रांची। ऑफिस आफ प्राफिट मामले में CM हेमंत सोरेन की विधानसभा की सदस्यता रद्द होने को लेकर पिछले एक सप्ताह से झारखंड में ऊहापोह की स्थिति हैं। स्टेट गवर्नमेंट ने पांच सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र आहूत करने का निर्णय लिया है। कैबिनेट की गुरुवार को हुई बैठक में यह निर्णय हुआ।
संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने बताया कि विशेष बैठक मानसून सत्र का ही विस्तार होगा। उल्लेखनीय है कि विधानसभा का विशेष सत्र निर्धारित तिथि से एक दिन पहले ही स्थगित कर दिया गया था। आलम के अ नुसार इस दौरान वर्तमान राजनीतिक अनिश्चितता की स्थिति पर चर्चा होगी। सरकार सदन का विश्वास हासिल करेगी।
यूपीए नेताओं ने बनाई यह रणनीति
चुनाव आयोग के पत्र को लेकर राजभवन की चुप्पी से निपटने के लिए विश्वास मत हासिल करने की रणनीति बनाई गई है। सत्र से पूर्व छत्तीसगढ़ के रायपुर में जमे झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के सारे विधायक रांची वापस लौट आयेंगे। झारखंड के 33 एमएलए अभी रायपुर के पांच सितारा मेफेयर रिसार्ट में कैंप कर रहे हैं। सत्तापक्ष का तर्क है कि विधायकों को एकजुट रखने के उद्देश्य से ऐसा किया गया है। सत्तापक्ष ने झारखंड राजभवन पर चुनाव आयोग का निर्णय स्पष्ट करने को लेकर भी दबाव बनाया। यूपीए का एक डेलीगेशन गवर्नर रमेश बैस से मिलकर मीडिया में आ रही खबरों का जिक्र करते हुए स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह किया।
राजभवन पर दबाव बनाना गलत : बिरंची
विधानसभा में विरोधी दल के मुख्य सचेतक बिरंची नारायण ने कहा कि चुनाव आयोग एक सर्वोच्च संवैधानिक संस्था है। इसपर सवाल उठाना सही नहीं है। सीएम हेमंत सोरेन की सदस्यता पर उठ रहे सवालों के बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा द्वारा लगाए जा रहे आरोपों को उन्होंने गलत बताया है। बिरंची नारायण ने प्रोजेक्ट भवन में पत्रकारों से कहा कि महागठबंधन के नेताओं ने गवर्नर से मुलाकात कर अपनी बात रखी है। बीजेपी सरकार को कभी अस्थिर करना नहीं चाहती है।पार्टी चाहती है कि सरकार चले और अपना काम करे। अभी जो परिस्थितियां बनी हैं, उसके लिए सीएम ही जिम्मेदार हैं। 80 डिसमिल जमीन खरीदने के लिए सीएम उतावले होंगे तो जनता क्या करेगी।