झारखंड: हाई कोर्ट की स्टेट गवर्नमेंट को चेतावनी...,कोर्ट बिल्डिंग की हालत शर्मनाक, जजों को वापस बुलाना होगा
झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की कोर्ट ने स्टेट के हालात को लेकर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने गिरिडीह डीसी को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि जब कोर्ट को दूसरे भवन में शिफ्ट करने का आदेश दिया था तो आपने किस अधिकार से कमेटी का गठन किया है। उनकी ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया।
रांची। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की कोर्ट ने स्टेट के हालात को लेकर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने गिरिडीह डीसी को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि जब कोर्ट को दूसरे भवन में शिफ्ट करने का आदेश दिया था तो आपने किस अधिकार से कमेटी का गठन किया है। उनकी ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया।
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डीसी की ओर से कोर्ट शिफ्ट करने के लिए एक कमेटी का गठन किया है। कोर्ट ने इस मामले में सरकार से प्रगति रिपोर्ट मांगी है। सरकार से पूछा है कि किस भवन में कोर्ट को शिफ्ट किया जा रहा है। मामले में अगली सुनवाई आठ अप्रैल को होगी। इस दौरान कोर्ट में भवन निर्माण सचिव, राजस्व सचिव और गिरिडीह के डीसी हाजिर हुए थे।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि यदि गवर्नमेंट गिरिडीह जिले में ज्यूडिशियल को बैठने, काम करने लायक माहौल और सुरक्षित भवन नहीं दे सकती है, तो हमें अपने ज्यूडिशियल अफसरों को वापस बुलाना होगा। कोर्ट बिल्डिंग के वर्तमान हालात शर्मनाक हैं।चीफ जस्टिस ने कहा कि गिरिडीह जिला कोर्ट का उन्होंने स्वयं निरीक्षण किया है। बिल्डिंग जर्जर हालत में है। छत से प्लास्टर गिर रहा है। कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। कोर्ट ने भवन निर्माण सचिव को स्वयं गिरिडीह जाकर भवन की जांच करने का निर्देश दिया है। जब तक गिरिडीह कोर्ट का नया बिल्डिंग नहीं बन जाता है, तब तक अस्थाई रूप से कोर्ट को पुराने समाहरणालय में शिफ्ट करने की व्यवस्था की जाए। भवन निर्माण सचिव की ओर से कोर्ट को बताया गया कि नए कोर्ट भवन का डीपीआर लगभग तैयार है। कोर्ट ने कहा कि नये भवन निर्माण के लिए चिह्नित जगह सही नहीं है। समाहरणालय के आस-पास जमीन पर कोर्ट भवन बनाने पर विचार किया जाए।
स्टेट के कोर्ट भवनों की स्थिति ठीक नहीं
चीफ जस्टिस डा रवि रंजन ने कहा कि स्टेट के कई कोर्ट के ऐसे भवन है। जहां पर आठ सालों से रंग-रोगन नहीं किया गया है। कोडरमा में कोर्ट भवन की हालत अच्छी नहीं है। चांडिल के अनुमंडलीय अदालत में न तो जेल है और न ही हाजत बना है। भवन सचिव ने कहा कि पिछले वित्तीय वर्ष में कोर्ट भवनों के मरम्मत के लिए 23 योजनाओं को स्वीकृत किया गया है। इसके लिए कुल 40 करोड़ खर्च किया जाना है। अगर बजट में कमी होगी तो भी सरकार इसके लिए तैयार है।