बिहार: उपेंद्र कुशवाहा और ललन सिंह की बंद कमरे में हुई मुलाकात, गरमाई स्टेट की पॉलिटक्स
बिहार में 16 सालों से सत्ता पर आसीन जेडीयू में सीएम नीतीश कुमार की कथित सोशल इंजीनियरिंग व आरसीपी प्रेम ने राजनीतिक हलचल बढ़ गई है। उपेंद्र कुशवाहा ने शुक्रावर को ललन सिंह से बंद कमरे में मुलाकात कर राजनीतिक सरगर्मी को और हवा दे दी है।
पटना। बिहार में 16 सालों से सत्ता पर आसीन जेडीयू में सीएम नीतीश कुमार की कथित सोशल इंजीनियरिंग व आरसीपी प्रेम ने राजनीतिक हलचल बढ़ गई है। उपेंद्र कुशवाहा ने शुक्रावर को ललन सिंह से बंद कमरे में मुलाकात कर राजनीतिक सरगर्मी को और हवा दे दी है।
एक घंटे तक चली मुलाकात
जेडीयू संसदीय दल के नेता ललन सिंह पार्टी पार्लियामेंट्री बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा से मिलने उनके आवास पर पहुंचे। दोनों नेताओं के बीच लगभग एक घंटे तक मुलाकात चली। ललन सिंह ने पत्रकारों के सवाल पर कहा कि सेंट्रल कैबिनेट विस्तार पर खुद सीएम ही स्थिति स्पष्ट कर चुके हैं। इस पर मैं क्या कह सकता हूं।पत्रकारों ने पूछा कि पार्टी में सब ठीक है न? तो उन्होंने कहा - एकदम, सब ठीक है। ललन सिंह ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा हमारे साथी हैं। इनसे मुलाकात के कोई मायने नहीं हैं। JDU में सब कुछ ठीक है।
एक पार्टी में हैं, मुलाकात तो होती रहेगी: उपेंद्र
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि उन दोनों की मुलाकात में कुछ भी अस्वभाविक नहीं है। दोनों एक दल में हैं। पार्टी कैबिनेट मंत्रिमंडल विस्तार तो अब बीती बात हो चुकी है। इस मसले पर जो भी फैसला लिया गया, वह पार्टी का फैसला है। कुशवाहा ने कहा कि इस मुलाकात को मंत्रिमंडल विस्तार से जोड़कर नहीं देखा जा सकता है। हम लोग आपस में मिलते रहते हैं। कभी वह मेरे घर आते हैं, कभी हम उनके घर जाते हैं। इस मुलाकात को राजनीति के नजर से देखने की जरूरत नहीं है। ये मुलाकात JDU को आगे मजबूत करने पर चर्चा के लिए हुई है।
पॉलिटिरल जानकारों का कहना है जेडीयू सेंट्रल कैबिनेट में जेडीयू की ओर से नेशनल प्रसिडेंट आरसीपी सिंह को शामिल होने से पार्टी में अंदर ही अंदर उबाल है। सीएम नीतीश कुमार का आरसीपी दांव इस बार उल्टा पड़ता दिख रहा है। कुछ महीने पहले तक जेडीयू का मतलब सीएम नीतीश कुमार को समझा जाता था, लेकिन सीएम ने खुद ही नेशनल प्रसिडेंट की कुर्सी आरसीपी सिंह को सौंप दी। अब आरसीपी के सेंट्रल कैबिनेट में शामिल होने के बाद नये नेशनल प्रसिडेंट को लेकर कयास लगाये जा रहे हैं। जेडीयू संसदीय दल के नेता ललन सिंह को कैबिनेट में में जगह नहीं मिलने पर भी तरह-तरह की चर्चाएं हैं। सेंट्रल कैबिनेट विस्तार के बाद जेडीयू में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।
पार्टी में अपना आधार मजबूत कर रहे कुशवाहा
रालोसपा का विलय कराने के बाद दूसरी बार जदयू में वापसी कराने वाले उपेंद्र कुशवाहा आजकल अपनी पुरानी पार्टी में अपना आधार मजबूत करने में लगे हैं। कुछ दिनों में वे जिलों की यात्रा पर निकलने वाले हैं। इसके जरिये उपेंद्र कार्यकर्ताओं तक सीधा जुड़ाव करने की कोशिश में हैं।
पिछली बार भी मोदी कैबिनेट में ललन सिंह के शामिल होने मसले पर ही हुआ था गतिरोध
2019 में मोदी कैबिनेट में जदयू के शामिल होने का मसला ललन सिंह को लेकर ही फंस गया था। दरअसल जदयू ने आरसीपी और ललन दोनों के लिए मिनिस्टर का पद मांगा था। बीजेपी की ओर से एक ही मिनिस्टर पोस्ट का ऑफर किये जाने से पार्टी ने कैबिनेट में शामिल होने से इंकार कर दिया था। लगभग दो साल बाद जदयू मोदी कैबिनेट में शामिल तो हो गया है, लेकिन बीजेपीकी पुरानी शर्त पर ही।ललन सिंह इस बार भी वेटिंग लिस्ट में में ही रह गये।