BRABU मुजफ्फरपुर के प्रोफेसर ललन की ईमानदारी, नहीं मिली क्लास तो तीन साल की सैलरी 24 लाख रुपये लौटाये
बिहार के मुजफ्फरपुर भीमराव आंबेडकर बिहार यूनिवर्सिटी के नीतेश्वर कॉलेज के एक प्रोफेसर ने क्लास नहीं मिलने पर अपनी तीन साल की पूरी सैलरी यूनिवर्सिटी को लौटा दी है। नीतीश्वर कॉलेज में सहायक प्रोफेसर के पोस्ट पर कार्यरत हैं प्रोफेसर डॉ. ललन कुमार ने 32 माह की पूरी सैलरी 23 लाख 82 हजार 228 रुपए यूनिवर्सिटी को लौटा दी है।
- नीतीश्वर कॉलेज में सहायक प्रोफेसर के पोस्ट पर कार्यरत हैं प्रोफेसर डॉ. ललन कुमार
मुजफ्फरपुर। बिहार के मुजफ्फरपुर भीमराव आंबेडकर बिहार यूनिवर्सिटी के नीतेश्वर कॉलेज के एक प्रोफेसर ने क्लास नहीं मिलने पर अपनी तीन साल की पूरी सैलरी यूनिवर्सिटी को लौटा दी है। नीतीश्वर कॉलेज में सहायक प्रोफेसर के पोस्ट पर कार्यरत हैं प्रोफेसर डॉ. ललन कुमार ने 32 माह की पूरी सैलरी 23 लाख 82 हजार 228 रुपए यूनिवर्सिटी को लौटा दी है।
2019 से हैं पोस्टेड, दूसरे कॉलेज में चाहते हैं ट्रांसफर
उन्होंने वीसी को भेजे पत्र में लिखा है कि वे 25 सितंबर, 2019 से नीतीश्वर कॉलेज में पोस्टेंड हैं। पढ़ाने की इच्छा रखते हैं, लेकिन Undergraduate Hindi Department में 131 स्टूडेंट होने के बावजूद एक भी नहीं आते। क्लास में स्टूडेंट के नहीं होने से यहां काम करना मेरे लिए अपनी अकादमिक मृत्यु के समान है। मैं चाहकर भी अपने दायित्व का निर्वहन नहीं कर पा रहा। इन स्थितियों में वेतन की राशि स्वीकार करना मेरे लिए अनैतिक है। इसके पूर्व कई बार इंटर कॉलेज ट्रांसफर के लिए आवेदन दिया, लेकिन वीसी ने गंभीरता से नहीं लिया। ऐसी परिस्थिति में अपने कार्य के प्रति न्याय नहीं कर पा रहा। अंतरात्मा की आवाज को मानते हुए अपनी एप्वाइंटमेंट (25 सितंबर, 2019) से ( मई 2022 ) की प्राप्त संपूर्ण वेतन की राशि 23 लाख 82 हजार 228 रुपये यूनिवर्सिटी को समर्पित करना चाहता हूं।
चांसलर से लेकर पीएमओ तक भेजी लेटर की कॉपी
प्रोफेसर ललन कुमार ने वीसी के अलावा चांसलर, सीएम, एजुकेशन मिनिस्टर, फाइनेंस डिपार्टमेंट, हाई कोर्ट, पटना ( जनहित याचिका के रूप में ), अध्यक्ष UGC, नई दिल्ली, सेंट्रल एजुकेशन मिनिस्टर, पीएमओ और प्रसिडेंट आदि को लेटर की कॉपी भेजी है।प्रोफेसर ललन ने वीसी को पत्र के साथ वेतन का चेक भी भेजा है। उन्होंने एलएस, आरडीएस, एमडीडीएम और पीजी डिपार्टमेंट में ट्रांसफर की इच्छा भी जताई है। प्रोफेसर ललन कुमार ने यूनिवर्सिटी को तीन साल से पत्र लिखकर अपनी ट्रांसफर किसी ऐसे कॉलेज में करने की मांग कर रहे थे, जहां बच्चे पढ़ने आते हों। हालांकि, उनकी एक न सुनी गयी। इससे परेशान आकर नीतीश्वर कॉलेज के सहायक प्रोफेसर डॉ. ललन कुमार ने अपनी तीन साल की पूरी सैलरी 23 लाख 82 हजार 228 रुपये यूनिवर्सिटी को लौटा दी है।
प्रोफेसर ललन कुमा र वैशाली जिले के शीतल भकुरहर गांव निवासी किसान श्रवण सिंह के पुत्र हैं। ललन कुमार का सलेक्शन 24 सितंबर 2019 को BPSC के माध्यम से असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप मे हुआ था। ललन का 15 वां रैंक था। ललन का आरोप है कि BRA बिहार यूनिवर्सिटी के तत्कालीन VC राजकुमार मंडिर ने सभी नियमों और शर्तों को धत्ता बताते हुए मनमाने तरीके से सभी सलेक्ट प्रोफेसरों की पोस्टिंग की। उन्होंने मेरिट और रैंक का उल्लंघन करते हुए कम नंबर वाले को PG और अच्छे-अच्छे कॉलेज दे दिए। बेहतर रैंकिंग वाले को ऐसे कॉलेजों में भेजा गया, जहां किसी प्रकार के कोई क्लास नहीं होते थे।
