बिहार: BJP भूमिहारों को साधने में रही विफल, मोकामा में सेंट्रल मिनिस्टर समेत 40 स्टार प्रचारक हुए फेल 

बिहार में बीजेपी गुणा-गणित लगाने के बाद भी भूमिहार व पिछड़ा वोर्ग के को साधने में फेल रही। भूमिहार बहुल मोकामा को जीतने के लिए बीजेपी ने बिरादरी विशेष के तीन नेताओं ( विजय सिन्हा, रजनीश कुमार और मनोज शर्मा को विशेष उत्तरदायित्व सौंपा था, लेकिन इनका खास असर नहीं दिखा। बीजेपी के दो-दो सेंट्रल मिनिस्टर समेत 40 स्टार प्रचारक भी फेल हो गये। 

बिहार: BJP भूमिहारों को साधने में रही विफल, मोकामा में सेंट्रल मिनिस्टर समेत 40 स्टार प्रचारक हुए फेल 

गोपालगंज में भी हारते-हारते साख बच पाई बीजेपी
पटना। बिहार में बीजेपी गुणा-गणित लगाने के बाद भी भूमिहार वोटरों को साधने में फेल रही। भूमिहार बहुल मोकामा को जीतने के लिए बीजेपी ने बिरादरी विशेष के तीन नेताओं ( विजय सिन्हा, रजनीश कुमार और मनोज शर्मा को विशेष उत्तरदायित्व सौंपा था, लेकिन इनका खास असर नहीं दिखा। बीजेपी के दो-दो सेंट्रल मिनिस्टर समेत 40 स्टार प्रचारक भी फेल हो गये। 

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बिहार में सत्ता से बेदखल होने के बाद बीजेपी ने विजय सिन्हा को नेता प्रतिपक्ष का पद देकर बोचहां में नाराज भूमिहार समाज को साधने की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी थी। संगठन को सिन्हा से बड़ी उम्मीद भी थी, लेकिन अपनी पंचायत में भी नेता प्रतिपक्ष बीजेपी कैंडिडेट को लीड नहीं दिला सके। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल, सेंट्रल मिनिस्टर नित्यानंद राय, गिरिराज सिंह, विधान परिषद में विपक्ष के नेता सम्राच चौधरी, तार किशोर प्रसाद, राज्यसभा सदस्य शंभू शरण पेटेल, एमपी मनोज तिवारी, राम कृपाल यादव, एक्स मिनिस्टर नीरज बबलू समेत 40 लीडर बीजेपी को मोकामा में जीत दिलाने में विफल रहे। 
27 वर्ष बाद बीजेपी ने मोकामा में उतारा था कैंडिडेट
बीजेपी 27 वर्ष बाद भाजपा ने मोकामा में अपना कैंडिडेट उतारा था। इससे पहले 1995 में प्रमोद कुमार सिंह को बतौर बीजेपी कैंडिडेट मोकामा चुनाव लड़े थे। संगठन की लचर स्थिति और सामाजिक समीकरण को साधने के लिए पार्टी ने धानुक समुदाय से राज्यसभा सदस्य बनाए गये शंभू शरण पटेल को लगाया था, लेकिन  फिर भी पार्टी 17 हजार मतों से हार गई। 
अनंत का किला ध्वस्त करने का बीजेपी का सपना टूटा
मोकामा में जीत के लिए बीजेपी ने हर वह रणनीति अपनाई ताकि पहली बार कमल खिल सके। बावजूद इसके मोकामा में अनंत सिंह का किला ध्वस्त करने का सपना पूरा नहीं हुआ। बीजेपी कैंडिडेट  सोनम देवी लगभग 17 हजार मतों के अंतर से हार गयी बल्कि उन्होंने नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा के गांव में भी बढत नहीं मिली। विजय सिन्हा की पंचायत मालपुर में जहां आरजेडी की नीलम देवी को 2015 व बीजेपी की सोनम मात्र 1729 मत मिले। 
नहीं चला सूरजभान और चिराग का जादू, लल्लू मुखिया रहे बेअसर
मोकामा जीतने के लिए बीजेपी ने बाहुबली सूरजभान सिंह और लल्लू मुखिया का भी साथ लिया था। इसके बाद भी मोकामा में अनंत सिंह की जीत हुई। लल्लू मुखिया का समर्थन मिलने से बीजेपी को उम्मीद थी कि वह अनंत सिंह को पंडारक टाल में रोक पायेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पंडारक प्रखंड में बीजेपी को 15962 वोट मिला जबकि राजद उम्मीदवार नीलम देवी को 24194 वोट आया। बीजेपी ने मोकामा में चुनाव प्रचार के लिए चिराग पासवान को बुलाया था, लेकिन उनका आना भी कोई बड़ा करिश्मा नहीं कर पाया। पासवान बहुल माने जाने वाले मोर पश्चिम पंचायत में बीजेपी को 1672 वोट आया, जबकि राजद को 2020 वोट मिले। मोकामा टाल धुसवारी प्रखंड में भी बीजेपी पर आरजेडी भारी रही। मोकामा नगर परिषद के सभी वार्डों में भी बीजेपी कैंडिडेट से अधिक वोट आरजेडी को मिला। 
गोपालगंज में मात्र 1794 वोटों से ही जीत सकी बीजेपी
गोपालगंज में सहानुभूति लहर में भी बीजेपी हारते-हारते साख बच पाई। हालांकि यादव व राजपूत बहुल क्षेत्र होने के कारण पार्टी ने चुनाव का प्रभारी महाराजगंज के एमपी जनार्दन सिंह सिग्रीवाल और सिवान के एक्स एमपी ओम प्रकाश यादव को बनाया था। इसके बावजूद एक्स मिनिस्टर दिवंगत सुबास सिंह की पत्नी कुसुम देवी 1794 वोट से जीत कर पार्टी की साख बचा पाईं।