Jharkhand Sthaniya Niti: रद हो 1932 का खतियान, कांग्रेस MP गीता कोड़ा व एक्स CM मधु कोड़ा ने किया विरोध
झारखंड के एक्स सीएम मधु कोड़ा व कांग्रेस एमपी गीता कोड़ा ने ने झारखंड में 1932 के खतियान के आधार पर ही स्थानीयता को परिभाषित करने के फैसले का विरोध किया है। सीएम हेमंत सोरेन से फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है।
- 1932 के खतियान को आधार बनाने से कोल्हान के लाखों लोग स्थानीय होने से हो जायेंगे वंचित
- आजादी पूर्व कराये गये सर्वे को तरजीह देना गलत
रांची। झारखंड के एक्स सीएम मधु कोड़ा व कांग्रेस एमपी गीता कोड़ा ने ने झारखंड में 1932 के खतियान के आधार पर ही स्थानीयता को परिभाषित करने के फैसले का विरोध किया है। सीएम हेमंत सोरेन से फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है।
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दोनों नेताओं ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि ऐसा नहीं होने पर पूरा कोल्हान जल उठेगा। उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार को विभिन्न जिलों में अंतिम सर्वे के आधार पर ही स्थानीयता को परिभाषित करने की कोशिश करनी चाहिए। कोल्हान प्रमंडल की चर्चा करते हुए कहा कि क्षेत्र के तीनों जिलों यानी पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला खरसावां में अंतिम सर्वे 1964, 1965 और 1970 में किया गया है। अगर इन जिलों में 1932 के खतियान को आधार बनाया गया तो 45-50 लाख लोग रिफ्यूजी की तरह रहने को बाध्य हो जायेगे।
आजादी पूर्व सर्वे को आधार बनाना ठीक नहीं
मधु कोड़ा ने कहा कि कई जिलों से ऐसी सूचनाएं मिल रही हैं कि सर्वे बहुत बाद के वर्षों में हुआ है। इस कारण बड़े पैमाने पर लोग स्थानीय होने के हक से वंचित हो जायेंगे। ऐसे भी आजादी के पहले के सर्वे कुछ खास लोगों द्वारा खास मकसद से कराये गये थे। इसलिए आजादी पूर्व सर्वे को आधार बनाना ठीक नहीं है। यह झारखंड के हित में नहीं होगा।
अन्य जिलों के युवा भी होंगे वंचित
मधु कोड़ा ने अपने आवास पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि 1932 को आधार मानने से कई जिलों के युवा सरकारी नौकरी और छात्रवृत्ति आदि से वंचित हो जायेंगे। उन्होंने कहा कि उनका विरोध इसी मुद्दे को लेकर है। उन्होंने कोर्डिनेशन कमेटी में बात नहीं उठाने का मुद्दा भी उठाया। कहा कि जब सरकार चलाने के लिए कोर्डिनेशन कमेटी का गठन हो चुका है, तो फिर इस कमेटी से इस मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए थी। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने चोरी-चोरी निर्णय लिया है।
अंतिम सर्वे सेटलमेंट को बनाएं आधार : गीता
कांग्रेस एमपी गीता कोड़ा ने भी कहा है कि झारखंड में 1932 के खतियान को आधार मानकर स्थानीयता तय करना गलत है। सरकार के इस निर्णय से कोल्हान प्रमंडल के तीनों जिलों की बड़ी आबादी झारखंडी होने से वंचित हो जायेगी। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इस पर पुनर्विचार करने की मांग की है। गीता ने कहा है कि सरकार के इस फैसले से अपनी ही जन्मस्थली पर स्थानीय का दर्जा नहीं मिलने से इस क्षेत्र की जनता प्रवासी बनकर रह जायेगी। कोल्हान में सर्वे सेटलमेंट 1964, 1965 और 1970 में किया गया था। ऐसी परिस्थिति में 1932 के खतियान को स्थानियता का आधार बनाना किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि मै सीएम से मांग करती हूं कि तत्काल इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार करते हुए झारखंड राज्य के अंतिम सर्वे सेटलमेंट को ही स्थानीयता का आधार बनाया जाए।