। रेलवे ट्रैक के किनारे ही आंदोलनकारियों ने शहीद तिलका मांझी की जयंती मनायी। अभियान द्वारा अपनी मांगों को लेकर पारसनाथ स्टेशन में रेल रोको आंदोलन की पूर्व घोषणा के बाद से ही रेलवे और पुलिस प्रशासन अलर्ट मोड में था।अभियान के झारखंड प्रदेश संयोजक करमचंद हांसदा, बोकारो जोन के जोनल संयोजक आनंद टुडू और झारखंड प्रदेश के मंझी परगना मडवा अध्यक्ष चंद्रमोहन मरांडी के नेतृत्व में दिन के 10 बजे आंदोलनकारियों ने पश्चिमी कैबिन के समीप रेलवे ट्रैक जाम करने का प्रयास किया। लेकिन पहले से ही तैनात पुलिस बल ने उन्हें ट्रैक पर जाने से रोक दिया। आंदोलनकारी हाथों में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, एक्स एमपी सालखन मुर्मू, बीर शहीद तिलका मांझी, बिरसा मुंडा का फोटो और नारे लिखी तख्तियां लेकर मांगों के समर्थन में और प्रदेश सरकार के विरुद्ध नारेबाजी कर रहे थे।
आंदोलनकारियों ने रेलवे लाइन के किनारे बीर शहीद तिलका मांझी की जयंती मनायी। वक्ताओं ने कहा कि पारसनाथ पहाड़ हम आदिवासी समाज के मरांग बुरु हैं, ईश्वर हैं। हेमंत सोरेन की सरकार ने पांच जनवरी को पारसनाथ को जैनियों को सौंपने का काम किया है, जिसका हम विरोध करते हैं। जिस तरह से अन्य धर्मों को मान्यता मिली है उसी तरह हम आदिवासियों के लिये अलग सरना धर्म कोड की मान्यता मिलनी चाहिये। हम हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, बौद्ध और जैन नहीं हैं। वक्ताओ ने कहा कि हम प्रकृति के पूजक हैं।पूर्व में और आज भी सरकार से इसकी मांग करते हैं, यदि सरकार इस पर गंभीरता पूर्वक विचार नहीं करती है तो 11 अप्रैल से अनिश्चितकालीन चक्का जाम करने के लिये बाध्य होंगे। आदिवासी समाज के लोगों ने वहां तैनात पुलिस के अधिकारियों को एक पुस्तक सौंप कर धरना समाप्त कर दिया।