गोवा: असहाय बेटी के लिए मजदूर पिता ने बनाया 'मां रोबोट', दिव्यांग बेटी को खाना खिलाने के लिए किया यह काम
गोवा में एक दैनिक मजदूर बिपिन कदम (40) ने खुद से खाना खाने में असमर्थ अपनी दिव्यांग बच्ची के लिए बिना किसी टेक्नीकल जानकारी के एक रोबोट बनाया है। यह रोबोट हाथ-पैर हिलाने में असमर्थ बच्ची को खाना खिलाता है। मां की तरह पसंद-नापसंद जानकर खाना खिलाने वाले इस रोबोट को नाम भी ''मां रोबोट' दिया गया है।
पणजी। गोवा में एक दैनिक मजदूर बिपिन कदम (40) ने खुद से खाना खाने में असमर्थ अपनी दिव्यांग बच्ची के लिए बिना किसी टेक्नीकल जानकारी के एक रोबोट बनाया है। यह रोबोट हाथ-पैर हिलाने में असमर्थ बच्ची को खाना खिलाता है। मां की तरह पसंद-नापसंद जानकर खाना खिलाने वाले इस रोबोट को नाम भी ''मां रोबोट' दिया गया है।
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बिना किसी टेक्नीकल जानकारी के बिपिन कदम ने बनाया रोबोट
बिना किसी टेक्नीकल जानकारी के बिपिन कदम ने रोबोट बना लिया है। इस रोबोट की वाणिज्यिक उपयोगिता पर भी अध्ययन किया जायेगा। ''मां रोबोट' में खाना प्लेट पर रखा जाता है जो रोबोट का ही हिस्सा है। यह रोबोट उस दिव्यांग लड़की को खाना खिलाता है जो हिल नहीं सकती। अपना हाथ तक नहीं उठा सकती है। इस रोबोट को एक वाइस कमांड देकर बताया जाता है कि लड़की क्या खाना चाहती है। जैसे-सब्जी, चावल-दाल मिलाकर या कुछ और खाना चाहती है।बिपिन कदम ने बताया कि मां रोबोट मौखिक दिशा-निर्देशों पर बेटी को खाना खिलाता है। जिस तरह से पीएम नरेन्द्र मोदी आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा दे रहे हैं। इसी तरह वह भी अपनी बच्ची को आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं। ताकि वह किसी और पर निर्भर नहीं रहे। बिपिन का कहना है कि वह अन्य दिव्यांग बच्चों के लिए भी ऐसे ही रोबोट बनाना चाहते हैं। वह इस रोबोट को पूरे वर्ल्ड में ले जाना चाहते हैं।
वाइफ की बीमारी से लाचार हुए बिमल
दैनिक मजदूरी करके घर चलाने वाले बिपिन कदम की वाइफ भी बेहद बीमार हैं। वह अपनी दिव्यांग बच्ची को खाना खिला पाने में असमर्थ हैं। इसलिए कदम को बेटी को खाना खिलाने के लिए काम से छुट्टी लेकर घर आना पड़ता था। साउथ गोवा के बेथोरा गांव में पोंडा तालुका के रहने वाले विपिन कदम रोजीरोटी के लिए दैनिक मजदूर के तौर पर कोई भी काम कर लेते हैं। उनकी 14 साल की बेटी दिव्यांग है। अपने आप खाना खाने में असमर्थ है। वह भोजन करने के लिए पूरी तरह से अपनी मां पर निर्भर थी। लेकिन दो साल पहले बिपिन कदम की वाइफ भी बहुत बीमार पड़ गईं। बिस्तर से उठ पाने में असमर्थ हो गईं। विपिन की बीमार वाइफ यह सोचकर रोती-बिलखती रहती थीं कि वह अपनी बच्ची को खाना नहीं खिला पा रही हैं। वह घंटों भूखी रहती है। कदम की वाइफ ने उनसे आग्रह किया कि वह बेटी को स्वत: ही समय से भोजन कराने का कोई रास्ता निकालें, ताकि वह इसके लिए किसी और पर निर्भर नहीं रहे।
चार महीने का अथक परिश्रम
पत्नी की इस बात ने बिपिन कदम को एक ऐसा रोबोट बनाने के लिए प्रेरित किया जो उनकी बच्ची को खाना खिला सके। उन्होंने एक साल पहले ही रोबोट बनाने के संबंध में इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों को खंगालना शुरू किया। लेकिन ऐसा रोबोट कहीं भी उपलब्ध नहीं था। इसलिए उन्होंने खुद ही एक रोबोट बनाने का फैसला किया। उन्होंने साफ्टवेयर की मूलभूत आनलाइन जानकारियां हासिल कीं।बिपिन बिना आराम किए वह 12 घंटे मजदूरी करते थे। उसके बाद वह बाकी समय रोबोट बनाने के संबंध में रिसर्च करने और सीखने में बिताते थे। लगातार चार महीने के अथक परिश्रम के बाद उन्होंने यह रोबोट बनाया। अब जब वह काम से घर लौटते हैं और बेटी उनको देखकर मुस्कुराती है तो उन्हें बहुत ऊर्जा मिलती है।
कई रोबोट बनाने की तैयारी
विपिन के इस सफल रिसर्च की गोवा राज्य नवाचार परिषद (जीएसआइसी) ने जमकर प्रशंसा की है। बिपिन कदम को इसके लिए धन मुहैया करा कर इस मशीन पर आगे और काम करने को कहा है। गोवा राज्य नवाचार परिषद के प्रोजेक्ट डायरेक्टर सुदीप फलदेसाई ने बताया कि उनकी संस्था कदम के काम की भरपूर सराहना करती है। परिषद उन्हें और रोबोट बनाने के लिए वित्तीय सहायता भी दे रही है। बिपिन कदम ने पहले ही कई रोबोट बनाने की तैयारी कर ली है। इन रोबोट से ऐसी ही समस्या से जूझ रहे लोगों को काफी मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि इस उत्पाद के कमर्शियल मार्केट का भी अध्ययन जारी है। इस रोबोट की कीमत फिलहाल तय नहीं की गई है। इसका व्यापारिक मूल्यांकन करने के बाद ही इसका निर्धारण होगा।