- मेनटेनेबलिटी पर शुक्रवार को आयेगा फैसला
रांची। झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के करीबियों द्वारा शेल कंपनियों में निवेश के मामले में बुधवार को झारखंड हाईकोर्ट में सभी पक्षों की ओर से बुधवार को बहस पूरी हो गई है। चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और एस एन प्रसाद की बेंच में मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस मामले में आदेश पारित करने के लिए तीन जून की तिथि निर्धारित की है। याचिका की वैधता पर अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा है।
हाई कोर्ट ने इस दौरान ने सिर्फ सीएम हेमंत सोरेन, उनके बसंत सोरेन और उनके करीबियों की शेल कंपनियों में निवेश के मामले में याचिका की वैधता पर सुनवाई की है। कोर्ट में लीज आवंटन और मनरेगा घोटाला से संबंधित मामले में फिलहाल अभी कोई सुनवाई नहीं की है। सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने याचिका को झारखंड हाई कोर्ट रूल के हिसाब से दाखिल नहीं करने और वादी द्वारा कई तथ्यों को छुपाने का आरोप लगाते हुए खारिज किए जाने की मांग की। झारखंड गवर्नमेंट का पक्ष रख रहे सीनीयर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने अदालत को सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर हुई सुनवाई से अवगत कराया। कपिल सिब्बल ने झारखंड हाइकोर्ट रुल 4A, 4B के तहत दलील देते हुए याचिका को तथ्यविहीन बताया। उन्होंने कहा कि हाइकोर्ट रूल के हिसाब से याचिका तार्किक नहीं है. श्री सिब्बल ने यह भी दलील दी कि 2013 में दायर दीवान इंद्रनील सिन्हा की याचिका को कोस्ट के साथ रद्द किया गया था। इसे ध्यान में रखते हुए हाइकोर्ट को इस याचिकाकर्ता की क्रेडिबिलिटी को देखना चाहिए।
हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से तुषार मेहता ने कहा कि ईडी की जांच में कई तथ्य चौंकाने वाले मिले हैं और मनी लॉन्ड्रिंग करने की प्रथम दृष्टया अपराध भी हुआ है। ऐसे में अगर वादी की ओर से तकनीकी त्रुटि होती है तो इस आधार पर वाद को खारिज नहीं कर सकते है। इस मामले के महत्व को देखते हुए झारखंड हाईकोर्ट संविधान के अनुच्छेद 226 के द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए उचित आदेश पारित कर सकती है जो व्यापक लोकहित में जरूरी है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि राज्य में इलिगल माइनिंग का मुद्दा वादी की ओर से उठाया गया है। खनिज संपदा राष्ट्र की संपदा होती है। सरकार और उनके अधिकारी इसके ट्रस्टी होते हैं जो उनकी सुरक्षा के लिए होते हैं ना कि नियमों का उल्लंघन कर उसका दोहन करने के लिए। उन्होंने यह भी कहा कि कोर्ट वादी की स्थिति को देखते हुए भले ही वादी को इस केस से बाहर कर सकती है लेकिन लोकहित में याचिका को खारिज नहीं किया जा सकता है।
झारखंड गवर्नमेंट की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा कि इस मामले में कोई एफआइआर दर्ज नहीं कि गयी है इसलिए ईडी इसकी जांच नहीं करनी चाहिए क्योंकि वह सोचा ऐसा नहीं कर सकती है उन्होंने कहा कि इस मामले में कानूनी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया है और सीधे हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी गई है क्या वादी को राज्य की पुलिस पर भरोसा नहीं है जिसकी वजह से उन्होंने ऐसा किया है।कपिल सिब्बल ने कहा कि याचिका में तथ्यों को छुपाया गया है, जो झारखंड हाई कोर्ट रूल का उल्लंघन हैं। उन्होंने डेढ़ घंटे तक में कहा कि जब मामला कहीं दर्ज नहीं है तो सीबीआई जांच का आदेश कैसे दिया जा सकता है। सिब्बल ने वादी के पिता से पुरानी दुश्मनी और राजनीतिक साजिश, दुराग्रहों वाली दलील दोहराई।
सिब्बल ने कहा कि तथ्यों के छुपाने कारण याचिका को खारिज कर देना चाहिए। वादी के वकील राजीव कुमार कोर्ट में कहा कि हमने सारा दस्तावेज कोर्ट के सामने रखा है। याचिका में रूल का पालन किया गया है। भ्रष्टाचार से राज्य परेशान है। सीएम का करीबी शेल कंपनी के जरिये अवैध कमाई को शराब, अवैध खनन में इस्तेमाल कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट के नामी-गिरामी वकील कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी हेमंत सोरेन की ओर से उनको बचाने उतारे हैं। संदर्भ मामलों में ईडी, ईडी भी पार्टी बन गई है। उसने भी कोर्ट में हलफनामा देकर साफ कहा है कि आइएएस पूजा सिंघल समेत कई लोगों के यहां हुई हालिया छापेमारी में ऐसे गोपनीय दस्तावेज हाथ लगे हैं। जिनसे भ्रष्टाचार के तार हेमंत सोरेन से जुड़े होने की पुष्टि हुई है। इसलिए अब इस मामले की जांच सीबीआइ से कराने का आदेश दिया जाए।
पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि एक जून को इन याचिकाओं की वैधता पर सुनवाई की जाएगी। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को पहले मेरिट के आधार पर याचिका की सुनवाई करने को कहा था। तब सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर याचिका सुनवाई योग्य है, तो फिर उच्च न्यायालय इस मामले में आगे की सुनवाई अपनी सहूलियत के हिसाब से कर सकता है।