बिहार: तेजस्वी यादव का BY समीकरण सफल, काम कर रहा RJD का A टू Z फार्मूला, टेंशन में NDA

बिहार में स्थानीय निकाय कोटे से 24 सीटों पर संपन्न हुए चुनाव रिजल्ट से आरजेडी नयी अवतार में दिख रही है। आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के पुत्र सह नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी का A टू Z फार्मूला चल रहा है। इसके तहत MLC चुनाव में BY समीकरण पूरी तरह सफल रहा।  अब आरजेडी के राजनीति की चाल बदल गया है। MY समीकरण की जगह RJD का A टू Z फार्मूला में BM समीकरण सफल रहा है। 

बिहार: तेजस्वी यादव का BY समीकरण सफल, काम कर रहा RJD का A टू Z फार्मूला, टेंशन में NDA
  • पार्टी ने नयी अवतार से बदल गयी राजनीति की चाल
  • लालू के रास्ते से बेटे ने पार्टी को किया अलग
पटना। बिहार में स्थानीय निकाय कोटे से 24 सीटों पर संपन्न हुए चुनाव रिजल्ट से आरजेडी नयी अवतार में दिख रही है। आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के पुत्र सह नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी का A टू Z फार्मूला चल रहा है। इसके तहत MLC चुनाव में BY समीकरण पूरी तरह सफल रहा। अब आरजेडी के राजनीति की चाल बदल गया है। MY समीकरण की जगह RJD का A टू Z फार्मूला में BM समीकरण सफल रहा है। 
एमएलसी के चुनाव परिणाम से दूरगामी असर से इनकार नहीं किया जा सकता है। आरजेडी के नये अवतार से प्रदेश का राजनीतिक समीकरण बदल सकता है। स्थानीय प्राधिकार कोटे की 24 सीटों का नतीजा बताता है कि सभी सीटें मात्र चार समूहों ने मिलकर जीत लीं। तीन दशकों की राजनीति में पहली बार आरजेडी ने अपनी चाल बदली है। लालू प्रसाद के रास्ते से स्वयं को अलग किया है। मुस्लिम-यादव समीकरण से अलग तेजस्वी यादव ने 24 में 10 सवर्णों को टिकट दिया था। इनमें पांच भूमिहार थे। सफलता का परसेटेंज 60 से ऊपर रहा। पांच में तीन कैंडिडेट जीत गये। यानी आरजेडी के कुल जीते छह सदस्यों में से आधा। आरजेडी ने 10 यादव और एक मुस्लिम को कैंडिडेट बनाया था। इनमें सिर्फ एक यादव कैंडिडेट की जीत हो सकी। शेष पराजित हो गये। आरेजेडी ने पहली बार किसी चुनाव में सवर्णों को इतनी अहमियत से साथ लेकर चलने का प्रयास किया। इससे बीजेपी-जेडीयू की परेशानी बढ़ना तय है। 
आरजेडी ने बीजेपी के गढ़ कहे जानेवाले पटना सीट पर भूमिहार कैंडिडेट अनंत सिंह के करीबी कार्तिकेय सिंह को उतारा और उन्होंने जीत दर्ज की। हालांकि उनके पास यादव जाति से दानापुर एमएलए रीतलाल यादव के भाई लाइन में थे, लेकिन परसेप्शन न बिगड़े इसके लिए लालू यादव ने खुद मास्टर कार्तिक के नाम का एलान किया था। ताकि सवर्णों में साफ-साफ मैसेज जाए और दूर की राजनीति न बिगड़े। नतीजा ये रहा कि कुर्मी जाति से आनेवाले जेडीयू के वाल्मीकि सिंह तीसरे नंबर पर चले गये। मुंगेर-जमुई-लखीसराय सीट पर भी आरजेडी के जिस उम्मीदवार (अजय सिंह) ने जीत हासिल की वो भूमिहार जाति से आते हैं। इसके अलावा पश्चिम चंपारण जैसी सीट को 18 साल बाद आरजेडी ने भूमिहार कैंडिडेट की बदौलत बीजेपी से छिन ली।
आरेजी में अब A टू Z के साथ BY का जलवा?
