बिहार में अब तक ब्लैक फंगस 29 पेसेंट मिले, स्टेट में कोरोना संक्रमण की रफ्तार हुई धीमी, एक दिन में मिले 7336 नये संक्रमित
राजधानी पटना में शनिवार को ब्लैक फंगस के 10 नये पेसेंट विभिन्न हॉस्पीटल में एडमिट हुए हैं। स्टेट में गवर्नमेंट व कुछ प्राइवेट हॉस्पीटल मिलाकर में अभी तक ब्लैक फंगस के कुल 29 पेसेंट चिन्हित हुए हैं। बिहार में कोरोना की रफ्तार धीमी हो रही है। स्टेट में आज 7376 नये संक्रमित मिले हैं।
पटना। राजधानी पटना में शनिवार को ब्लैक फंगस के 10 नये पेसेंट विभिन्न हॉस्पीटल में एडमिट हुए हैं। स्टेट में गवर्नमेंट व कुछ प्राइवेट हॉस्पीटल मिलाकर में अभी तक ब्लैक फंगस के कुल 29 पेसेंट चिन्हित हुए हैं। बिहार में कोरोना की रफ्तार धीमी हो रही है। स्टेट में आज 7376 नये संक्रमित मिले हैं।
आज पटना एम्स में सबसे अधिक आठ, आईजीआईएमएस में एक और पारस हॉस्पीटल में ब्लैक फंगस के पेसेंट आये हैं। एम्स के कोविड वार्ड के नोडल अफसर ने बताया कि शनिवार को एम्स में आठ नये ब्लैक फंगस के पेसेंट एडमिट हुए हैं। अभी तक एम्स में ब्लैक फंगस के कुल 20 पेसेंट हैं। ब्लैक फंगस वाले पेसेंट के लिए सोमवार को अलग से वार्ड बनाया जायेगा। एम्स में पटना, नेउरा, आरा, बक्सर, नवादा, मुजफ्फरपुर, औरंगाबाद, के पेसेंट एडमिट हैं। वहीं आईजीआईमएस के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ.मनीष मंडल ने बताया कि पटना निवासी ब्लैक फंगस का पेसेंट एडमिट हुआ है। पारस एचएमआरआई अस्पताल में गोपालगंज के एक नया पेसेंट एडमिट हुआ है।
गांवों में बढ़ रहे हैं ब्लैक फंगस के पेसेंट
कोविड संक्रमण से ठीक होने के बाद खासकर शुगर, ब्लड प्रेशर और किडनी की बीमारी से ग्रसित पेसेंट में ज्यादा ब्लैक फंगस पकड़ रहा हैं। स्पेशलिस्ट का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र में ब्लैक फंगस के पेसेंट की संख्या काफी बढ़ेगी। ऐसा इसलिए कि ग्रामीण क्षेत्रों में एक जागरूकता की कमी है।व्यक्तिगत हाइजीन या साफ-सफाई को लेकर लोग गंभीर नहीं हैं। ग्रामीण क्षेत्रों से ज्यादा केस आ रहे हैं। अभी से ही ग्रामीण क्षेत्रों में इसको लेकर व्यवस्था नहीं की गई तो आने वाले समय में स्थिति गंभीर हो सकती हैं। ब्लैक फंगस के पेसेंट लगातार बढ़ रहे हैं।
खतरनाक बात यह है कि मई के अंत तक ब्लैक फंगस के 1000 से 1500 तक मामले समाने आ सकते हैं।
ब्लैक फंगस संक्रमण के लक्षण
ब्लैक फंगस से संक्रमित मरीजों के नाक, चेहरे, दांत, आंख और सिर में दर्द रहता है। उनके नाक से पानी और खून निकल सकता है। नाक में काली पपड़ी भी जम सकती है। आंखें लाल हो सकतीं हैं। आंख में सूजन हो सकती है। कई मामलों में आंखें बाहर निकल आती हैं।रोशनी भी जा सकती है। प्रारम्भिक अवस्था में पहचान हो जाने पर यह संक्रमण दवा के कुछ डोज से ही ठीक हो जाता है। देर होने पर सर्जरी की जरूरत पड़ती है।
प्रतिरोधी क्षमता के कमजोर होने पर संक्रमण
डॉक्टरों का कहना है कि ब्लैक फंगस का संक्रमण शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता के कमजोर होने पर लगता है। यह फंगस नाक, गला, चेहरा, आंख और दिमाग को संक्रमित करता है। इसका एक कारण बिना डॉक्टरी सलाह लिए अपने मन से स्टेरॉयड दवा लेना भी है। कोरोनावायरस संक्रमण के इलाज में शरीर काफी कमजोर हो जाता है। साथ ही स्टेरॉयड दवा भी दी जाती है। इस कारण ऐसे पेसेंट में ब्लैक फंगस के संक्रमण का खतरा रहता है। कोरोनावायरस संक्रमण के इलाज में स्टेरॉयड कारगर है, लेकिन इसका उपयोग केवल डॉक्टर की सलाह पर करना चाहिए। खासकर कैंसर, डायबिटीज व किडनी के रोग या किसी अन्य लंबी बीमारी से ग्रसित मरीजों को स्टेरॉयड दवा देने में बहुत सावधानी की जरूरत होती है।
बिहार में टूट रही कोरोना संक्रमण की चेन,खाली होने लगे बेड
बिहार में कोरोना की दूसरी लहर में अब धीरे-धीरे हालात बेहतर होते जा रहे हैं। पिछले चार दिनों से संक्रमण के नये मामले 10 हजार से नीचे आ रहे हैं। स्टेट में शनिवार को 7,336 नये कोरोना संक्रमितों की पहचान हुई। एक्टिव केस में भी लगातार कमी आ रही है। हॉस्पीटल में भी बेड खाली होने लगे हैं। पटना में सर्वाधिक 1,202 नए कोरोना संक्रमित मिले। राज्य के 23 जिलों में एक सौ से अधिक नए कोरोना संक्रमितों की पहचान हुई। एक दिन में 1,10,172 सैंपल की कोरोना जांच की गई।