Dhanbad: IIT ISM ने तैयार किया AI एप 'हर-वे', बिना इंटरनेट भी दिखेगा सटीक लोकेशन 

आईआईटी-आईएसएम की लेडी गार्ड टीम ने हर-वे एप नाम की इस टेकनीक को तैयार किया है जो महिलाओं और छात्राओं के सुरक्षा कवच को और सशक्त करने में सक्षम होगा।

Dhanbad: IIT ISM ने तैयार किया AI एप 'हर-वे', बिना इंटरनेट भी दिखेगा सटीक लोकेशन 
IIT ISM ने तैयार किया AI एप 'हर-वे।
  • महिलाओं का सुरक्षा कवच बनेगा
  • महिला की आवाज पर सक्रिय होगा एप
  • एप में फेक काल की भी सुविधा
  • स्वत: ऑन हो जायेगा मोबाइल का कैमरा

धनबाद। आईआईटी-आईएसएम की लेडी गार्ड टीम ने हर-वे एप नाम की इस टेकनीक को तैयार किया है जो महिलाओं और छात्राओं के सुरक्षा कवच को और सशक्त करने में सक्षम होगा।

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यह एप गंतव्य को जानेवाला सबसे सुरक्षित रास्ता बताने के साथ संकट की घड़ी में लोकेशन की जानकारी पुलिस और परिजन तक पहुंचा देगा। इस एप को बीते मार्च में हुए आईआईटी के हेकफेस्ट-2023 में खूब सराहा गया। इसे टॉप  तीन नवोन्मेषों में स्थान मिला। इंस्टीच्युट द्वारा टेकनीक के पेटेंट के लिए आवेदन किया जा चुका है। पुलिस अफसर भी इस एप को महिला सुरक्षा के लिए कारगर बता रहे हैं।जीवन को सुगम बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग बढ़ रहा है। अब महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी इस एप का प्रयोग किया गया है। आईआईटी-आईएसएम में हर-वे एप तैयार करने वाली टीम के लीडर अनुराग मिश्रा का कहना है कि इसमें तीन फीचर डाले गये हैं। इस बात का भी ध्यान रखा है कि यदि मोबाइल फोन में इंटरनेट सर्विस नहीं है तो भी यह एप काम करता रहे। यूजरमहिला एप में लोकेशन डालकर गंतव्य का सुरक्षित रास्ता भी पता कर सकती हैं।

क्राइम की भी जानकारी मिलेगी

अनुराग के अनुसार एआई की मदद से एप यह भी बताने में सक्षम है कि गंतव्य वाली लोकेशन पर किस प्रकार के क्राइम होते हैं। लास्ट क्राइम कब हुआ, हाल में कितने क्राइम हुए और वहां की रोड से आमतौर पर कितने लोगों का आवागमन होता है। यह भी जानकारी मिलेगी कि वह क्षेत्र सुनसान है या भीड़भाड़ वाला। वहां सुरक्षा व्यवस्था किस तरह की है, पुलिस थाना कितनी दूर है आदि जानकारी भी महिलाओं को मिल सकेगी। एप में यह व्यवस्था भी की गई है कि गंतव्य तक जाने वाला रास्ता खतरनाक होने की स्थिति में यह तत्काल वैकल्पिक सुरक्षित रास्ता दिखाए।

ट्रिगर वर्ड कमांड की सुविधा

एप में ट्रिगर वर्ड कमांड सुविधा है। इसके लिए एक शब्द कमांड के तौर पर देना होगा जो मोबाइल में नेटवर्क न होने पर महिला की लोकेशन बताने में मदद करेगा। जैसे महिला ने हेल्प शब्द दिया, तो नजदीकी पुलिस स्टेशन और एप में सेव सभी नंबरों पर फोन की ताजा लोकेशन तत्काल पहुंच जायेगी। ट्रिगर वर्ड कमांड में दी गई महिला की आवाज को पहचानकर एप यह कदम उठाएगा। इसमें फेक कॉल की भी सुविधा है। बटन दबाते ही महिला के फोन पर फेक कॉल आयेगी। सामने खड़ा क्रिमिनल कॉल काटने के लिए दबाव बनायेगा। कॉल रिसीव करने या काटने, दोनों ही स्थिति में मोबाइल का कैमरा आन हो जायेगा। इसका किसी को पता नहीं चलेगा और वहां की सभी गतिविधियां रिकार्ड होने लगेंगी। इस एप को बनाने वाली टीम में तरुण श्रीवास्तव, सैयद अरीब, रोहित भंडारी एवं सौरभ कुमार शामिल हैं।

 कहीं भी हो सकता है यूज

एप में कम्युनिटी फीचर भी है, जिससे महिलाएं एक-दूसरे से जुड़कर अपने अनुभव साझा कर सकेंगी, सुझाव दे सकेंगी। जरूरत पर मदद भी कर सकेंगी। कहीं भी इस एप का प्रयोग किया जा सकता है। अनुराग का कहना है कि एप में एआई के साथ मशीन लर्निंग का भी प्रयोग किया गया है।यह टेकनीक ऐसी क्षमता देती है, जिससे डिवाइस द्वारा भूतकाल में किए गए कार्यों के आधार पर भविष्य का अनुमान कर सके। इसमें फीड डाटा अहम भूमिका निभाता है। सरकारी संस्थानों में बात कर उनके सुझाव पर कई फीचर जोड़े हैं। पेटेंट की प्रक्रिया पूरी होने के बाद इसे आमजन के लिए उपलब्ध करायेंगे।