बिहार की सत्ता पर काबिज होने के लिए पिछड़ी जातियों के साथ-साथ लालू यादव और तेजस्वी यादव ने सवर्ण जातियों को अपनाया तो उसका रिजल्ट विधान परिषद चुनाव में देखने को मिला। इसका सबसे बड़ा उदाहरण पटना की सीट है। जिसे बीजेपी का गढ़ कहा जाता है, वहां पर एनडीए कैंडिडेट तीसरे नंबर पर रहा।आरेजेडी के बेस वोट बैंक मुस्लिम-यादव यानी MY को माना जाता है। आम धारणा है कि इसके नेता सवर्णों को नहीं अपनाते हैं। कुछेक अपवाद छोड़कर। मुस्लिम और यादव समीकरण की बदौलत डेढ़ दशक तक लालू यादव बिहार की सियासत के शहंशाह बने रहे। हालांकि अब भी माना जाता है कि MY (मुस्लिम-यादव) पर लालू यादव का जादू चलता है। मगर पकड़ ढीली जरूर हुई है। उसकी भरपाई आरजेडी की ओर से सवर्ण मतदाताओं से करने की कोशिश की जा रही है। अब नया समीकरण भूमिहार-यादव यानी BY देखने को मिल रहा है।
आरजेडी में जीते कुल छह कैंडिडेट में तीन भूमिहार
आरजेडी में अब तेजस्वी यादव MY नहीं बल्कि A टू Z की बात करते हैं। 2020 विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद कुर्सी की रेस में पिछड़ गये। कई सीट को तो मामूली अंतर से गंवा दिए। शायद इसी का नतीजा रहा कि बिहार एमएलसी चुनाव में उन्होंने सवर्णों खासकर भूमिहार जाति के कांडिडेट्स पर दिल खोलकर दांव लगाया। इसका नतीजा रहा कि जीतनेवाले उनके छह कैंडिडेट में तीन भूमिहार, एक राजपूत, एक यादव और एक वैश्य है।
RJD का नया दांव भूमाई परीक्षा में सफल रहा
 RJD का नया दांव भूमाई (भूमिहार, मुस्लिम और यादव) अपनी परीक्षा में सफल रहा। दूसरी तरफ NDA की वर्तमान राजनीति का लिटमस टेस्ट भी हो गया। अब यह आगामी विधानसभा चुनाव (2025) की रूपरेखा भी तय कर सकता है। लालू यादव की पार्टी ने पहली बार सवर्णों के एग्रेसिव जाति माने जाने वाले भूमिहार को पांच टिकट देकर जो दांव खेला वह सफल रहा। अगर यह समीकरण जारी रहा तो आगामी चुनाव NDA के लिए काफी कठिन हो सकता है। क्योंकि BJP के परंपरागत वोटर्स भूमिहार में सीधे सेंधमारी होगी। यह नया समीकरण आरजेडी के लिए काफी दमदार हो सकता है।इसको लेकर तेजस्वी यादव भी खासा इच्छुक नजर आते हैं। तभी तो पूरे MLC चुनाव के प्रचार के दौरान वह कहते रहे कि अगर हमको सीएम बनाना चाहते हैं तो यादव सवर्णों को भी वोट करें। 
बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग  
हाल के चुनावों में BJP ने एक नई रणनीति बनाई है। खासकर छोटी-छोटी जातियों को जोड़ने के लिए वह सम्मेलन के साथ-साथ अगड़ों का टिकट काटकर उन्हें टिकट भी दे रही है। BJP का पूरा जोर अतिपिछड़ा और दलित पर है। सवर्णों की पार्टी का दाग धोने के लिए ही वह अब आधे से अधिक टिकट पिछड़ा और दलितों को दे रही है।MLC चुनाव में उसने अपने परंपरागत वोटर भूमिहार जाति को दो टिकट दिया। इसके उलट RJD ने पांच टिकट दिया है। यह प्रयोग सफल होने से अब बिहार की राजनीति में नया बदलाव की संभावना बढ़ी है।
 NDA के पास थी 21 सीटें, जीत हुई 13 पर
