बिहार: JDU के सभी बैनर-पोस्टर पर सिर्फ नीतीश कुमारका ही रहेगा फोटो, पार्टी अब नंबर दो पर कोई नहीं
जनता दल यूनाइटेड में के बैनर-पोस्टर पर अब सिर्फ नीतीश कुमार का ही फोटो रहेगा। पार्टी में नंबर दो या तीन पर कोई नहीं होगा। जेडीयू में नबंर दो को लेकर चल रही खींचतान के बीच पार्टी ने यह बड़ा फैसला लिया है।
पटना। जनता दल यूनाइटेड में के बैनर-पोस्टर पर अब सिर्फ नीतीश कुमार का ही फोटो रहेगा। पार्टी में नंबर दो या तीन पर कोई नहीं होगा। जेडीयू में नबंर दो को लेकर चल रही खींचतान के बीच पार्टी ने यह बड़ा फैसला लिया है।
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जेडीयू के बैनर-पोस्टर पर नीतीश कुमार के अलावा यदि दूसरे की फोटोनजर आयी तो पार्टी उसपर अनुशासानात्मक कार्रवाई करेगी। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने रविवार को इसको लेकर एक निर्देश जारी किया है।कहा जा रहा है कि पार्टी के अंदर ललन सिंह और आरसीपी सिंह को बैनर और पोस्टर में जगह देने को लेकर आये दिन विवाद हुआ करता था।जेडीयू ने इस विवाद को जड़ से ही खत्म करने का रास्ता निकाला है। अब बैनर-पोस्टर पर सिर्फ नीतीश कुमार का ही फोटो रहेगा। दूसरा और किसी का फोटो नहीं लगाया जायेगा। नीतीश कुमार के अलावा दूसरे की फोटो नजर आयी तो कार्रवाई की जायेगी।
बिहार प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने यह आदेश मुख्यालय से लेकर जिलों तक में फैली गुटबाजी की शिकायतों को लेकर जारी किया है। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष ने पार्टी के प्रदेश पदाधिकारी, जिला/महानगर अध्यक्ष एवं प्रकोष्ठों के प्रदेश अध्यक्ष को यह निर्देश देते हुए कहा कि जदयू पूर्णरूप से यूनाईटेड है। इसके सर्वमान्य नेता केवल नीतीश कुमार हैं। सिर्फ उन्हीं का फोटो बैनर और पोस्टर पर होगा।पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने अपने जारी निर्देश में सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को यह सलाह दी जाती है कि पार्टी के प्रचार के लिए जो बैनर, पोस्टर, हैंडबिल, पम्पलेट, स्टीकर,होर्डिग बनवाई जाती है, तो उसमें पार्टी के सर्वमान्य नेता नीतीश कुमार का ही फोटो लगाया जाये। इनके अलावे किसी और का फोटो लगाये जाने से पार्टी में विवाद और गुटबाजी पैदा होता है। जबकि पार्टी में एकजुटता रहनी चाहिए। जनता दल यूनाइटेड में अनुशासन आवश्यक है। अनुशासित रहकर ही पार्टी को मजबूत किया जा सकता है। प्रदेश अध्यक्ष ने इस निर्देश को सख्ती से पालन करने की बात कही है।
अब पार्टी के नेता आरसीपी सिंह, ललन सिंह, उपेन्द्र कुशवाहा, वशिष्ठ नारायण सिंह, उमेश सिंह कुशवाहा या अन्य किसी जदयू नेता का फोटो जदयू के बैनर-पोस्टर में अब नहीं दिखेगा। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और एक मात्र केन्द्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को भी जदयू के बैनर-पोस्टर में जगह नहीं मिलेगी।.
