- नीतीश कुमार की फटकार के बाद बदले सुर
पटना। बिहार के सीएम नीतीश कुमार के करीबी मिनिस्टर अशोक चौधरी द्वारा एक कविता ट्वीट किये जाने सियासी बवाल मच गया है। जेडीयू कोटे से ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी ने एक कविता सोशल मीडिया पर पोस्ट की, इसमें बढ़ती उम्र वाले लोगों को नसीहत दी गई है। हालांकि नीतीश कुमार की फटकार बाद उनके सुर बदल गये हैं।
अशौक चौधरी पिछले कुछ दिनों से सुर्खियों में हैं। लोकसभा चुनाव के बाद भूमिहारों को लेकर दिए बयानों के कारण पिछले दिनों सभी नेताओं के निशाने पर आने वाले अशोक चौधरी ने बिना किसी का नाम लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर तीखा तंज किया है। जिस पर राजनीतिक गलियारे में खलबली मच गयी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उनके ट्वीट के बाद अशोक चौधरी को सीएम हाउस तलब किया गया है।
राज्य के ग्रामीण कार्य मंत्री चौधरी ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर 'बढ़ती उम में इन्हें छोड़ दीजिए' शीर्षक से एक कविता पोस्ट की। उनकी इस कविता से चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। अशोक चौधरी ने इस कविता के जरिए किस पर तंज कसा, इसे लेकर तरह-तरह के कयास लगाये जा रहे हैं। हालांकि, मंत्री ने कहा कि उन्होंने किसी को भी निशाने पर लेते हुए यह कविता पोस्ट नहीं की।
अशोक चौधरी ने कहा कि इस पर कोई विवाद नहीं होना चाहिए। यह कविता उनके दोस्त की वाइफ ने लिखी है। बीती रात उनके दोस्त ने उन्हें कविता भेजी थी। उन्हें यह अच्छी लगी तो सुबह सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी। यह एक जीवन दर्शन है। वहीं, जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा है कि नीतीश कुमार पर कौन निशाना साध लेगा। वो ग्लोबल लीडर है। 19 साल से सीएम हैं फिर भी उनके खिलाफ एंटी इनकंबैंसी नहीं है। नीरज कुमार ने कहा कि नीतीश कुमार पर कोई सवाल नहीं उठा सकता। कोई सवाल उठायेगा तो सीधा जवाब मिलेगा।
मिनिस्टर अशोक चौधरी ने जो कविता शेयर की, वो इस तरह है
बढ़ती उम्र में इन्हें छोड़ दीजिए।
एक दो बार समझाने से यदि कोई नहीं समझ रहा है तो सामनेवाले को समझाना, छोड़ दीजिए।
बच्चे बड़े होनेपर वो खुद के निर्णय लेने लगे तो उनके पीछे लगना, छोड़ दीजिए।
गिने चुने लोगों से अपनेविचार मिलते हैं, यदि एक-दो से नहीं मिलते तो उन्हें, छोड़ दीजिए।
एक उम्र के बाद कोई आपको न पूछे या कोई पीठ पीछे आपके बारे में गलत कह रहा है तो दिल पर लेना, छोड़ दीजिए।
अपने हाथ कुछ नहीं, ये अनुभव आने पर भविष्य की चिंता करना, छोड़ दीजिए।
यदि इच्छा और क्षमता में बहुत फर्क पड़ रहा है तो खुद से अपेक्षा करना, छोड़ दीजिए।
हर किसी का पद, कद, मद, सब अलग है इसलिए तुलना करना,छोड़ दीजिए।
बढ़ती उम्र में जीवन का आनंद लीजिए, रोज जमा खर्च की चिंता करना, छोड़ दीजिए।
उम्मीदें होंगी तो सदमे भी बहुत होंगे, यदि सुकून से रहना है तो उम्मीदें करना, छोड़ दीजिए।