झारखंड:कांग्रेस के 12 MLA पार्टी को बाय-बाय करेंगे ! सोनिया गांधी के समर्थन में सत्याग्रह में भी नहीं पहुंचे

राष्ट्रपति चुनाव में क्रास वोटिंग के बाद से ही झारखंड कांग्रेस के भीतर सब कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। कांग्रेस टूट की ओर से बढ़ रही है। कांग्रेस के दर्जन भर एमएलए पार्टी छोड़ने के प्लान में हैं। 

झारखंड:कांग्रेस के 12 MLA पार्टी को बाय-बाय करेंगे ! सोनिया गांधी के समर्थन में सत्याग्रह में भी नहीं पहुंचे
  • स्टेट में ऑपरेशन लोटस शुरु
  • जेएमएम व कांग्रेस के 30 के अधिक एमएलए बीजेपी के संपर्क में !

रांची। राष्ट्रपति चुनाव में क्रास वोटिंग के बाद से ही झारखंड कांग्रेस के भीतर सब कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। कांग्रेस टूट की ओर से बढ़ रही है। कांग्रेस के दर्जन भर एमएलए पार्टी छोड़ने के प्लान में हैं। 

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कांग्रेस प्रसिडेंट सोनिया गांधी से पूछताछ के विरोध में पार्टी की ओर से नेशनल पर चले रहे आंदोलन के क्रम में राजधानी रांची में में सत्याग्रह का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में भी आधे से अधिक कांग्रेस विधायकों की अनुपस्थिति रही।  सत्याग्रह कार्यक्रम में मिनिस्टर बन्ना गुप्ता और बादल पत्रलेख पहुंचे। एमएलए नमन विक्सल कोनगाड़ी, उमा शंकर अकेला, राजेश कच्छप, ममता देवी, शिल्पी नेहा तिर्की की उपस्थित रही। एक्स एमएलए बंधु तिर्की, सुखदेव भगत, केशव महतो कमलेश आदि की भी सक्रिय रहे। झारखंड में राजनीतिक ऊहापोह के बीच पार्टी के आधे से अधिक एमएलए की अनुपस्थिति से तरह-तरह के कयास लग रहे हैं। इसे पार्टी एमएलए के बदले रुख के तौर पर देखा जा रहा है।
हालांकि पार्टी की ओर से स्पष्ट किया गया कि मिनिस्टर रामेश्वर उरांव नई दिल्ली में होने के कारण कार्यक्रम से दूर रहे। आलमगीर आलम अपने विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय रहे। दीपिका पांडेय के भी नई दिल्ली में होने की सूचना है। जबकि अन्य एमएलए अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रिय रहे। कुल मिलासंबंध संदर्भ में प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने बताया कि कार्यक्रम में आसपास के सभी एमएलए पहुंचे थे।  कुछ एमएलए ने क्षेत्र में आवश्यक कार्यों के कारण नहीं आ पाने की सूचना भी दी थी।

प्रसिडेंट इलेक्शन में नौ-10 कांग्रेस एमएलए ने की क्रॉस वोटिंग

प्रसिडेंट इलेक्शन चुनाव में झारखंड में कांग्रेस एमएलए की क्रास वोटिंग के बाद से ही प्रदेश नेतृत्व जहां सकते में है। वहीं उन एमएलए पर लगातार नजर रखी जा रही है जो उछलकूद कर सकते हैं। पूर्व में भी ऐसे एमएलए ने प्रयास किया था, लेकिन वे कामयाब नहीं हुए। अब नये सिरे से आरंभ हुई कवायद में ऐसे एमएलए टारगेट पर हैं। लगातार उनका लोकेशन लिया जा रहा है। संबंधित एमएलए के क्षेत्र की जिला कमेटियों के प्रमुख नेताओं को इस मुहिम में लगाया जा रहा है।
एक दर्जन ऐसे एमएलए चिन्हित 

कांग्रेस आलाकमान की हिदायत मिलने के बाद प्रदेश नेतृत्व इस दिशा में एक्टिव हुआ है। बताया जाता है कि लगभग एक दर्जन ऐसे एमएलए चिन्हित हैं। एमएलए को प्रदेश नेतृत्व को ओर से निर्देश दिया गया है कि वे अपने मूवमेंट के बारे में जानकारी देते रहें। प्रसिडेंट चुनाव में पार्टी लाइन से अलग जाकर कांग्रेस के कम से कम नौ विधायकों ने क्रास वोटिंग की। यह संख्या प्रदेश नेतृत्व को चिंता में डाल रही। विधानसभा में कांग्रेस विधायकों की कुल संख्या 17 है। जेविएम एमएलए प्रदीप यादव को अभी तक बतौर कांग्रेस विधायक तकनीकी तौर पर मान्यता नहीं मिली है। ऐसे में एमएलए के मन बदलने का असर राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन पर पड़ सकता है।

