EWS कोटे पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर, जारी रहेगा गरीबों को 10 परसेंट का रिजर्वेशन, CJI और जस्टिस भट्ट इसके खिलाफ
सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों यानी EWS कोटे को 10 परसेंट रिजर्वेशन को वैध करार दिया है। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण को वैध बताते हुए, इससे संविधान के उल्लंघन के सवाल को नकार दिया। चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पांच संदस्यीय बेंच ने 3-2 से ये फैसला सुनाया है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों यानी EWS कोटे को 10 परसेंट रिजर्वेशन को वैध करार दिया है। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण को वैध बताते हुए, इससे संविधान के उल्लंघन के सवाल को नकार दिया। चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पांच संदस्यीय बेंच ने 3-2 से ये फैसला सुनाया है।
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बेंच में जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने ईडल्ब्यूएस रिजर्वेशन को सही करार दिया। उन्होंने कहा कि यह कोटा संविधान के मूलभूत सिद्धांतों और भावना का उल्लंघन नहीं करता है। माहेश्वरी के अलावा जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी ने EWS कोटे के पक्ष में अपनी राय दी। जस्टिस जेपी पारदीवाला ने भी गरीबों को मिलने वाले 10 परसेंट रिजर्वेशन को सही करार दिया। जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी ने कहा कि मेरा फैसला जस्टिस माहेश्वरी की राय से सहमत है। उन्होंने कहा कि EWS कोटा वैध और संवैधानिक है। हालांकि चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस. रवींद्र ने EWS कोटे को अवैध और भेदभावपूर्ण करार दिया। इस तरह सामान्य वर्ग के गरीब तबके को मिलने वाले 10 फीसदी EWS रिजर्वेशन पर सुप्रीम कोर्ट ने 3-2 से मुहर लगा दी है।
आखिर कब तक जारी रहेगा रिजर्वेशन
EWS कोटे पर वैधता को लेकर फैसला सुनाते हुए जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा कि यह भी विचार करने की जरूरत है कि रिजर्वेशन कब तक जरूरी है? उन्होंने कहा कि गैर-बराबरी को दूर करने के लिए रिजर्वेशन कोई अंतिम समाधान नहीं है। यह सिर्फ एक शुरुआत भर है। चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस. रविंद्र भट्ट ने इस कोटे को गलत करार दिया है और संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया। जस्टिस भट्ट ने इस पर विस्तार से बात करते हुए कहा रिजर्वेशन के लिए 50 फीसदी की तय सीमा का उल्लंघन करना गलत है। यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि ओबीसी और एससी-एसटी वर्ग में गरीबों की सबसे ज्यादा संख्या है। ऐसे में आर्थिक आधार पर दिए जाने वाले आरक्षण से उन्हें बाहर रखना भेदभावपूर्ण है।
तो समानता के अधिकार का अर्थ होगा रिजर्वेशन का अधिकार
जस्टिस रविंद्र भट्ट ने कहा कि संविधान में सामाजिक और राजनीतिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए रिजर्वेशन की बात कही गई है। आर्थिक आधार पर रिजर्वेशन की बात नहीं कही गई है। उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से पिछड़ों की सबसे ज्यादा संख्या ओबीसी और एससी-एसटी समुदाय के लोगों में ही हैं। ऐसे में इसके लिए अलग से रिजर्वेशन दिए जाने की क्या जरूरत है। जस्टिस रविंद्र ने EWS कोटे को संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताते हुए कहा कि यह आरक्षण कुछ वर्गों को बाहर करता है, जो भेदभावूर्ण है। उन्होंने 50 परसेंट की लिमिट पार करने को गलत बताते हुए कहा कि इस तरह तो समानता के अधिकार का अर्थ रिजर्वेशन का अधिकार हो जायेगा।
EWS रिजर्वेशन का फायदा और इसके नियम
पांच जजों की संवैधानिक बेंच में जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस. रविंद्र भट ही ऐसे थे, जिन्होंने इस कोटे को गलत करार दिय़ा। उन्होंने कहा कि यह कानून भेदभाव से पूर्ण है और संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।
उल्लेखनीय कि संविधान में 103वें संशोधन के जरिए 2019 में संसद से EWS रिजर्वेशन को लेकर कानून पारित किया गया था। इस फैसले को कई याचिकाओं के जरिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिस पर लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने आज फैसला सुनाया है।
2019 में सरकार लाई थी 103वां संविधान संशोधन
जनवरी 2019 में नरेंद्र मोदी सरकार ने 103 वें संविधान संशोधन के तहत EWS कोटा लागू किया था। सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 के खंड 6 में इस कोटे को जोड़ा जो नौकरियों और शिक्षा में रिजर्वेशन देता है। इसके तहत राज्य सरकार शैक्षणिक संस्थानों में रिजर्वेशन और नौकरी पर आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग (EWS) को 10 परसेंट रिजर्वेशन दे सकती है। अनुच्छेद 30 (1) के तहत आने वाले अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को छोड़कर किसी भी शैक्षणिक संस्थान (प्राइवेट भी) में इस तरह का रिजर्वेशन दिया जा सकता है।
किसे मिल सकता है फायदा
EWS का अर्थ है- आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण। यह आरक्षण सिर्फ जनरल कैटेगरी यानी सामान्य वर्ग के लोगों के लिए है। अन्य कटेगरी के वर्गों जैसे ओबीसी (27%), एससी (15%), और एसटी (7.5%) आरक्षण पहले से है। EWS रिजर्वेशन का फैसला आपके और आपके परिवार की वार्षिक आय पर निर्भर करता है। इस आरक्षण का फायदा लेने के लिए परिवार की वार्षिक आय 8 लाख रुपये से कम होनी चाहिए। इसमें स्रोतों में सिर्फ सैलरी ही नहीं, कृषि, व्यवसाय और अन्य पेशे से मिलने वाली आय भी शामिल हैं।
खुद का आवासीय फ्लैट्स पर आरक्षण?
EWS आरक्षण के तहत व्यक्ति के पास 5 एकड़ से कम कृषि भूमि होनी जरूरी है। इसके अलावा 200 वर्ग मीटर से अधिक का आवासीय फ्लैट नहीं होना चाहिए। यहां यह गौर करने वाली बात है कि 200 वर्ग मीटर से ज्यादा भूमि का आवासीय फ्लैट नगरपालिका के अंतर्गत भी नहीं होना चाहिए।
ऐसे कर सकते हैं EWS रिजर्वेशन पर दावा
EWS रिजर्वेशन का पात्र होने पर हालांकि शैक्षणिक संस्थानों में आवेदन और सरकारी नौकरियों के लिए आयु में कोई छूट नहीं है लेकिन, कोटे से 10 परसेंट रिजर्वेशन मिलता है। EWS के पात्र के पास आरक्षण का दावा करने के लिए 'आय और संपत्ति प्रमाण पत्र'होना जरूरी है। यह प्रमाण पत्र तहसीलदार या उससे ऊपर पद के राजपत्रित अधिकारी ही जारी करते हैं। इस प्रमाण पत्र की वैधता एक साल रहती है। जिसे अगले वर्ष फिर से रीन्यू करना होता है।