बिहार: कोरोना संक्रमण से बिहारशरीफ के एसडीएम संजय कुमार सिंह की मौत, 25 दिनों से चल रहा था इलाज

कोरोना वायरस संक्रमण से बिहारशरीफ के एसडीएम संजय कुमार सिंह का रविवार की अहले सुबह तीन बजे मौत हो गयी। संक्रमित होने के बाद एसडीएम का 25 दिनों से पटना एम्स में इलाज चल रहा था।

बिहार: कोरोना संक्रमण से बिहारशरीफ के एसडीएम संजय कुमार सिंह की मौत, 25 दिनों से चल रहा था इलाज
एसडीएम संजय कुमार सिंह(फाइल फोटो)।

बिहारशरीफ। कोरोना वायरस संक्रमण से बिहारशरीफ के एसडीएम संजय कुमार सिंह का रविवार की अहले सुबह तीन बजे मौत हो गयी। संक्रमित होने के बाद एसडीएम का 25 दिनों से पटना एम्स में इलाज चल रहा था।

बताया जाता है कि एसडीएम संजय सिंह 28 अप्रैल को कोरोना संक्रमित हुए थे। पहले उनका इलाज बिहारशरीफ के एक प्राइवेट हॉस्पीटल में चल रहा था। तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें पहले पटना के प्राइवेट हॉस्पीटल में एडमिट कराया गया था। वहां हालत में सुधार नहीं हुआ तो पटना एम्स भेजा गया। एसडीएम के निधन की खबर से जिले के प्रशासनिक अफसर स्तब्ध हैं। कोरोना संक्रमित होने के पहले वे लगातार ड्यूटी पर थे। एसडीएम लोगों को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने तथा लॉकडाउन के नियमों का पालन करने को प्रेरित करते रहते थे। वह खुद भी एडवाइजरी के तहत कोविड वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके थे। डीएम योगेन्द्र सिंह ने कहा कि हमने कोरोना से जंग में अपना काबिल व कर्तव्यनिष्ठ सहयोगी खो दिया। उनके परिजनों को कोरोना योद्धा के लिए घोषित तमाम सुविधाएं मिलेंगी। ईश्वर परिवार को दुख सहने की शक्ति प्रदान करें।

बिहारशरीफ में वर्ष 2002 एक सितंबर को किया था ज्वाइन

एसडीएम संजय कुमार सिंह ने नालंदा जिले के बिहारशरीफ में एक सितम्बर 2020 को ज्वाइन किया था। कुछ ही दिनों में अपने कामकाज के बूते उन्होंने शहर में अलग पहचान बना ली थी। कोरोना काल में वे लगभग हर दिन सड़क पर निकलकर लोगों को मास्क पहनने को प्रेरित करते थे। विभागीय कामकाज पर भी असर नहीं पडऩे दिया। अनुश्रवण समिति की बैठक में भी एसडीएम सभी सदस्यों की बात धैर्य से सुनते थे।उसके निष्पादन का हर संभव प्रयास करते थे।

पहले पूर्णिया में थे डीसीएलआर

बिहारशरीफ ज्वाइन करने के पहले श्री सिंह पूर्णिया में डीसीएलआर थे। उससे पहले गया में बीडीओ रह चुके थे। पूर्णिया से प्रोमोशन के बाद एक सितम्बर 2020 को बिहारशरीफ के एसडीएम बनाय गये थे। संजय कुमार सिंह भागलपुर जिले के बछियावन गांव के रहने वाले थे। उनके परिवार में पत्नी, सात वर्ष की पुत्री व एक पांच वर्ष का पुत्र हैं। तमाम रिश्ते-नातों समेत पूरे परिवार को जोड़कर रखते थे।