निवेदक के नाम पर चेहरा चमकाने वाले भी बर्दाश्त नहीं
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि बहुत से मामलों में यह देखा गया है कि नेताओं के समर्थक अपने पसंद के नेता की फोटोके साथ निवेदक के रूप में अपनी तस्वीर डालकर उसे चमकाने लगते हैं। हाल ही में पार्टी द्वारा आयोजित दावत ए इफ्तार में भी इसे नोटिस में लिया गया। इसे भी पार्टी द्वारा अनुशासनहीनता की श्रेणी में रखा जायेगा। ऐसा इसलिए कि पार्टी ने यह स्पष्ट निर्देश जारी किया है कि नीतीश कुमार के अलावा किसी अन्य नेता की फोटो जदयू के फ्लेक्स या पोस्टर पर नहीं दिखेगी। पार्टी के किसी भी आयोजन यहां तक कि प्रकोष्ठ के कार्यक्रम में भी सिर्फ नीतीश कुमार की फोटो दिखेगी।
गुटबाजी को हवा देने वालों पर अब रहेगी निगाह
अब बिहार में जदयू की ओर से होने वाले किसी आयोजन के पोस्टर-बैनर में नीतीश कुमार के अलावा किसी और की फोटो नहीं रहेगी। यहां तक कि बड़े तोरणद्वार पर भी निवेदक की फोटो नहीं रहेगी। जदयू में खेमेबाजी की चर्चा उस समय पोस्टर से ही आगे बढ़ी थी जब आरसीपी सिंह केंद्र में मंत्री बनने के बाद पहली बार पटना आ रहे थे। उस समय उनके समर्थक अभय सिंह कुशवाहा ने उनके स्वागत में ऑफिस के समीप एक बड़ा सा फ्लेक्स लगाया था। इसमें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह व संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की फोटो को ही गायब कर दिया गया था। इस बड़े फ्लेक्स के मामले ने इस तरह से तूल पकड़ा कि अभय सिंह कुशवाहा को इसे हटाना पड़ा था। उस घटना के बाद अभय कुशवाहा जदयू की मुख्य धारा में नहीं लौट पाये। लेकिन, पोस्टर विवाद खत्म नहीं हुआ। आरसीपी जब कभी जिलों का दौरा करते हैं, उनके स्वागत में लगे बैनर में राष्ट्रीय अध्यक्ष या संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष का फोटो नहीं रहता है। यही सेवा ललन सिंह के समर्थक आरसीपी के फोटो के साथ करते हैं।
भामाशाह जयंती पर विवाद
राजगीर में 24 अप्रैल को जदयू के आरसीपी समर्थक नेताओं ने भामाशाह जयंती पर समारोह का आयोजन किया था। कहा जा रहा है कि सीएम के हस्तक्षेप के बाद इसे स्थगित किया गया। उसमें आरसीपी सिंह चीफ गेस्ट थे। जदयू के प्रदेश कार्यालय में इसका आयोजन किया गया। आरसीपी को आमंत्रित नहीं किया गया था।
विधान परिषद चुनाव पर पड़ा असर
स्थानीय प्राधिकार से होने वाले विधान परिषद की 24 सीटों के चुनाव पर गुटबाजी का घातक असर पड़ा। हरेक जिले में पार्टी दो हिस्से में बंटी हुई थी। माना गया कि टिकटों के बंटवारा में ललन सिंह का जोर चला। इसलिए आरसीपी के समर्थक धीमी गति में चले गए। बोचहां उप चुनाव में बीजेपी कैंडिडेट में प्रचार के लिए आरसीपी आये। विधान परिषद चुनाव में उन्होंने जदयू के किसी उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार नहीं किया। जदयू के एक पराजित उम्मीदवार ने तो अपनी हार के लिए सीधे तौर पर आरसीपी समर्थकों को जिम्मेवार ठहरा दिया। प्रदेश जदयू अध्यक्ष उमेश कुशवाहा का कहना है कि परिषद चुनाव में गुटबाजी करने वालों की पहचान कर ली गई है। जल्द ही उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। देखना दिलचस्प होगा कि अनुशासनिक कार्रवाई के बाद गुटबाजी कम होती है या और अधिक बढ़ जाती है।