पटना। बिहार में 10 और 20 अक्टूबर को होने वाला नगर निकाय चुनाव स्थगित कर दिया है। पटना हाईकोर्ट में बिहार के स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्गों को आरक्षण दिये जाने के मामले पर फैसला सुनाने के बाद चुनाव आयोग ने यह निर्णय लिया है।
हार्ईकोर्ट ने कहा था कि राज्य निर्वाचन आयोग अति पिछड़ों के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य घोषित कर चुनावी प्रक्रिया को शुरू कर सकता है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जब तक बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया को पूरा नहीं कर लेती तब तक अति पिछडों के लिए आरक्षित सीट सामान्य माने जायेंगे। इसके साथ ही अति पिछ़ड़ों को आरक्षण देने से पहले हर हाल मे ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि राज्य निर्वाचन आयोग या तो अति पिछड़ों के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य करार देकर चुनावी प्रक्रिया आगे बढ़ाये या फिर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार ट्रिपल टेस्ट करा कर नये सिरे से आरक्षण का प्रावधान बनाए। उल्लेखनीय है कि बिहार गवर्नमेंट ने एक अप्रैल, 2022 को सूचना जारी करते हुए राज्य चुनाव आयोग को चुनाव करवाने का आदेश दिया था। इसके तहत राज्य में स्थानीय निकायों के चुनाव आगामी 10 अक्टूबर से शुरु होने वाले हैं।
कोर्ट ने सुनाया 86 पेज का फैसला
चीफ जस्टिस संजय करोल एवं न्यायाधीश एस कुमार की खंडपीठ ने 86 पेज का निर्णय को देते हुए कहा कि "चुनाव आयोग को एक स्वायत्त और स्वतंत्र निकाय के रूप में कार्य करना, न की बिहार सरकार के हुक्म से बंध कर। गौरतलब है कि स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण दिये जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में फैसला सुनाया था, जिसके अनुसार स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती जब तक कि सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्धारित तीन जांच की अर्हता पूरी नहीं कर लेती । पटना हाई कोर्ट द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी (कोर्ट मित्र) वरीय अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव ने यह भी बताया कि जांच के प्रावधानों के अनुसार अन्य पिछड़ा वर्गों (ओ बी सी) के पिछड़ेपन पर आंकड़ा जुटाने के लिए एक विशेष आयोग का गठन करने व आयोग की अनुशंसा के आलोक में प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात निर्धारित करने की जरूरत है।हाईकोर्ट ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट द्वारा के. कृष्णा मूर्ति, सुनील कुमार, विकास किशनराव गावली, सुरेश महाजन, राहुल रमेश वाघ और मनमोहन नगर के मामले में दिये गये निर्देश के संबंध में भी जिक्र किया गया है।
यह है ट्रिपल टेस्ट
सुप्रीम कोर्ट ने जो ट्रिपल टेस्ट का फार्मूला बताया था उसमें उस राज्य में ओबीसी के पिछड़ापन पर आंकड़े जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग की अनुशंसा के अनुसार प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने को कहा था । इसके साथ - साथ ही यह भी सुनिश्चित करने को कहा था कि एससी, एसटी, ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा कुल सीटों का 50 फीसदी की सीमा से ज्यादा नहीं हो । खंडपीठ ने अपने फैसले की प्रति राज्य के मुख्य सचिव और राज्य निर्वाचन आयुक्त को भी भेजने को कहा है। हाई कोर्ट ने इस मामले पर 29 अक्टूबर को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसका फैसला दशहरा की छुट्टी में सुनाया गया।