झारखंड: CID ने एक साल में डिस्पोजल किये 75 पेंडिंग केस, कई बड़े केस के 16 आरोपियों को अरेस्ट कर जेल भेजा
एडीजी अनिल पाल्टा के लीडरशीप में झारखंड CID ने 2020 की एक जनवरी के लेकर 31 दिसंबर तक 75 पेंडिंग केस का डिस्पोजल किया है।
- IG और SP के दो-दो पोस्ट खाली रहने के बावजूद लगातार मिल रही है सफलता
रांची। एडीजी अनिल पाल्टा के लीडरशीप में झारखंड CID ने 2020 की एक जनवरी के लेकर 31 दिसंबर तक 75 पेंडिंग केस का डिस्पोजल किया है। यानी सीआइडी पर मंथ एवरेज छह केस का डिस्पोजल किया है। डिपार्टमेंट में यह अपने आप में रिकार्ड है।
CID में आईजी के दो पोस्ट स्वीकृत हैं। दोनों पोस्ट खाली हैं।एसपी के चार स्वीकृत पोस्ट में से दो खाली हैं। इसके बावजूद सीआइडी केस डिस्पोजल व एक्युज्ड की अरेस्टिंग में सफल हो रही है। CID ने 12 माह में जिन 75 मामले का डिस्पोजल किया है उनमें 10 साइबर क्राइम से संबंधित है। शेष 65 अन्य क्राइम केस हैं। सीआईडी ने वर्ष 2020 कुल 60 मामले को टेकओवर किया था। इनमें 25 साइबर क्राइम और 35 अन्य क्राइम के केस थे। सीआइडी ने ज्यादातर वैसे मामलों का डिस्पोजल किया है जो लंबे समय से पेंडिंग पड़े हुए थे. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020 की एक जनवरी तक सीआईडी में जांच के लिए पहले के 287 केस पेंडिंग थे।
56 मामले में फाइनल रिपोर्ट
सीआईडी ने इस वर्ष 56 मामले में फाइनल रिपोर्ट सम्मिट किया है। इन 56 में चार केस साइबर क्राइम से संबंधित है। 52 अन्य क्राइम के केस हैं। सीआईडी ने साइबर क्राइम के छह केस में चार्जशीट दाखिल की है। अन्य क्राइम के 13 केस में भी चार्जशीट सौंपी गयी है। सीआईडी में अब तक साइबर क्राइम से संबंधित 99 और अन्य क्राइम के 173 केस जांच के लिए पेंडिंग हैं।
CID ने कई बड़े केस में शामिल 16 आरोपियों को दबोचा
CID ने कई बड़े केस के 16 एक्युज्ड को अरेस्ट कर जेल भेजा है। CID ने धनबाद में फर्जी गांजा तस्करी, गुमला-पलामू में करोड़ों की सरकारी राशि का घोटाला, सरायकेला को-ऑपरेटिव बैंक गबन केस, रांची के बरियातू दावत रेस्टोरेंट मामले और साइबर क्राइम से संबंधित बड़े मामले में 16 आरोपियों को दबोचा है।
CID ने कई चर्चित मामले को किया टेकओवर
CID ने 2020 में कई चर्चित मामले को टेकओवर किया। इन मामले में शामिल आरोपियों को अरेस्ट कर जेल भेजा गया है। CID ने सरायकेला को-ऑपरेटिव बैंक में 39 करोड़ रुपया गबन के मामले, गुमला पलामू एसबीआई बैंक में 21.65 करोड़ रुपया का घोटाला,राज्य के नौ जिलों में फैक्स द्वारा धान खरीद में हुए 12.85 करोड़ रूपया के अनियमितता के मामले, वर्ष 2020 में झारखंड में हुए उग्रवादी- पुलिस एनकाउंटर से संबंधित 11 केस, पुलिस कस्टडी में मौत से संबंधित पांच यूडी केस, लातेहार जिला के बालूमाथ में कोयला चोरी के मामले और धनबाद के निरसा में अवैध तरीके से गांजा रखकर एक निर्दोष को फंसाने जैसे चर्चित मामलों को टेकओवर किया है।
मैन पावर की कमी के बावजूद CID की बेहतर काम
मैन पावर की कमी के बावजूद भी CID बेहतर काम कर रही है। उल्लेखनीय कि CID के आइजी रंजीत प्रसाद के रिटायर होने के बाद संगठित अपराध आइजी का पोस्ट पिछले दिसंबर महीने के बाद से खाली है।31 जनवरी के बाद सीआइडी के एक अन्य आइजी का पद भी खाली हो गया है। CID में एसपी रैंक के स्वीकृत चार पोस्ट में से दो पोस्ट खाली चल रहे हैं। CID में इंस्पेक्टर रैंक के अफसरों की भी कमी है। बकौल एडीजी अनिल पाल्टा वह सीआइडी को अलग रूप देना चाहते हैं। CID का काम क्राइम का इन्विस्टिगेशन करना है। हम इन्विस्टीगेशन की प्रक्रिया को सीबीआइ की तर्ज पर डेवलप करने में लगे हैं।
टेक्निकल सेल का गठन
सीआइडी में टेक्निकल सेल का गठन किया गया है। किसी भी केस में इन्विस्टीगेशन के दौरान कॉल डिलेट रिपोर्ट, कॉल डंप, रिचार्ज हिस्ट्री समेत अन्य जानकारियों को जुटाने का काम टेक्निकल सेल कर रही है। टेक्निकल सेल का इंचार्ज डीएसपी लेवल के अफसर को मिला है। इंस्पेक्टर लेवल के अफसर को टेक्निकल सेल का सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर बनाया गया है। पुलिसकर्मियों की टीम को टेक्नीकल डिटेल के लिए शामिल किया गया है।
CID द्वारा एक जनवरी से 31 दिसंबर तक की गयी अरेस्टिंग
बिरसा मांझी (नक्सल सहयोगी, बोकारो), संजय कुमार डालमियां (निजी व्यक्ति, बैंक घोटाला), सुनील कुमार सतपथी (तत्कालीन शाखा प्रबंधक, बैंक घोटाला), संदीप सेन (तत्कालीन सहायक महाप्रबंधक, बैंक घोटाला), निर्भय कुमार उर्फ विवेक सिंह (फर्जी चेक से अवैध निकासी का मुख्य साजिशकर्ता), गणेश लोहरा, पंकज तिग्गा, इकबाल अंसारी, मनीष कुमार पांडेय, राजकुमार तिवारी, इकबाल अंसारी-2 व साजन राज उर्फ मनीष जैन (एसबीआइ से फर्जी निकासी), वीरेंद्र मिढा व सुनील मिढा (अवैध शराब बरामदगी मामला), सौरभ कुमार गुप्ता (साइबर अपराध), अनिल दास व प्रकाश दास (साइबर अपराध), नीरज तिवारी, रवि कुमार ठाकुर, सुनील पासी व राजीव राय (निरसा गांजा कांड)।