तिरुपति मंदिर के पास है 2.26 लाख करोड़ की संपत्ति, 10.3 टन गोल्ड और 16 हजार करोड़ रुपये बैंकों में जमा
तिरुपति मंदिर (तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम) कुल संपत्ति 2.26 लाख करोड़ की है। टीटीडी ट्रस्ट शनिवार को श्वेत पत्र जारी किया है। इसमें बताया गया कि मंदिर का लगभग 5,300 करोड़ का 10.3 टन गोल्ड और 15,938 करोड़ कैश नेशनल बैंकों में जमा है।
हैदराबाद। तिरुपति मंदिर (तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम) कुल संपत्ति 2.26 लाख करोड़ की है। टीटीडी ट्रस्ट शनिवार को श्वेत पत्र जारी किया है। इसमें बताया गया कि मंदिर का लगभग 5,300 करोड़ का 10.3 टन गोल्ड और 15,938 करोड़ कैश नेशनल बैंकों में जमा है।
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विश्व प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर के ट्रस्ट तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ने श्वेतपत्र जारी कर बताया कि ट्रस्ट के नाम लगभग 2.5 लाख करोड़ से अधिक की संपत्ति है। बैंकों में 16,000 करोड़ रुपये के साथ-साथ 10.25 टन सोना और 2.5 टन सोने के ज्वेलरी जमा है।ट्रस्ट ने कहा कि पूरे भारत में ट्रस्ट की कुल 960 संपत्तियां हैं। यह पूरे भारत में 7,123 एकड़ में फैली हुई हैं।
मंदिर की स्थापना के बाद यह पहली बार है जब ट्रस्ट ने संपत्तियों के बारे में खुलासा किया है। ट्रस्ट की ओर से बताया गया है कि साल 2022-23 में 3,100 करोड़ का बजट पेश किया गया था। इसमें से 668 करोड़ रुपये तो बैंकों से मिलने वाले ब्याज के ही थे ट्रस्ट द्वारा संपत्तियों का जो विवरण दिया गया है उनमें प्राचीन आभूषणों और कुछ गेस्ट हाउस को शामिल नहीं किया गया है।तिरुपति में भक्तों द्वारा चढ़ाये जा रहे नकद और सोने में लगातार वृद्धि हो रही है, जिसके कारण मंदिर के संपत्तियों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। उन्होंने कहा कि बैंकों से मिलने वाले ब्याज के कारण भी यह बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है।र सोना विभिन्न बैंकों में पारदर्शी तरीके से रखा गया है।
कई कंपनियों से भी अधिक है ट्रस्ट की संपत्ति
शेयर मार्केट के कई बड़े कारोबारों से भी अधिक है। शुक्रवार को शेयर बाजार बंद होने तक विप्रो की मार्केट वैल्यू 2.14 लाख करोड़ रुपये आंकी गई थी। वहीं, अल्ट्राटेक सीमेंट का मार्केट वैल्यू 1.99 लाख करोड़ दर्ज की गई थी। इसके अलावा शुक्रवार को मल्टीनेशनल कंपनी नेस्ले की भारतीय इकाई की वैल्यू 1.96 लाख करोड़ थी।ONGC और NTPC जैसी सरकारी कंपनियों की वैल्यूएशन भी मंदिर की संपत्तियों से कम है। सिर्फ दो दर्जन कंपनियों की वैल्यूएशन ही मंदिर ट्रस्ट की संपत्ति से अधिक है। इन कंपनियों में रिलायंस और टाटा संस शामिल है।
सोशल मीडिया रिपोर्ट्स को किया खारिज
टीटीडी की ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि श्रीवरि के भक्त इस तरह की झूठी बातों पर यकीन न करें। टीटीडी का कैश औट्रस्ट ने उन सोशल मीडिया रिपोर्ट्स को भी खारिज किया है, जिसमें कहा गया है कि टीटीडी के चेयरमैन ने सरप्लस अमाउंट को आंध्र प्रदेश गवर्नमेंट की सिक्योरिटीज में जमा किया है। ट्रस्ट के अनुसार सरप्लस अमाउंट शिड्यूल्ड बैंकों में जमा किया गया है। टीटीडी की ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि श्रीवरि के भक्त इस तरह की झूठी बातों पर यकीन न करें। टीटीडी का कैश और सोना विभिन्न बैंकों में पारदर्शी तरीके से रखा गया है। साल-दर-साल बढ़ी है वैल्यू
