CM नीतीश कुमार से मुलाकात में प्रशांत किशोर की नहीं बनी बात, दिनकर की कविता के जरिए बताई अपनी मजबूरी
शांत किशोर (पीके) की दो दिन पहले रात को सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात ने राजनीतिक कयासों का दायरा बढ़ा दिया है। पहले तो इस मुलाकात को गोपनीय रखा गया। लेकिन जब नीतीश ने भेद खोल दिया तो पीके ने मुलाकात की बात स्वीकार करते हुए इसे सामाजिक और राजनीतिक तौर पर एक शिष्टाचार मुलाकात बताते हुए कहा कि उनका जन सुराज अभियान जारी रहेगा।
पटना। प्रशांत किशोर (पीके) की दो दिन पहले रात को सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात ने राजनीतिक कयासों का दायरा बढ़ा दिया है। पहले तो इस मुलाकात को गोपनीय रखा गया। लेकिन जब नीतीश ने भेद खोल दिया तो पीके ने मुलाकात की बात स्वीकार करते हुए इसे सामाजिक और राजनीतिक तौर पर एक शिष्टाचार मुलाकात बताते हुए कहा कि उनका जन सुराज अभियान जारी रहेगा।
यह भी पढ़ें:Begusarai serial firing: चारों आरोपी पुलिस कस्टडी में,फायरिंग में इस्तेमाल बाइक भी बरामद
तेरी सहायता से जय तो मैं अनायास पा जाऊंगा,⁰आनेवाली मानवता को, लेकिन, क्या मुख दिखलाऊंगा?
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) September 15, 2022
…दिनकर
पीके के स्टैंड में बदलाव नहीं
पीके के इस बयान के बाद माना जा रहा है कि इस मुलाकात में दोनों में बात नहीं बनी है। क्योंकि बाद में सफाई देते हुए पीके पहले की तरह ही बिहार सरकार की नीतियों की आलोचना जारी रखी। उन्होंने शराबबंदी को बेअसर और बेगूसराय की घटना को खराब लॉ एंड ऑर्डर का उदाहरण बताया। प्रशांत किशोर ने स्पष्ट किया कि जन सुराज अभियान और बिहार की बदहाली पर उनके स्टैंड में कोई बदलाव नहीं हुआ है। दो अक्टूबर से वह एक साल तक बिहार के अलग-अलग गांवों-प्रखंडों में जायेंगे। जो रास्ता उन्होंने खुद के लिए तय किया है, उस पर कायम हैं।
पीके ने नीतीश से मुलाकात के बारे में भी सफाई देते हुए कहा कि सीएम से बिहार में जमीन पर अपने चार-पांच महीने के अनुभव को शेयर किया । उन्हें बताया कि कैसे शराबबंदी जमीन पर प्रभावी नहीं है। बेगूसराय की घटना पर प्रशांत ने कहा कि लॉ एंड ऑर्डर को लेकर लोगों के मन में जो डर है वह इस घटना से सही साबित हो रहा है। प्रशासन का शराबबंदी में लगा हुआ है। इसके चलते लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति बिगड़ी है। सरकार का मुखिया और होम मिनिस्टर होने के चलते यह नीतीश कुमार की जिम्मेदारी है।
पीके ने दिनकर की कविता के जरिए बताई अपनी मजबूरी
नीतीश कुमार से अपनी मुलाकात के बाद पीके ने राष्ट्रकवि दिनकर की दो लाइन की कविता के जरिए अपनी स्थिति बताई। खिुद को 'रश्मिरथी' का कर्ण बताया। अपने अभियान के लिए किसी की मदद लेना अस्वीकार किया। उन्होंने रश्मिरथी' की दो पंक्तियां ट्वीट की-
'तेरी सहायता से जय तो मैं अनायास पा जाऊंगा,
आनेवाली मानवता को, लेकिन, क्या मुख दिखलाऊंगा?
यह संदर्भ उस समय का है जब कर्ण और अर्जुन के बीच भीषण युद्ध चल रहा था। उसी समय अश्वसेन नामक एक सर्प कर्ण से आग्रह करता है कि वह अपने तीर पर उसे बिठाकर अर्जुन के पास भेजे। जीत तय हो जायेगी। दरअसल, अश्वसेन सर्प अर्जुन से बदला लेना चाहता था, क्योंकि खांडव वन को जलाकर उसने नागलोक का विनाश कर दिया था। कर्ण ने अश्वसेन के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।उन्होंने कहा था कि पिछले 10 वर्षों में नीतीश कुमार का सरकार बनाने का छठवां प्रयोग है।
पीके ने नीतीश से मुलाकात को छुपाने की कोशिश
प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार से दो दिन पहले हुई मुलाकात को छिपाने की भरसक कोशिश की। उन्होंने बुधवार को एक टीवी चैनल से कहा कि मेरी मुलाकात सीएम से नहीं हुई। दूसरी वहीं बुधवार को ही सीएम नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर की झूठ की हवा निकाल दी।मीडिया के सवालों के बीच स्वीकार कर लिया कि प्रशांत किशोर उनसे मिलने पवन वर्मा के साथ आये थे। नीतीश कुमार ने कहा- 'वे (प्रशांत किशोर) मुझसे मिलना चाहते थे, किसी से मिलने में क्या दिक्कत है!' नीतीश कुमार द्वारा सच स्वीकारने के बाद प्रशांत किशोर को भी सच कहना पड़ा।
नीतीश और PK के बीच कड़ी बने पवन वर्मा
प्रशांत किशोर, पवन वर्मा के साथ सीएम नीतीश कुमार से मिलने गए थे। पवन वर्मा के संबंध नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर, दोनों से बेहतर रहे हैं। इसलिए प्रशांत और नीतीश के बीच पवन वर्मा ने कड़ी की भूमिका निभाई।
पवन वर्मा भारती विदेश सेवा के अफसर रह चुके हैं। वह नीतीश कुमार की पार्टी जदयू में राष्ट्रीय महासचिव थे। उन्हें जदयू ने राज्यसभा का सदस्य बनाया था। नीतीश कुमार के सलाहकार की भूमिका में वे रह चुके हैं। वे जून 2014 से जुलाई 2016 तक राज्यसभा सदस्य रहे थे। नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) का समर्थन करने के जदयू के फैसले के विरोध में पवन वर्मा ने पार्टी छोड़ दी थी।पवन वर्मा ने कई किताबें भी लिखी हैं। पिछले साल वे ममता बनर्जी के तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए थे। ममता बनर्जी ने उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाया था। 12 अगस्त 2022 को उन्होंने तृणमूल कांग्रेस भी छोड़ दी।