Money Laundering Case: संजय राउत को मिली बेल, आदेश पर रोक खारिज
महाराष्ट्र में मुंबई की पीएमएलए कोर्ट ने बुधवार को शिवसेना एमपी संजय राउत और सह आरोपित प्रवीण राउत की बेल के आदेश पर रोक को खारिज कर दिया है।अब उन्हें बेल पर रिहा किया जायेगा।
- शिवसेना एमपी को 101 दिन बाद बड़ी राहत
मुंबई। महाराष्ट्र में मुंबई की पीएमएलए कोर्ट ने बुधवार को शिवसेना एमपी संजय राउत और सह आरोपित प्रवीण राउत की बेल के आदेश पर रोक को खारिज कर दिया है।अब उन्हें बेल पर रिहा किया जायेगा।
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#WATCH | Shiv Sena (Uddhav Thackeray faction) leader Sanjay Raut released from Arthur Road jail after Mumbai's PMLA court granted him bail in Patra Chawl land scam case earlier today. pic.twitter.com/9LnLnmV3aI
— ANI (@ANI) November 9, 2022
लगभग 101 दिन से जेल में बंद शिवसेना एमपी संजय राउत को मुंबई की एक स्पेशल कोर्ट ने बेल दे दी है। ईडी ने गोरेगांव के पात्रा चाल मामले के एक कथित मनी लॉन्ड्रिंग के सिलसिले में 31 अगस्त को रेड किया था। ईडी ने एक अगस्त को राउत को अरेस्ट किया था। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पिछले सप्ताह धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए नामित स्पेशल जज एमजी देशपांडे ने आदेश सुरक्षित रख लिया था।
पात्रा चॉल भूमि मामले में ईडी राउत की पत्नी, करीबियों समेत कई लोगों से पूछताछ कर चुकी है।मुंबई के उत्तरी उपनगरीय इलाके में पात्रा चॉल प्रोजेक्ट के मामले में ईडी जांच कर रही है। संजय राउत इस समय न्यायिक हिरासत में मुंबई के आर्थर रोड जेल में बंद है।
यह है मामला
ईडी की जांच पात्रा चाल के पुनर्विकास और उनकी पत्नी और सहयोगियों से संबंधित वित्तीय लेनदेन में कथित वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित है। गोरेगांव में सिद्धार्थ नगर, जिसे पात्रा चाल के नाम से जाना जाता है, 47 एकड़ में फैला हुआ है। इसमें 672 परिवार किराये पर रहते हैं। 2008 में, महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी एक सरकारी एजेंसी, ने हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की एक सहयोगी कंपनी गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को चाल के पुनर्विकास को लेकर एक अनुबंध सौंपा था। जिसमें जीएसीपीएल को किरायेदारों के लिए 672 फ्लैट तैयार करते थे और इनमें से कुछ फ्लैट म्हाडा को भी देने थे। जबकि बाकी बची हुई जमीन निजी डेवलपर्स को बेची जा सकती थी। लेकिन बीते 14 वर्षों में किरायेदारों को एक भी फ्लैट नहीं मिला क्योंकि कंपनी ने पात्रा चाल का पुनर्विकास नहीं किया। ईडी से मिली जानकारी के अनुसार 1,034 करोड़ रुपए में अन्य बिल्डरों को भूमि पार्सल और फ्लोर स्पेस इंडेक्स (FSI) बेच दिया।