दहेज में ऐतिहासिक विंटेज रोल्स रॉयस कार न मिलने पर टूटा रिश्ता, सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर किया डाईवोर्स
दहेज में 1951 मॉडल रोल्स रॉयस कार न मिलने पर पति-पत्नी का विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। अब अदालत ने दोनों के तलाक को मंजूरी दे दी है। पढ़ें पूरा मामला।

नई दिल्ली। दहेज में ऐतिहासिक 1951 की विंटेज रोल्स रॉयस कार न मिलने पर वाइफ-हसबैंड के बीच विवाद इतना गहरा गया कि मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस शादी को भंग करते हुए तलाक को मंजूरी दे दी। कोर्ट ने हसबैंड को वााइफ ₹2.25 करोड़ रुपये गुजारा भत्ता देने का आदेश भी सुनाया।
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दहेज विवाद की अनोखी मांग
यह मामला इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि इसमें दहेज के रूप में मांगी गयी कार बेहद दुर्लभ है। बताया जाता है कि यह कार पूरी दुनिया में इकलौती है। इसे भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने बड़ौदा की महारानी चिमना बाई साहिब गायकवाड़ के लिए खास तौर पर बनवाया था। इस कार को एचजे मुलिनर एंड कंपनी ने हाथ से तैयार किया था। फिलहाल इस कार का मालिकाना हक वाइफ के पिता के पास है। इसकी मौजूदा कीमत लगभग ₹2.5 करोड़ रुपये आंकी जाती है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट जस्टिस सूर्य कांत, जोयमाला बागची और विपुल एम पंचोली की बेंच ने हसबैंड को आदेश दिया कि वह वाइफ को ₹2.25 करोड़ रुपये गुजारा भत्ता अदा करे। पहली किस्त ₹1 करोड़ रुपये की होगी और इसके साथ ही पत्नी पक्ष से प्राप्त सभी उपहार भी लौटाने होंगे। इसके बाद 30 नवंबर तक ₹1.25 करोड़ रुपये की दूसरी और अंतिम किस्त चुकानी होगी।
बेंच ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच शादी भंग की जाती है और निर्देश दिया कि दोनों ही एक दूसरे पर इंटरनेट मीडिया या किसी अन्य तरह से कीचड़ नहीं उछालेंगे। पीड़िता ने दावा किया था कि उसके हसबैंडने दहेज में विंटेज रोल्स रॉयस कार के साथ ही मुंबई में फ्लैट की मांग की थी। हालांकि, हसबैंड ने इस आरोप से इनकार किया है। पति की तरफ से पत्नी के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी का आरोप लगाया गया था। पति का कहना था कि महिला ने विवाह प्रमाणपत्र तैयार कराने में फर्जीवाड़ा किया था।
हाई-प्रोफाइल फैमिली बैकग्राउंड
महिला ग्वालियर से ताल्लुक रखती है। उसका दावा है कि उसके पूर्वज छत्रपति शिवाजी महाराज की नौसेना में एडमिरल थे। कोंकण इलाके के राजा घोषित किये गये थे। वहीं उसका पति आर्मी अफसरों की फैमिली से जुड़ा है। मध्य प्रदेश में शैक्षिक संस्थान का संचालन करता है।