नई दिल्ली: नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 को मंजूरी, अब चार साल में डिग्री प्रोग्राम, फिर एमए, बिना एमफिल करेंगे पीएचडी
मोदी कैबिनेट ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दे दी है। उच्च शिक्षा में प्रमुख सुधारों में 2035 तक 50 फीसद सकल नामांकन अनुपात का लक्ष्य रखा गया है। इसमें एकाधिक प्रवेश/ निकास का प्रावधान शामिल है।
- मानव संसाधन मंत्रालय का नाम अब शिक्षा मंत्रालय
नई दिल्ली। मोदी कैबिनेट ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दे दी है। उच्च शिक्षा में प्रमुख सुधारों में 2035 तक 50 परसेंट सकल नामांकन अनुपात का लक्ष्य रखा गया है। इसमें एकाधिक प्रवेश/ निकास का प्रावधान शामिल है। सेंट्रल मिनिस्टर प्रकाश जावड़ेकर ने मीडिया को बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में 21वीं सदी की नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई। यह बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि 34सालों से शिक्षा नीति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ था। मुझे उम्मीद है कि देशवासी इसका स्वागत करेंगे।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को तैयार करने के लिए विश्व की सबसे बड़ी परामर्श प्रक्रिया अपनाई गई
मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि मानव संसाधन मंत्रालय का नाम बदल कर अब शिक्षा मंत्रालय किया गया है। शिक्षा मंत्री पोखरियाल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को तैयार करने के लिए विश्व की सबसे बड़ी परामर्श प्रक्रिया अपनाई गई थी। उन्होंने कहा कि मै देश के 1000 से अधिक यूनिवर्सिटी, एक करोड़ से अधिक टीचर्स और 33 करोड़ छात्र-छात्रों को शुभकामनाएं देता हूं।
10+2 का नया फार्मेट
नई शिक्षा नीति में 10+2 के फार्मेट को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। अब इसे 10+2 से बांटकर 5+3+3+4 फार्मेट में ढाला गया है। इसका मतलब है कि अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और क्लास एक और क्लास टू सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे। फिर अगले तीन साल को क्लास तीन से पांच की तैयारी के फेज में विभाजित किया जायेगा। इसके बाद में तीन साल मध्य चरण (क्लास 6 से 8) कॉमर्स, साइंस स्ट्रीम का कोई कठोर पालन नहीं होगा। स्टूडेंट अब जो भी सबजेक्ट चाहें, वो ले सकते हैं।
उच्च शिक्षा में कई सुधार किये गये
एजुकेशन सेकरेटरी अमित खरे ने कहा कि उच्च शिक्षा में कई सुधार किये गये हैं। सुधारों में ग्रेडेड अकैडमिक, प्रशासनिक और वित्तीाय स्वाचयत्त्ब ता आदि शामिल है। नई शिक्षा नीति और सुधारों के बाद हम 2035 तक 50 परसेंट सकल नामांकन अनुपात (GER) प्राप्त करेंगे। सेंट्रल गवर्नमेंट के अनुसार, नई शिक्षा नीति में सभी उच्च शिक्षा के लिए एक एकल नियामक गठन किया जायेगा। कई 'निरीक्षणों' के स्थान पर अनुमोदन के लिए स्व प्रकटीकरण आधारित पारदर्शी प्रणाली के तहत काम करना शामिल है।उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय भाषाओं में ई-कोर्स शुरू किए जायेंगे। वर्चुअल लैब्स विकसित किए जायेंगे। एक नेशनल एजुकेशनल साइंटफिक फोरम (NETF) शुरू किया जायेगा। देश में 45,000 कॉलेज हैं। ग्रेडेड स्वायत्तता के तहत कॉलेजों को शैक्षणिक, प्रशासनिक और वित्तीय स्वायत्तता दी जायेगी। खरे ने कहा कि मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम में पहले साल के बाद सर्टिफिकेट, दूसरे साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल बाद डिग्री दी जायेगी। चार साल का डिग्री प्रोग्राम फिर M.A. और उसके बाद बिना M.Phil के सीधा PhD कर सकते हैं।
अमित खरे ने कहा कि नए सुधारों में टेक्नोलॉजी और ऑनलाइन एजुकेशन पर जोर दिया गया है। अभी हमारे यहां डीम्ड यूनविर्सिटी, सेंट्रल यूनिवर्सिटीज और स्टैंडअलोन इंस्टिट्यूशंस के लिए अलग-अलग नियम हैं। नई एजुकेशन पॉलिसी के तहत सभी के लिए नियम समान होगा।
उन्होंने कहा कि बोर्ड एग्जामस के लिए कई प्रोपोजल नई एजुकेशन पॉलिसी में है। बोर्ड एग्जामस के महत्व के कम किया जायेगा। इसमें वास्तविक ज्ञान की परख की जायेगी। क्लास पांच तक मातृभाषा को निर्देशों का माध्यम बनाया जायेगा। रिपोर्ट कार्ड में सब चीजों की जानकारी होगी। हमने लक्ष्य निर्धारित किया है कि GDP का छह परसेंट एजुकेशन में लगाया जाए जो अभी 4.43 परसेंट है। अमेरिका की NSF (नेशनल साइंस फाउंडेशन) की तर्ज पर देश में NRF (नेशनल रिसर्च फाउंडेशन) लाया जा रहा है। इसमें न केवल साइंस बल्कि सोशल साइंस भी शामिल होगा। ये बड़े प्रोजेक्ट्स की फाइनेंसिंग करेगा। ये शिक्षा के साथ रिसर्च में हमें आगे आने में मदद करेगा।
नई शिक्षा नीति के मेन प्वाइंट्स
सभी स्टूडेंट्स की क्षमताओं को बढ़ावा देना प्राथमिकता होगी
पांचवी तक पढ़ाई के लिए होम लैंग्वेज, मातृ भाषा या स्थानीय भाषा माध्यम
छठी कक्षा के बाद से ही वोकेशनल एजुकेशन की शुरुआत
सभी सरकारी और निजी उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए एक तरह के मानदंड होंगे
बोर्ड एग्जाम रटने पर नहीं बल्कि ज्ञान के इस्तेमाल पर अधारित होंगे
स्टूडेंट्स के लिए आर्ट्स और के बीच कोई कठिनाई, अलगाव नहीं होगा
टीचर्स के साथ-साथ गार्जियन को भी जागरूक करने पर जोर
वैचारिक समझ पर जोर होगा, रचनात्मकता और महत्वपूर्ण सोच को बढ़ावा मिलेगा
नैतिकता, संवैधानिक मूल्य पाठ्यक्रम का प्रमुख हिस्सा होंगा
चार साल का डिग्री प्रोग्राम फिर M.A. और उसके बाद बिना M.Phil के सीधा PhD
लीगल और मेडिकल कॉलेजों को छोड़कर सभी उच्च शिक्षण संस्थानों का संचालन सिंगल रेग्युलेटर के जरिए
यूनिवर्सिटीज और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एन्ट्रेंस एग्जाम होंगे