एक करोड़ के इनामी नक्सली कुख्यात अरविंद से मिलने के बाद विमल यादव बना था माओवादी

झारखंड पुलिस के समक्ष सरेंडर करने वाला भाकपा माओवादी नक्सली राधेश्याम कुमार उर्फ विमल उर्फ उमेश इंटरमीडिएट पास है। वह जब वर्ष 1993 में आइएससी में पढ़ता था, उसी समय चचेरे भाइयों से जमीन विवाद हो गया। उस समय जहानाबाद इलाके में मजदूर किसान संग्राम समिति सक्रिय था। वर्ष 1995-96 में विमल इस संगठन से जुड़ा, जिसके बाद ही समिति ने विवाद को सुलझाया।

एक करोड़ के इनामी नक्सली कुख्यात अरविंद से मिलने के बाद विमल यादव बना था माओवादी

रांची। झारखंड पुलिस के समक्ष सरेंडर करने वाला 25 लाख का इनामी भाकपा माओवादी नक्सली राधेश्याम कुमार उर्फ विमल उर्फ उमेश इंटरमीडिएट पास है। वह जब वर्ष 1993 में आइएससी में पढ़ता था, उसी समय चचेरे भाइयों से जमीन विवाद हो गया। उस समय जहानाबाद इलाके में मजदूर किसान संग्राम समिति सक्रिय था। वर्ष 1995-96 में विमल इस संगठन से जुड़ा, जिसके बाद ही समिति ने विवाद को सुलझाया।

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विमल की मुलाकात वर्ष 1999 में माओवादियों के शीर्ष नेता निशांत उर्फ अरविंद से हो गई। अरविंद  कहने पर विमल माओवादियों का सक्रिय सदस्य बन गया।इसके बाद माओवादियों के लिए कुरियर का काम करने लगा। विमल को वर्ष 2005 में पार्टी ने सब जोनल कमांडर बनाया। इसके बाद वर्ष 2009 में जोनल कमांडर बन गया। पुलिस ने वर्ष 2010 में वजीरगंज के पास विस्फोटक के साथ उसे अरेस्ट कर बेउर जेल भेज दिया। 
विमल वर्ष 2011 में पटना के बेउर जेल से छूटा। इसके बाद माओवादियों ने विमल रीजनल कमांडर बना दिया। वर्ष 2012 में माओवादी कमांडर अरविंद के कहने पर वह बूढ़ा पहाड़ गया। वहां तीन महीने रहने के बाद फिर जहानाबाद पहुंचा।  पुलिस के अरविंद की पत्नी सहित उसे भी अरेस्ट कर लिया। आठ महीने तक जेल में रहने के बाद वर्ष 2013 में बिमल जेल से बेल पर बाहर निकला। गांव में ही रहने लगा। माओवादियों ने उसे वर्ष 2014 में स्पेशल एरिया कमेटी का पदभार दिया। विमल वर्ष 2015 में फिर बूढ़ा पहाड़ पर आ गया और वहीं रहने लगा। विमल अपने उपर लगे सभी आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि उसे लेवी के रुपयों से कोई लेना-देना नहीं था। वह माओवादियों में केवल व्यवस्थापक की भूमिका में था।

रवींद्र गंझू के साथ नहीं होती बैठक तो पार्टी में हो जाता अंतर्विरोध
अरविंद की 21 मार्च 2018 को मौत के बाद एक करोड़ के इनामी मिसिर बेसरा के कहने पर विमल यादव को प्लाटून कमांडर बनाया गया था। बूढ़ा पहाड़ के जोकपानी में उसके नेतृत्व में ही रिजनल कमांडर 15 लाख के इनामी रवींद्र गंझू के साथ बैठक हुई। इसमें नक्सली नीरज खेरवार, प्रदीप खेरवार, राजू भुइया, मानवेल, नागेंद्र, गोदन, विरन, उज्जवल आदि भी शामिल हुए। अगर रवींद्र गंझू बूढ़ा पहाड़ नहीं आता तो कोयलशंख जोन की बैठक नहीं हो पाती। अगर बैठक नहीं होती तो टीम में अंतर्विरोध हो जाता।

बूढ़ा पहाड़ व चक्रबंधा क्षेत्र में अभी भी हैं कई बड़े नक्सली

विमल ने पुलिस को बताया है कि अब भी बूढ़ा पहाड़ व चक्रबंधा क्षेत्र में कई बड़े इनामी नक्सली सक्रिय हैं। उन्हों छापेमारी, तलाशी के अलावा सामुदायिक पुलिसिंग तथा पोस्टर-प्रचार के माध्यम से खोजा जा रहा है। 
प्राइवेट स्कूल में पढ़ते हैं विमल के बच्चे

नक्सली विमल के चार बच्चे हैं, जो प्राइवेट में पढ़ते हैं। उसने बताया कि सरेंडर करनेपर पुलिस ने उसे आश्वासन दिया है कि उसे ओपेन जेल में भेजा जायेगा।  जहां वह परिवार के साथ रह सकेगा। विमल ने बताया कि इनाम की राशि मिलने के बाद वह व्यवसाय करेगा और समाज की मुख्य धारा से जुड़कर रहेगा।
कई मामलों में आरोपी है विमल यादव

माओवादी विमल यादव मूल रूप से बिहार के जहानाबाद जिले के करौना सेवनन सलेमपुर का रहने वाला है। उसपर बिहार व झारखंड के विभिन्न थानों में नक्सल से संबंधित कुल 25 कांड दर्ज हैं। इनमें जहानाबाद में पांच, मसौढ़ी में एक, बारेसाढ़ में तीन, चंदवा में एक, छिपादोहर थाने में एक, गढ़वा के भंडरिया में 12, रमकंडा में एक व तमाड़ में एक कांड शामिल हैं।