Jharkhand: जयराम महतो ने बनायी राजनीतिक पार्टी, झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति ल़ड़ेगी लोकसभा व विधानसभा चुनाव
खतियानी संघर्ष समिति के चर्चित नेता जयराम महतो झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक बिनोद बिहारी महतो के समाधि स्थल बलियापुर से अपने राजनीतिक पारी की शुरुआत की है। जयराम महतो ने रविवार को झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति (जेबीकेएसएस) नामक राजनीतिक बनायी है। पार्टी का चिह्न टाइगर रखा गया है।
- जेबीकेएसएस पार्टी के नाम पर ही लोकसभा व विधानसभा चुनाव में उतरेंगे
- 44 डिग्री पारा में बलियापुर में जयराम की जनसभा में उमड़ी भीड़
- झारखंड केकरो बाप के नाय, झारखंड झारखंडी का..., लोगों ने लगाये नारे
धनबाद। खतियानी संघर्ष समिति के चर्चित नेता जयराम महतो झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक बिनोद बिहारी महतो के समाधि स्थल बलियापुर से अपने राजनीतिक पारी की शुरुआत की है। जयराम महतो ने रविवार को झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति (जेबीकेएसएस) नामक राजनीतिक बनायी है। पार्टी का चिह्न टाइगर रखा गया है।
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बलियापुर के हवाई पट्टी मैदान में रविवार, 18 जून 2023 को राज्य स्तरीय अधिवेशन में सर्वसम्मति जेबीकेएसएस गठन का फैसला किया गया। सर्वसम्मति से 2024 के लोकसभा एवं विधानसभा की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए जेबीकेएसएस पार्टी बनायी गयी है। जयराम महतो खुद झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति (जेबीकेएसएस)के प्रसिडेंट बने हैं। जयराम ने पार्टी की घोषणा के साथ ही झारखंड के सभी लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।
अधिवेशन को संबोधित करते हुए जयराम महतो ने कहा कि जब तक 1932 का खतियान लागू नहीं हो जाता, तब तक चुपचाप नहीं बैठेंगे। उन्होंने कहा कि शहीदों के अरमानों का झारखंड नहीं बन पाया है। झारखंड के लिए झारखंडियों ने कुर्बानियां दीं। बाहर के लोग यहां राज कर रहे हैं। जिसको अपना समझ कर राजकाज सौंपा, पूरे झारखंड की जनता को निराश कर रहे हैं। संप्रदायवाद, पूंजीवाद के रास्तेझारखंड की जनता को बरगलाया जा रहा है। जब तक 1932 का खतियान लागू नहीं हो जाता, तब तक जेबीकेएसएस चुपचाप नहीं बैठेगी।
हमारी जमीन हमारी गयी और नौकरी दूसरे स्टेट के लोगों को मिला
जयराम ने कहा कि हमारी जमीन गयी और नियोजन दूसरे राज्य के लोगों का हो रहा है। यहां के एमपी गांव के लोगों के वोट से चुने गये हैं। हक दिलाने के समय चुपचाप रहते हैं। अब यह होने नहीं देंगे। जनता अपने हक अधिकार के लिए आंदोलन जारी रखेगी। उन्होंने कहा कि झारखंड में लोगों की जमीन को औने-पौने भाव में लिया गया है। लोगों को बेवकूफ बनाया गया है। बहुत से ऐसे लोग हैं जो अपनी जमीन बेचकर स्टेशनों व बाजारों में भीख मांगने को मजबूर हैं। जल, जंगल, जमीन को बचानेकी जरूरत है। किडनी बेच देना मगर अपनेपूर्वजों की जमीन को कभी नहीं बेचना।
बिनोद बिहारी महतो के नारों को करना है साकार : मोतीलाल
मोतीलाल महतो ने कहा कि यहां की भाषा-संस्कृति को चोट पहुंचानेका काम किया गया है। भौगोलिक आधार, संस्कृति को नष्ट करनेवाले बाहरी लोग हमेशा से लगे हुए हैं। डेढ़ साल का आंदोलन पूरे झारखंड में फैल गया है। उलगुलान शुरू हो गया है।कांग्रेस, झामुमो, भाजपा, आजसू सभी ने यहां की भाषा-संस्कृति को चोट पहुंचाने का काम किया है। हमें लड़ना है. बिनोद बाबू के नारों को साकार करना है।
राज्य स्तरीय महाधिवेशन में की अध्यक्षता रांची के दीपक महतो ने की। संचालन दिनेश साहू, प्रवेश महतो ने किया। देवेंद्र नाथ महतो, मनोज यादव, राजेश, महावीर स्वामी, मनोज यादव, सुनील महतो, सृजन, हमरू दा, देवी महतो, पूजा कुमारी, उषा महतो, संजय मेहता, सनी तिग्गा, दीपक कुमार, ख्वाजाद्दीन अंसारी, रेवती महतो, देवेंद्र नाथ महतो, सावित्री कर्मकार, बेबी महतो ने संबोधित किया।
झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति पार्टी का उद्देश्य जल, जंगल, जमीन की रक्षा, खतियान आधारित नीति लागू करने, बड़े उद्योगों को बचाने और विस्थापितों को शत प्रतिशत नौकरी, किसानों के लिए नई उत्पादन नीति और तकनीक, आदिवासियों के हित में सीएनटी और एसपीटी का प्रचार- प्रसार और झारखंड की लोक संस्कृति का संरक्षण करना है।समिति के कार्यकर्ताओं ने कहा कि गुजरात गुजराती का, बिहार बिहारी का, बंगाल बंगाली का तो झारखंड केकरो बाप के नाय, झारखंड झारखंडी का...।
भीड़ को संभालने समर्थकों के साथ नीचे आकर बैठे जयराम
कार्यक्रम स्थ पर पांच हजार कुर्सियां लगाई गई थी। मौके पर 50,000 से ज्यादा लोग पहुंते थे, जिससे भीड़ अनियंत्रित हो गई। व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो गया। कार्यकर्ताओं की भीड़ देख जयराम खुद मंच से नीचे उतर सभी को बैठने का इशारा कर खुद उनके साथ जमीन पर बैठ गये। अत्यधिक भीड़ हो जाने से पंडाल के अंदर उमस बढ़ गई है। इस वजह से आधा दर्जन लोग बेहोश हो गए। उनके लिए तत्काल एंबुलेंस की व्यवस्था कर हॉस्पिटल भेजा गया।