धनबाद: एग्यारकुंड में पत्नी के साथ हुई छेड़खानी, गलफरबाड़ी ओपी पुलिस ने नहीं की कार्रवाई, फंदे पर झूल युवक ने दे दी जान
निरसा पुलिस स्टेशन के गलफरबाड़ी ओपी पुलिस ने छेड़खानी के आरोपी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। पुलिस की लापरवाही से आहत एग्यारकुंड पानी टंकी निवासी सुजीत उर्फ मंटू दूबे ने शनिवार को अपने घर में फंदा से झूलकर जान दे दी है। घटना के विरोध में आसपास के लोगों ने गलफरबाड़ी ओपी का घेराव किया। एएसआइ के साथ धक्का-मुक्की की।
धनबाद। निरसा पुलिस स्टेशन के गलफरबाड़ी ओपी पुलिस द्वारा छेड़खानी के आरोपितों पर कार्रवाई नहीं होने से क्षुब्ध होकर फांसी लगाकर जाने देने की कोशिश करनेवाले एग्यारकुंड पानी टंकी निवासी सुजीत उर्फ मंटू दुबे का इलाज के दौरान मंगलवार की देर रात SNMMCH में मौत हो गयी। आक्रोशित ग्रामीणों ने आरोपितों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर बुधवार की शाम गलफरबाड़ी ओपी के सामने बॉडी रखकर घेराव किया। लोगों की भीड़ ओपी के अंदर घुस गयी। इस दौरान पुलिस व ग्रामीणों के बीच नोकझोंक, हाथापाई व धक्का-मुक्की भी हुई। ग्रामीणों के आक्रोश को देखते हुए चिरकुंडा, मैथन व कुमारधुबी से भारी संख्या में पुलिस बल को बुलाना पड़ा।
पुलिस पर निष्क्रियता के साथ ही गंभीर आरोप लगा है। पूरे मामले में पुलिस ही कठघरे में खड़ी है। लोगों ने ओपी प्रभारी संजय उरांव पर मामले में गंभीरता नही बरतने का आरोप लगाते पुलिस के साथ धक्का-मुक्की की। मामला छेड़खानी और घूस के आरोप से भी जुड़ा है। मंटू ने अपनी वाइफ के साथ छेड़छाड़ की कंपलेन गंलफरबाड़ी ओपी में की थी। पुलिस कार्रवाई करने के बयाज घूस मांग रही थी। पत्नी का सीधा आरोप है कि उसने अपनी ज्वेलरी बेचकर 50 हज़ार पुलिस को घूस दिये। घूस लेने के बावजूद पुलिस आरोपियों अरेस्ट नहीं की। इस कारण उसके हसबैंड ने सुसाइड कर लिया।पुलिस ने दोनों आरोपित रंजीत व संदीप को कस्टडी में लेकर पूछताछ कर छोड़ दिया था।
क्या है मामला
सुजीत उर्फ मंटू दूबे ने नौ अक्टूबर को अपने घर पर गले में फंदा लगाकर सुसाइड करने की कोशिश की थी। उसे इलाज के SNMMCH में एडमिट कराया था जहां मंगलवार की देर रात इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।आक्रोशित लोगों ने बुधवार की शाम गलफरबाड़ी ओपी के सामने मंटू की डेड बॉडी को रखकर आरोपितों को गिरफ्तारी की मांग को लेकर घेराव व प्रदर्शन किया। एग्यारकुंड बीडीओ विनोद कर्मकार व इंस्पेक्टर योगेंद्र पासवान ने ओपी पहुंचकर लोगों को शांत करवाया। लोकल लोगों के साथ वार्ता की। बीडीओ ने मृतक की पुत्रियों को कस्तूरबा गांधी विद्यालय में एडमिशन दिलाने, विधवा पेंशन, पारिवारिक लाभ दिलाने का आश्वासन दिया। ग्रामीणों ने दोषी पुलिस कर्मी पर कार्रवाई करने, आरोपितों पर सुसाइड करने के लिए उकसाने व मृतक की पत्नी को भरण-पोषण करने के लिए नियोजन देने की मांग की। अफसरों ने यथा संभव मदद करने का भरोसा दिया।वार्ता में जिला परिषद प्रतिनिधि तपन बाउरी, लखी सोरोन, मुखिया लखी देवी, रानी सिंह, गुलाम कुरैशी, चिरकुंडा थाना प्रभारी डीके यादव, मैथन ओपी प्रभारी माइकल कोड़ा, कुमारधुबी ओपी प्रभारी पुरुषोत्तम कुमार सिंह शामिल थे।
एक माह पूर्व हुआ था झगड़ा
बताया जाता है कि एक माह पूर्व मंटू दुबे के साथ उसके चचेरे भाई रंजीत दुबे व उसके दोस्त संदीप रजक का झगड़ा हुआ था। मामले में दोनों पक्षों की ओर से गलफरबाड़ी ओपी में एफआईआर दर्ज करायी गयी थी। मंटू की पत्नी दोनों पर छेड़छाड़ व रेप की कोशिश का आरोप लगायी थी। पुलिस की नजर में दोनों फरार चल रहे थे। लेकिन दोनों खुलेआम घूम रहे थे। आरोप है कि रंजीत एवं संदीप ने मंटू से कहा कि हम लोगों का पुलिस कुछ नहीं बिगाड़ सकती है। ओपी प्रभारी से व उपर के अफसरों को पैसा देकर मैनेज कर लिया है। मंटू नशे ने इस बात को दिल से लगा लिया।
पहले ट्रेन के आगे कूदने का था प्लान
मंटू ने अपनी वाइफ व पिता से कहा कि पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।अब दोनों आरोपी सरेआम जलील करने लगे है। वह जलालत की जिंदगी नहीं जी सकता, इसलिए वह जान दे देगा। ट्रेन के आगे कूद कर जान देने के लिए मंटू रेलवे ट्रैक की ओर दौड़ा। परिजनों ने उसे समझा बुझा कर घर लाया। लेकिन वह जान देने की जिद पर अड़ा था। मौका देख उसने नौ अक्टूबर को खुद को कमरे में बंद कर फंदे से झूल गया। परिवार वालों की नजर उस पर पड़ गई। आसपास के लोगों के साथ मिलकर दरवाजा तोड़कर उसे फंदे से उतारा गया। आनन-फानन में मंटू को SNMMCH धनबाद में एडमिट कराया। इलाज के दौरान मंटू की मौत हो गई।