मंदिर ट्रस्ट के मुताबिक 10.3 टन सोना राष्ट्रीयकृत बैंकों में जमा किया गया है। इसकी वैल्यू 5300 करोड़ रुपए से ज्यादा है। वहीं, मंदिर ट्रस्ट के पास 15,938 करोड़ रुपए का कैश है। इस तरह से ट्रस्ट के पास कुल 2.26 लाख करोड़ रुपए की संपत्ति होने की बात सामने आई है। टीटीडी का 2019 से विभिन्न बैंकों में 13,025 करोड़ रुपये फिक्स था, अब यह बढ़कर 15,938 करोड़ रुपए हो चुका है। वहीं, 2019 में ट्रस्ट के पास 7339.74 गोल्ड था, जो पिछले तीन साल में बढ़कर 2.9 टन हो गई है।
2019 के बाद से सोना और कैश में हुई वृद्धि
ट्रस्ट के कार्यकारी अधिकारी एवी धर्म रेड्डी ने बताया है कि वर्तमान ट्रस्ट बोर्ड ने 2019 से अपने इन्वेस्टमेंट गाइडलाइंस को मजबूत किया है। 2019 में कई बैंकों में 13,025 करोड़ नकद था, जो बढ़कर 15,938 करोड़ हो गया है। पिछले तीन सालों की इन्वेस्टमेंट में 2,900 करोड़ की वृद्धि हुई है। वहीं ट्रस्ट के शेयर किए गए बैंक-वाइस इन्वेस्टमेंट में 2019 में TTD के पास 7339.74 टन सोना जमा था, जो पिछले तीन सालों में 2.9 टन बढ़ गया।
इंडिया का सबसे धनी मंदिर है तिरुपति बालाजी मंदिर
आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर देश का सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। यहां पर रोज करोड़ों रुपए का दान आता है
बालों का दान किया जाता है
मान्यता है कि जो व्यक्ति अपने मन से सभी पाप और बुराइयों को यहां छोड़ जाता है, उसके सभी दुःख देवी लक्ष्मी खत्म कर देती हैं। इसलिए यहां अपनी सभी बुराइयों और पापों के रूप में लोग अपने बाल छोड़ जाते हैं।
भक्तों को नहीं दिया जाता तुलसी पत्र
सभी मंदिरों में भगवान को चढ़ाया गया तुलसी पत्र बाद में प्रसाद के रूप में भक्तों को दिया जाता है।अन्य वैष्णव मंदिरों की तरह यहां पर भी भगवान को रोज तुलसी पत्र चढ़ाया तो जाता है, लेकिन तिरुपति बालाजी मंदिर के भक्तों को प्रसाद के रूप में नहीं दिया जाता। पूजा के बाद उस तुलसी पत्र को मंदिर कैंपस में मौजूद कुएं में डाल दिया जाता है।मंदिर से 23 किलोमीटर दूर एक गांव है, उसमें बाहरी व्यक्ति को एंट्री नहीं दी जाती है। वहां पर लोग नियम से रहते हैं और वहीं से लाए गए फूल, दूध, घी, मक्खन भगवान को चढ़ाये जाते हैं।
भगवान विष्णु को कहते हैं व्यंकटेश्वर
तिरुपति बालाजी मंदिर के बारे में कहा जाता हैं कि यह मेरूपर्वत के सप्त शिखरों पर बना हुआ है, इसकी सात चोटियां शेषनाग के सात फनों का प्रतीक कही जाती हैं। इन चोटियों को शेषाद्रि, नीलाद्रि, गरुड़ाद्रि, अंजनाद्रि, वृषटाद्रि, नारायणाद्रि और व्यंकटाद्रि कहा जाता है। इनमें से व्यंकटाद्रि नाम की चोटी पर भगवान विष्णु विराजित हैं। इसी वजह से उन्हें व्यंकटेश्वर के नाम से जाना जाता है। प्रभु वेंकटेश्वर भगवान विष्णु का अवतार हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु ने कुछ समय के लिए स्वामी पुष्करणी नामक सरोवर के किनारे निवास किया था।प्रभु वेंकटेश्वर भगवान विष्णु का अवतार हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु ने कुछ समय के लिए स्वामी पुष्करणी नामक सरोवर के किनारे निवास किया था।
सिर्फ शुक्रवार को होते हैं पूरी मूर्ति के दर्शन
मंदिर में बालाजी के दिन में तीन बार दर्शन होते हैं। पहला दर्शन विश्वरूप कहलाता है, जो सुबह के समय होता है। दूसरा दर्शन दोपहर को और तीसरा दर्शन रात को होता है। भगवान बालाजी की पूरी मूर्ति के दर्शन केवल शुक्रवार को सुबह अभिषेक के समय ही किये जा सकते हैं।
भगवान बालाजी ने यहीं दिए थे रामानुजाचार्य को साक्षात् दर्शन
यहां पर बालाजी के मंदिर के अलावा और भी कई मंदिर हैं, जैसे- आकाश गंगा, पापनाशक तीर्थ, वैकुंठ तीर्थ, जालावितीर्थ, तिरुच्चानूर। ये सभी जगहें भगवान की लीलाओं से जुड़ी हुई हैं। कहा जाता है कि श्रीरामानुजाचार्य जी लगभग डेढ़ सौ साल तक जीवित रहे और उन्होंने सारी उम्र भगवान विष्णु की सेवा की, जिसके फलस्वरूप यहीं पर भगवान ने उन्हें साक्षात दर्शन दिए थे।