प्रोफेसर ललन कुमार का कहना है कि 2019 से 2022 तक में छह बार ट्रांसफर-पोस्टिंग हुई। मैंने चार बार आवेदन लिखकर मांग किया कि मेरे कॉलेज में पढ़ाई नहीं होती है। मैं बच्चों को पढ़ाना चाहता हूं। मेरा ट्रांसफर PG डिपार्टमेंट, एलएस कॉलेज या आरडीएस कॉलेज में कर दी जाए जहां क्लासेज होती है। ताकि मैं बच्चों को पढ़ा सका हूं और अपने ज्ञान का सदुपयोग कर सकूं। बार- बार आग्रह करने के बाद भी मेरा ट्रांसफर नहीं किया गया।अंतत: मैं अपनी अंतरात्मा की सुनते हुए मैंने 25 सितंबर 2019 से मई 2022 तक प्राप्त सभी सैलरी यूनिवर्सिटी को समर्पित कर देना चाहता हूं। स्टूडेंट्स की संख्या शून्य होने के कारण मैं चाहकर भी अपने दायित्व का निर्वहन नहीं कर पा रहा हूं। इस स्थिति में सैलरी स्वीकार करना मेरे लिए अनैतिक है।
आरोप बेबुनियाद
वहीं बीआरए बिहार यूनिवर्सिटी के वीसी हनुमान पांडेय ने कहा कि डा . ललन कुमार का पत्र अभी मुझे नहीं मि ला है। हो सकता है, उनका को ई व्यक्तिगत स्वार्थ हो इसलिए पीजी या एलएस कालेज में आने का प्रयास कर रहे हैं। सभी पीजी डिपार्टमेंट में चार सीनीयर लोगों को पोस्टेंड किया जायेगा। लेनदेन की बात बेबुनियाद है।
'मांगा गया है स्पष्टीकरण'
वहीं, इस संबंध नीतीश्वर कॉलेज के प्रिसिंपल प्रो डॉ मनोज कुमार ने कहा कि डॉ ललन कुमार के आवेदन की जानकारी उन्हें भी खबरों के माध्यम से हुई है। हो सकता है उनका कोई व्यक्तिगत स्वार्थ हो इसलिए पीजी या एलएस कॉलेज में आने का प्रयास कर रहे हैं। फिलहाल उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है।
कॉलेज में 1100 स्टूडेंट, तीन साल में 10 क्लास भी नहीं
नितिश्वर कॉलेज में स्टूडेंट एडमिशन कराने के बाद केवल एग्जाम देने आते हैं।कहने को कॉलेज में कुल 1100 स्टूडेंट हैं। केवल हिन्दी डिपार्टमेंट में 110 स्टूडेंट हैं, लेकिन पिछले तीन साल में अभी तक 10 क्लास भी हिन्दी की नहीं हुई है, क्योंकि स्टूटेंट ही नहीं आते हैं।
प्रसिडेंट से मिल चुका एकेडमिक एक्सिलेंस अवार्ड
ललन ने ग्रेजुएशन की पढ़ाई दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिन्दू कॉलेज से और PG की पढ़ाई JNU से की है। दोनों जगह मैं यूनिवर्सिटी टॉपर रहे। ग्रेजुएशन में एकेडमिक एक्सिलेंस का प्रसिडेंट अवॉर्ड भी मिल चुका है। ललन ने नी एमफिल और PHD भी दिल्ली यूनिवर्सिटी से की है।
सैलरी लेने का प्रावधान नहीं, मामले की जांच करायेंगे: रजिस्ट्रार
डॉ ललन कुमार के मामले पर यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार राम कृष्ण ठाकुर का कहना है कि किसी भी प्रोफेसर से सैलरी वापस लेने का कोई प्रावधान नहीं है। उनकी कंपलेन की जांच कराई जाएगी। आज ही कॉलेज प्रिंसिपल को इस मामले में तलब किया जायेगा। इसके बाद जिस कॉलेज में डॉ ललन जाना चाहते हैं तत्काल उन्हें वहां डेप्युटेशन दे दिया जायेगा। उनका चेक एक्सेप्ट नहीं किया गया है।