पार्टी विधायक दल की बैठक में करेगी मंथन
प्रसिडेंट चुनाव में पार्टी एमएलए द्वारा किये गये क्रॉस वोटिंग पर कांग्रेस मंथन करेगी। कांग्रेस विधायक दल की बैठक 28 या 29 जुलाई को होने की संभावना है। इस बैठक में कांग्रेस के झारखंड प्रभारी अविनाश पांडेय और प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर भी शामिल रहेंगे। दोनों नेता कांग्रेस एमएलए से वन टू वन मुलाकात कर सभी वस्तुस्थिति से अवगत होंगे। हालांकि कांग्रेस के एमएलए खुद के क्रॉस वोटिंग से इनकार कर रहे हैं और अंगुली दूसरे एमएलए की ओर उठा रहे हैं। बावजूद इसके इतना तय है कि क्रॉस वोटिंग हुई है और कांग्रेस के नौ से 10 विधायकों ने ऐसा किया है। 
प्रेशर पॉलिटिक्स
कांग्रेस विधायकों के क्रॉस वोटिंग करने से झारखंड में प्रेशर पॉलिटिक्स को एक बार फिर से हवा मिल गई है। विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर बीजेपी के साथ-साथ झामुमो को बता दिया है कि हम सब साथ-साथ हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो क्रॉस वोटिंग करने वाले एमएलए ने बीजेपी के साथ-साथ झामुमो को भी संदेश दे दिया है।कांग्रेस विधायकों के कई बार बीजेपी से संपर्क होने, पैसे की पेशकश करने से लेकर पार्टी तोड़ने तक के आरोप लगे। ऐसे विधायकों की क्रॉस वोटिंग से स्पष्ट हुआ कि वे राष्ट्रपति चुनाव में केंद्र सरकार के फैसले के साथ हैं। ऐसे में अब गेंद भाजपा के पाले में हैं, लेकिन बीजेपी इस तरह के किसी भी कयास से इनकार कर रही है।

महाराष्ट्र फॉर्मूले की संभावना

राजनीतिक जानकारों की माने तो कांग्रेस एमएलए की क्रॉस वोटिंग से झारखंड में महाराष्ट्र फॉर्मूला से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। कांग्रेस के वैसे एमएलए जो अपनी ही सरकार, अपने मंत्रियों के कामकाज से खुश नहीं थे या फिर वैसे मंत्री जिन्हें लग रहा है कि अब उनकी कुर्सी खतरे में है तो वे पार्टी के लिए परेशानी का कारण बन सकते हैं। कांग्रेस का विक्षुब्ध धड़ा कुछ फैसले ले सकता है। कांग्रेस में अगर विक्षुब्ध धड़ा अपना रास्ता अलग करना चाहें तो उसे कम से कम 13 एमएलए का साथ चाहिए।
कांग्रेस के बागी एमएलए को नेतृत्व की तलाश
कांग्रेस के कथित बागी एमएलए के सामने समस्या यह है कि उनका नेतृत्व करनेवाला कोई चेहरा खुलकर सामने नहीं आ रहा है। कहने को लोग वित्त मंत्री डा. रामेश्वर उरांव का नाम ले रहे हैं। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में उरांव के बयान को उठाकर देखा जा रहा है लेकिन बगावत करने वाले कई संदिग्ध विधायक पहले से ही उरांव को मिनिस्टर बनाये जाने का विरोध करते रहे हैं। यह बात किसी से छिपी भी नहीं है कि कांग्रेस के आदिवासी एमएलए ने ही यशवंत सिन्हा को वोट देने की बजाय द्रौपदी मुर्मू को वोट कर दिया। माना जा रहा है कि ऐसे एमएलएपर दबाव बनाने के लिए कांग्रेस आगे कदम भी नहीं बढ़ा सकती है, ऐसा होने की स्थिति में यह गुट सशक्त होता जाएगा। पार्टी भी इंतजार कर रही है कि आखिर कौन इनका नेतृत्वकर्ता है।

बाबूलाल ने बीजेपी लीडरशीपसौंपी रिपोर्ट

झारखंड के एक्स सीएमव बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी नई दिल्ली में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को अपनी रिपोर्ट सौंपकर लौट आए हैं। राज्य में सरकार के सामने तत्काल कोई संकट भले ना दिखे, आसार ठीक नहीं लग रहे हैं। इसका मूल कारण सत्ताधारी गठबंधन में शामिल कांग्रेस के विधायक ही हैं। जिन एमएलए ने नेतृत्व के निर्देशों की अनदेखी प्रसिडेंट इलेक्शन में क्रास वोटिंग किया है उन्हें पार्टी नेतृत्व भी संशय की नजर से देख रहा है। ऐसे में इस बात को कतई नकारा नहीं जा सकता कि कांग्रेस के एमएलए सरकार के विरुद्ध मोर्चा खोल दें।