Jharkhand: अमित अग्रवाल व कोलकाता पुलिस के अफसरों पर CBI ने दर्ज की FIR, कई ठिकानों पर रेड
कोलकाता के बिजनसमैन अमित अग्रवाल व कोलकाता पुलिस के अननोन अफसरों के खिलाफ CBI की ACB ने FIR दर्ज कर ली है। FIR में आपराधिक साजिश रचने, पुलिस में झूठी कंपलेन दर्ज कराने का आरोप है।
- अमित पर पुलिस को गुमराह करने का आरोप
रांची। कोलकाता के बिजनसमैन अमित अग्रवाल व कोलकाता पुलिस के अननोन अफसरों के खिलाफ CBI की ACB ने FIR दर्ज कर ली है। FIR में आपराधिक साजिश रचने, पुलिस में झूठी कंपलेन दर्ज कराने का आरोप है।
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उक्त FIR के आलोक में सीबीआइ दिल्ली की टीम ने आरोपित अमित अग्रवाल के रांची व कोलकाता स्थित ठिकानों पर गुरुवार को रेड की है। सीबीआइ को रेड में कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले हैं, जिसकी जांच होगी। सीबीआइ ने यह FIR झारखंड हाई कोर्ट के आदेश पर पूर्व में हुई सीबीआइ की प्रारंभिक जांच (पीई) में आए तथ्यों के आधार पर दर्ज की गई है। पीई सीबीआइ के एंटी क्राइम ब्रांच नई दिल्ली के इंस्पेक्टर अनिल कुमार ने की थ और उन्हीं की कंपलेन यह FIR भी दर्ज की गई है। केस के आइओ सीबीआइ एसीबी के इंस्पेक्टर दिनेश कुमार बनाये गे हैं।
इंस्पेक्टर अनिल कुमार ने सीबीआइ को लिखित कंपलेन में बताया है कि झारखंड हाइ कोर्ट के 30 नवंबर के आदेश के आलोक में पांच दिसंबर को प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज कर अमित अग्रवाल व अन्य के विरुद्ध उन्होंने जांच की थी। 15 दिनों के भीतर सीबीआइ को पीई की जांच रिपोर्ट देनी थी। हाई कोर्ट का उक्त आदेश बिजनसमैन अमित अग्रवाल के उन आरोपों की जांच के लिए था। इसमें अमित अग्रवाल ने कोलकाता के हेयर स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में झारखंड हाई कोर्ट के एडवोकेट राजीव कुमार के विरुद्ध एक जनहित याचिका को मैनेज करने के नाम पर 50 लाख रुपये घूस देने का दावा किया था। आरोप लगाया था कि राजीव कुमार ने ज्यूीडिशियल अफसरों, ईडी के अफसरों व गवर्नमेंट अफसरों को मैनेज करने के नाम पर उक्त राशि की मांग की थी।
सीबीआइ की प्रारंभिक जांच में यह खुलासा हुआ है कि दस जनवरी को शिव शंकर शर्मा नामक व्यक्ति ने अपने एडवोकेट राजीव कुमार के माध्यम से झारखंड हाइ कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की थी। याचिका में यह आरोप लगाया था कि बिजनसमैन अमित कुमार अग्रवाल व अन्य ने मिलकर सीएम हेमंत सोरेन के ब्लैक मनी का विभिन्न शेल कंपनियों में निवेश किया है। दूसरी जनहित याचिका पिछले साल 16 फरवरी को दाखिल की गई थी, जिसमें हेमंत सोरेन व तत्कालीन खान एवं भूतत्व विभाग की सचिव पूजा सिंघल पर सीएम व खान एवं भूतत्व विभाग के मंत्री रहते हुए हेमंत सोरेन को खनन लीज आवंटन से संबंधित आरोप लगा था। उन पर यह भी आरोप लगा था कि वन एवं पर्यावरण मंत्री रहते हुए सीएम ने इस लीज के लिए पर्यावरण का क्लियरेंस ले लिया। हाई कोर्ट ने दोनों ही जनहित याचिका को एक साथ जोड़कर सुनवाई की।
सीबीआइ को यह भी पता चला है कि मार्च 2022 में बिजनसमैन अमित कुमार अग्रवाल ने रांची के तत्कालीन डीसी के माध्यम से एडवोकेट राजीव कुमार पर उक्त जनहित याचिकाओं को दबाने के लिए दबाव बनाने का प्रयास किया गया। अमित अग्रवाल ने कोलकाता के हेयर स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में 31 जुलाई 2022 को एडवोकेट राजीव कुमार व शिव शंकर शर्मा के विरुद्ध जनहित याचिका मैनेज करने के नाम पर 10 करोड़ रुपये मांगने का आरोप लगाकर FIR दर्ज कराई थी। इसके बाद अमित अग्रवाल ने राजीव कुमार को पहले 13 जुलाई 2022 को रांची से कोलकाता बुलाया और इसके बाद 31 जुलाई को अपने परिचित सोनू अग्रवाल के माध्यम से बुलाया, जहां उन्हें रुपये दिए। दोनों ही मौके पर राजीव कुमार से अमित अग्रवाल के बीच हुई बातचीत को अमित अग्रवाल ने रिकार्ड भी किया।
अमित अग्रवाल ने शिकायत में यह भी कहा कि राजीव कुमार का न्यायिक पदाधिकारियों से बेहतर संपर्क है, जिसके माध्यम से जनहित याचिका मैनेज हो सकता है। इसके एवज में बातचीत के बाद अमित अग्रवाल ने राजीव कुमार को 50 लाख रुपये देकर कोलकाता पुलिस के हाथों पकड़वा दिया। इसके बाद हेयर स्ट्रीट थाने में अमित अग्रवाल की शिकायत पर पीसी एक्ट में एफआइआर दर्ज हुई, जिसमें अज्ञात लोकसेवकों को भी आरोपित किया गया था। सीबीआइ की जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि अमित अग्रवाल ने हेयर स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में जो सूचना दी वह झूठी थी। अधिवक्ता व अमित अग्रवाल के बीच बातचीत में राजीव कुमार ने कहीं भी उसे धमकाया नहीं है बल्कि अमित अग्रवाल ने ही केस मैनेज करने के लिए रुपयों की पेशकश की। उसने राजीव कुमार को कोलकाता बुलाया और 50 लाख रुपये जनहित याचिका खारिज करवाने व लोकसेवकों को मैनेज करवाने के नाम पर दी। अमित अग्रवाल के विरुद्ध ईडी ने भी इसी मामले में मनी लांड्रिंग के तहत जांच के दौरान अरेस्ट किया था। फिलहाल, अमित अग्रवाल बेल पर है।