बेल नहीं मिलने के बाद लालू प्रसाद ने सुनाई राजा-प्रजा की कहानी फेसबुक पोस्ट में लिखा-आज के हालात से संबंध नहीं
बेल पिटीशन टलने पर लालू यादव ने फेसबुक पर पोस्ट कर कहानी सुनाई है। इसमें बिना नाम लिए उन्होंने सेंट्रल गवर्नमेंट व नीतीश कुमार पर तंज कसा है। अंत में लिखा है, ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है और इसका आज की हालात और हालिया किसी भी घटना से कोई संबंध नहीं है।
रांची। बेल पिटीशन टलने पर लालू यादव ने फेसबुक पर पोस्ट कर कहानी सुनाई है। इसमें बिना नाम लिए उन्होंने सेंट्रल गवर्नमेंट व नीतीश कुमार पर तंज कसा है। अंत में लिखा है, ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है और इसका आज की हालात और हालिया किसी भी घटना से कोई संबंध नहीं है।
आखिर कैसे जागरूक नागरिकों की पहचान की जाए...
लालू ने फेसबुक पर लिखा, एक बार एक राजा को ये जानने की दिलचस्पी हुई कि उसकी प्रजा में कौन लोग एक जागरूक और सजग नागरिक हैं और कौन नहीं। उसने अपने सलाहकारों से मंत्रणा की कि आखिर कैसे जागरूक नागरिकों की पहचान की जाए। किसी ने सलाह दी कि आप पूरी प्रजा पर एक रुपये का टैक्स लगा दीजिये और ये टैक्स जमा करना सबके लिए जरूरी कर दीजिए। राजा को ये सलाह अच्छी लगी। राजा ने आदेश जारी कर दिया कि अमुक तिथि तक सभी लोग एक रुपये का टैक्स राजकोष में जमा करें। राजा सोच में था कि कितने लोगों को इस आदेश के बारे में पता चल पाएगा? आखिर कितने लोग इतने जागरूक हैं कि राजा द्वारा लिए गए फैसलों और आदेशों की जानकारी रख सके और उसका पालन कर सकें।
राजा ने सोचा कि शायद ये टैक्स बहुत कम है...
राजा को ये भी उम्मीद थी कि जो सबसे जागरूक और सजग होंगे उन्हें न सिर्फ इस आदेश के बारे में पता चलेगा, बल्कि वो हमारे पास फरियाद लेकर भी आएंगे। इस टैक्स को हटाने का उनसे अनुरोध करेंगे। एक दिन बीता। दो दिन बीत गए। तीसरा दिन भी बीत गया। टैक्स तो बहुत लोगों ने भरा, लेकिन राजा के पास उस टैक्स के विरोध में फरियाद लेकर कोई नहीं आया। राजा ने सोचा कि शायद ये टैक्स बहुत कम है। लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। सब लोग आसानी से ये टैक्स दे पा रहे हैं। फिर राजा ने टैक्स बढ़ा कर दो रुपये कर दिए। मगर, फिर भी लोगों का टैक्स देना जारी रहा। विरोध का कहीं भी कोई सुर नहीं। कोई फरियाद लेकर नहीं आया राजा के पास। लोगों का टैक्स देना जारी रहा।
कोड़े मारने के लिए सिपाहियों को तैनात किया...
राजा ने टैक्स बढ़ाकर तीन रुपये, फिर तीन से चार और चार से पांच रुपये कर दिया। मगर फिर भी लोगों का राजकोष में टैक्स देना जारी रहा। हारकर राजा ने फैसला किया कि सभी प्रजा को न सिर्फ पांच रुपये टैक्स देने होंगे, बल्कि टैक्स जमा करने के बाद उन्हें दो कोड़े भी खाने होंगे। कोड़े मारने के लिए सिपाहियों को तैनात किया गया।
राजा ने पूछा, बोलो क्या शिकायत है तुम्हारी?
लोग टैक्स जमा करते थे, दो कोड़े खाते थे और अपने घर जाते थे। राजा इंतजार कर रहा था कि अब लोग उनके पास आएंगे। उनसे फरियाद करेंगे कि महाराजा, प्रजा कराह रही है। ये टैक्स और साथ में ये दो कोड़े खाने का नियम हटाइये। और सच में कुछ लोग राजा के दरबार में पहुंच गए अपनी फरियाद लेकर। राजा ने पूछा, बोलो क्या शिकायत है तुम्हारी? उन लोगों ने कहा, महाराज, हमें बहुत परेशानी हो रही है टैक्स देने और कोड़े खाने में। आपने कोड़े मारने के लिए बहुत कम सिपाहियों को नियुक्त किया है और इस वजह से लाइन बहुत लंबी हो जाती है। हम आपके पास ये फरियाद लेकर आये हैं कि आप कोड़े मारने के लिए ज्यादा सिपाहियों को नियुक्त कीजिये ताकि लाइन लंबी न लगे और प्रजा को टैक्स जमा करने और कोड़े खाने में कोई परेशानी न ही। अपनी पोस्ट के अंत में लालू यादव ने लिखा, ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है और इसका आज की हालात और हालिया किसी भी घटना से कोई संबंध नहीं है।