 स्थानीय निकाय कोट के हो रहे 24 सीटों में बीजेपी की 13 सीटसीटिंग थी। 2016 में बीजेपी 11 ही जीती थी लेकिन एलजेपी की नूतन सिंह और कटिहार से जीते अशोक कुमार अग्रवाल बाद में बीजेपी में शामिल हो गये। BJP इस बार 12 सीटों पर ही चुनाव लड़ी। उसने अपने कोटे की मधुबनी सीट JDU को दे दी। बीजेपी को सात सीटें मिली। पिछली बार जेडीयू सीट जीती थी लेकिन RJD के तीन एमएलसी JDU में शामिल हो गये लिहाजा उसकी सीटिंग सीटें आठ हो गईं थी। लेकिन जेडीयू ने पांच सीटें ही जीत सकी। 
 RJD ने 10 सीटों पर सवर्णों को दिया था मौका
 RJD ने अपने मुस्लिम-यादव (MY) समीकरण को छोड़कर 10 सीटों पर सवर्ण को कैंडिडेट बनाया था। पार्टी ने सवर्णों में सबसे ज्यादा पांच भूमिहार, चार राजपूत और एक ब्राह्मण जाति के उम्मीदवार को मैदान में उतारा। RJD ने यादव जाति के आठ एक मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में उतारा है।आरजेडी की चार सीटिंग सीटें थी। आरजेडी 23 सीटों पर चुनाव लड़ी और छह सीटें जीती। मधुबनी,पूर्वी चंपारण व नवादा में आरजेडी के बागी ही जीतने में सफल रहे। 
NDA गठबंधन ने 10 स्वर्ण को दिया था टिकट
बीजेपी ने पांच राजपूत, दो भूमिहार, एक ब्राह्मण, चार पिछड़ा वर्ग के वैश्य को टिकट दिया था। JDU ने एक भूमिहार, दो यादव, एक कुर्मी, एक मुस्लिम, तीन राजपूत, एक हरिजन और एक वैश्य को टिकट दिया था।। वहीं LJP (पारस ) ने एक टिकट यादव को दिया है।
जीत में सवर्णों की आधी भागीदारी 
टिकट वितरण में सभी दलों ने सभी जातियों का ख्याल रखा, मगर जीत में सवर्णों की बड़ी भागीदारी रही। 24 सीटों में 12 पर सिर्फ भूमिहार और राजपूत जाति के प्रत्याशी जीते। दोनों के छह-छह। वैश्य समुदाय से भी छह प्रत्याशियों का भाग्य खुला। पांच सीट पर यादव और एक सीट पर ब्राह्मïण की भी जीत हुई। अन्य जातियों के प्रत्याशी को कामयाबी नहीं मिली। मुस्लिम प्रत्याशी का भी खाता नहीं खुला। सबसे ज्यादा भूमिहार आरजेडी से जीते। 
2022 एमएलसी चुनाव में जीते कैंडिडेट
पटना- कार्तिकेय सिंह-भूमिहार-आरजेडी
मुंगेर- अजय सिंह-भूमिहार-आरजेडी
पश्चिम चंपारण- इंजीनियर सौरभ-भूमिहार-आरजेडी
गोपालगंज-राजीव कुमार-भूमिहार-बीजेपी
बेगूसराय- राजीव सिंह-भूमिहार-कांग्रेस
सारण- सच्चिदानंद राय-भूमिहार-निर्दलीय
दरभंगा- सुनील चौधरी- ब्राह्मण-बीजेपी
औरंगाबाद- दिलीप कुमार सिंह-राजपूत-बीजेपी
रोहतास- संतोष सिंह-राजपूत-बीजेपी
भागलपुर- विजय सिंह-राजपूत-बीजेपी
मुजफ्फरपुर- दिनेश सिंह-राजपूत-जेडीयू
पूर्वी चंपारण- महेश्वर सिंह-राजपूत-निर्दलीय
सहरसा- अजय सिंह-राजपूत-आरजेडी
भोजपुर- राधाचरण सेठ-वैश्य-जेडीयू
सीतामढ़ी- रेखा देवी-वैश्य- बीजेपी
समस्तीपुर- तरुण कुमार-वैश्य- बीजेपी
पूर्णिया- दिलीप जायसवाल-वैश्य-बीजेपी
सीवान- विनोद जायसवाल-वैश्य-आरजेडी
कटिहार- अशोक अग्रवाल-वैश्य-बीजेपी
वैशाली- भूषण राय-यादव-एलजेपी (पारस गुट)
नवादा- अशोक यादव-यादव-निर्दलीय
नालंदा- रीना यादव-यादव- जेडीयू
मधुबनी- अंबिका गुलाब यादव- यादव-निर्दलीय
गया- रिंकू यादव-यादव-आरजेडी