बिहार: वैशाली, पटना, गया, राजगीर और बोधगया के बीच शुरू होगी हेलीकाप्टर सेवा
बौद्ध सर्किट से जुड़े स्थलों तक देश-विदेश के पर्यटकों के पहुंचने की सुविधा के मद्देनजर इन्हें हवाई मार्ग से भी जोड़ा जायेगा। इससके तहत वैशाली को हेलीकाप्टर सेवा से जोडऩे की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
![बिहार: वैशाली, पटना, गया, राजगीर और बोधगया के बीच शुरू होगी हेलीकाप्टर सेवा](https://threesocieties.com/uploads/images/2022/02/image_750x_6219fa21e6ecd.jpg)
- एशियन डेवलपमेंट बैंक से ली जायेगी मदद ली
- यह सेवा यूपी से भी कनेक्ट होगी
पटना। बौद्ध सर्किट से जुड़े स्थलों तक देश-विदेश के पर्यटकों के पहुंचने की सुविधा के मद्देनजर इन्हें हवाई मार्ग से भी जोड़ा जायेगा। इससके तहत वैशाली को हेलीकाप्टर सेवा से जोडऩे की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
होलिका दहन के अगले दिन नहीं होगी होली, एक दिन बाद खेला जायेगा रंग !
गया हवाई अड्डे को भी विस्तार दिया जायेगा। पर्यटन मंत्रालय की पहल पर एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) इसमें आर्थिक व तकनीकी सहयोग करेगा। नेशनल हेलीकाप्टर सेवा से बिहार के वैशाली, पटना, गया, राजगीर एवं बोधगया के साथ ही यूपी के वाराणसी और कुशीनगर को भी जोड़ा जाना है।एडीबी के सुझाव एवं उसकी कार्ययोजना के मद्देनजर बिहार के विकास आयुक्त स्टेट के कई विभागों, एजेंसियों एवं संबंधित जिलों के डीएम के साथ पिछले 13 जनवरी को विमर्श कर चुके हैं। यह सरकार के रिवाइवल आफ इंडिया एज ए ग्लोबल सेंटर आफ बुद्धिस्ट कल्चर एंड टूरिज्म एजेंडे का हिस्सा है। मामले में पर एक और बैठक होगी। इसके बाद सेंट्रल गवर्नमेंट को प्रोपोजल भेजा जायेगा।
एडीबी के कंट्री डायरेक्टर ने चीफ सेकरटेरी से बैठक आयोजित करने का आग्रह किया है। बैठक में वैशाली, पटना, गया और नालंदा जिलों के अलावा मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण एवं भागलपुर के डीएम शामिल होंगे। वैशाली के डीएम अनुसार वैशाली के बौद्ध सर्किट में शामिल रहने से यहां नेशनल लेवल के हेलीपैड एवं अन्य निर्माण पर चर्चा हुई है।
राष्ट्रीय बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय बन रहा है वैशाली में
भगवान बुद्ध की कर्मस्थली तथा उनके अस्थि अवशेष प्राप्ति स्थल वैशाली में लगभग 550 करोड़ की लागत से राष्ट्रीय बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय का निर्माण हो रहा है। इसके लिए जिला प्रशासन ने 72 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया है। राष्ट्रीय स्तर के निर्माणाधीन संग्रहालय में भगवान बुद्ध का अस्थि कलश आम श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ रखा जायेगा। उनसे जुड़ी अनेक प्राचीनतम वस्तुएं भी रखी जायेंगी। आडिटोरियम और ध्यान केंद्र के साथ ही समृद्ध संग्रहालय में पुरातात्विक उत्खनन से प्राप्त वस्तुओं को भी प्रदर्शित किये जाने की योजना है।