हजारीबाग: टाटी झरिया में आठ बेटियों ने मां की अर्थी को दिया कंधा, किया अंतिम संस्कार, विवाद के कारण समाज से बहिष्कृत है फैमिली
हजारीबाग जिले के टाटी झरिया के खंभवा गांव में आठ बेटियों ने अपनी मां की अर्थी को कंधा दिया। बोटियों ने पूरे विधि विधान से अपनी मां का अंतिम संस्कार कर समाज को बड़ा संदेश भी दिया
हजारीबाग। हजारीबाग जिले के टाटी झरिया के खंभवा गांव में आठ बेटियों ने अपनी मां की अर्थी को कंधा दिया। बोटियों ने पूरे विधि विधान से अपनी मां का अंतिम संस्कार कर समाज को बड़ा संदेश भी दिया।
खंभवा गांव में कमल भुइयां की वाइफ कुंती देवी (55) का निधन हो गया। समाज ने गांव में विवाद के कारण इस परिवार को बहिष्कृत कर दिया है। इस कारण लोगों ने उसके किसी भी कार्य में साथ देने से इन्कार कर दिया। इसके बाद बेटियों ने कुंती देवी की अर्थी को कंधा दिया। अंतिम यात्रा श्मशान तक ले जाकर पूरे रीति रिवाज अंतिम संस्कार भी किया। बेटियों ने अर्थी को कंधा देकर श्मशान तक रोते-बिलखते पहुंचाई, तो सबके मन को झकझोर दिया।कुंती की आठ बेटी और उसके मताहतों ने सभी कार्य संपन्न किया। कुंती की केवल आठ बेटियां हैं। सात की शादी हो चुकी है। अभी एक बेटी कुंवारी है।
कुंती की बेटी अजंती देवी ने कहा कि मेरे भाई नहीं हैं तो क्या हुआ, हम सभी बहनें मिलकर इसका अंतिम संस्कार करेंगे। कंधा देनेवालों में अजंती, रेखा देवी, केई, बाबुन कुमारी, केतकी कुमारी, भोली कुमारी प्रमुख आदि प्रमुख हैं। कुंती के निधन पर सामाजिक लोगों उदेश्वर सिंह, विनय सिंह, एम के पाठक, ब्रजकिशोर सिंह आदि ने भी सहयोग किया।
विवाद के कारण समाज से कुंती का परिवार है बहिष्कृत
चार वर्षों से बीमार कुंती का इलाज घर में ही चल रहा था। वह उठने-बैठने में असमर्थ थी। पति मजदूरी कर किसी तरह परिवार का पेट पाल रहा है। कुछ वर्ष पूर्व कमल भुईंया को समाज व गांव से बहिष्कृत कर दिया गया। किसी विवाद या सामाजिक कार्यों में कमल द्वारा हिस्सा नहीं लेने के कारण यह निर्णय लेने की बात कही जाती है। बहिष्कृत होने के कारण सोमवार को कुंती के निधन पर न तो लोग उनके घर गए और न ही दाह संस्कार में शामिल हुए। इतना ही नहीं, ग्रामीणों ने नियम के लिए नाई को भी शामिल होने नहीं दिया।