11वें जेबीसीसीआई गठन मामले में में इंटक रेड्डी गुट को कलकत्ता हाइकोर्ट से नहीं मिली राहत
जेबीसीसीआई-11 में इंटक रेड्डी गुड को प्रतिनिधित्व देने संबंधी मामले में मंगलवार कोलकाता हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने फिलहाल अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया। जस्टिस निजामुद्दीन ने याचिका में पार्टी बनाये गये सभी को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। अब मामले की सुनवाई आठ सप्ताह बाद होगी।
- राष्ट्रीय खान मजदूर फेडरेशन (इंटक रेड्डी) द्वारा दायर याचिका पर हुई सुनवाई
- कोर्ट ने सभी को पक्षों चार सप्ताह में जवाब देने को कहा
कोलकाता। जेबीसीसीआई-11 में इंटक रेड्डी गुड को प्रतिनिधित्व देने संबंधी मामले में मंगलवार कोलकाता हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने फिलहाल अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया। जस्टिस निजामुद्दीन ने याचिका में पार्टी बनाये गये सभी को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। अब मामले की सुनवाई आठ सप्ताह बाद होगी।
कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें ऑनलाइन सुनी।कोर्ट ने इंडियन नेशनल माइन वर्कर्स फेडरेशन के महामंत्री के तौर पर केस करने वाले एस क्यू जामा की सदस्यता के दावे को भी ठुकरा दिया। कोर्ट ने कहा कि जेबीसीसीआई-11 में इंटक को प्रतिनिधित्व देने की बात कही गई है। जबकि उसके नाम से कोई सदस्यता नहीं है। ना ही कोई रसीद ही कटा है। जामा की इस दलील पर कि सदस्यता कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनियों में कार्यरत संगठनों के नाम से होती है। यह सभी इंडियन नेशनल माइन वर्कर्स फेडरेशन से संबद्ध हैं जो माइंस एरिया में काम कर रहे मजदूरों का फेडरेशन है। स्वयं इंटक की ही इकाई है। सदस्यता रसीद में कोष्ठक में इंटक भी लिखा रहता है। कोर्ट ने मानने से इंकार कर दिया।
इंटक पर दावेदारी की बात मामले में हाईकोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर पहले ही सुप्रीम कोर्ट जजमेंट दे चुका है। लिहाजा कोलकाता हाई कोर्ट कुछ नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के आधार पर ही दिल्ली हाईकोर्ट में दायर सूट में जब तक फैसला नहीं आता, कुछ नहीं किया जा सकता।इसके बाद अदालत ने कोल इंडिया मैनेजमेंट की भी बात सुनी। मैनेजमेंट ने सीधे तौर पर इंटक के तीनों गुटों के दावे के कारण कोई भी गुट को आमंत्रित करने में अपनी असमर्थता जता दी। मैनेजमेंट ने कहा कि कोर्ट जो निर्देश देगी उस अनुसार वह करेगी। कोर्ट ने कोल इंडिया को चार सप्ताह के अंदर इंटक की ओर से उठाए गए बिंदुओं पर अपना पक्ष रखने को कहा। इसके बाद अगले दो हफ्ते के अंदर इंटक को अपना प्रत्युत्तर देना होगा। इसके दो हफ्ते बाद कोर्ट फिर से मामले की सुनवाई करेगी। इन आठ हफ्तों के बीच जेबीसीसीआई 11 की बैठकें निर्बाध चलती रहेंगी।
उल्लेखनीय है कि फेडरेशन के सेक्रेटरी जनरल एसक्यू जामा द्वारा दायर डब्ल्यूपीए/10739/2021 में इंटक को जेबीसीसीआइ में शामिल करने या फिर जब तक याचिका पर कोर्ट कोई निर्देश नहीं दे देता है, तब तक 11वें जेबीसीसीआइ की बैठक पर रोक लगाने की मांग की गयी है। वर्चुअल सुनवाई में कोल इंडिया की ओर से अटॉर्नी जनरल जे पॉल, श्री जामा की ओर से एडवोकेट सौम्या मजूमदार एवं ददई गुट इंटक की ओर से एडवोकेट स्वरूप पाल ने बहस की। फेडरेशन (इंटक) ने अपनी याचिका में जेबीसीसीआइ में शामिल करने या जब तक याचिका पर कोर्ट कोई निर्देश नहीं देता है, बैठक पर रोक लगाने की मांग की है। इंटक ददई गुट के राष्ट्रीय महासचिव व अधिवक्ता एनजी अरुण ने बताया कि आज हुई सुनवाई में जस्टिस निजामुद्दीन ने याचिकाकर्ता को कोई भी अंतरिम राहत देने से इंकार करते हुए कहा कि मामला विवादित है, इसलिए कोई अंतरिम राहत नहीं दे सकते।